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Sunday, 4 May 2008

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गये

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गये
धोये गये हम ऐसे कि बस पाक हो गये

आपने लता मंगेशकर निर्मित लेकिन फिल्म का गाना सुनियो जी एक अरज म्हारी सुना होगा यह फिल्म सन 1990 में बनी थी और पंडित हृदयनाथ मंगेशकर और लताजी की भाई बहन की जोड़ी ने संगीत के मामले में कमाल किया था।

अभी पिछले दिनों मैने मिर्जा गालिब की एक गज़ल रोने से और इश्क में बेबाक हो गये......सुनी जो सन 1969 में लताजी ने हृदयनाथजी के संगीत निर्देशन में गाई थी। खास बात यह थी कि इस गज़ल का संगीत

ghalib

बिल्कुल सुनियो जी एक अरज...जैसा था, यों या कहना चाहिये कि सुनियो जी का संगीत बिल्कुल रोने से इश्क में ... जैसा है। हृदयनाथजी ने 21 साल बाद अपने ही संगीत को वापस अपनी फिल्म में दूसरे गीत के लिये कितनी खूबसूरती से उपयोग किया!

लीजिये सुनिये मिर्ज़ा असदुल्ला बेग खान مرزا اسد اللہ خان या मिर्ज़ा गालिब की यह सुन्दर गज़ल।

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11 टिप्पणियाँ/Coments:

डॉ. अजीत कुमार said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

क्या बात है सागर भाई!
अच्छे गोताखोर हैं आप,ऐसे ही ये मोती थोड़े ना ढूँढ़ लाते हैं.
वैसे अगर इस फ़िल्म का नाम पता चल जाये तो मजा आ जाये.
सचमुच ये गीत उस " सुनियो जी ..." की ही एक प्रति मालूम होती है, वही आवाज़ वही संगीत.

डॉ. अजीत कुमार said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

चचा गा़लिब के ये अशआर कितने उम्दा हैं..
".. परदे में गुल कि लाख ज़िगर चाक़ हो गये."
"करने गये थे उससे तग़ाफ़ुल का हम गिला.
कि,एक निगाह में बस ख़ाक हो गये."
वाह.. वाह...

पारुल "पुखराज" said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

meri pasand ki ghazal sunvaai aapney ...shukriyaa SAGAR ji

अमिताभ मीत said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत दिनों बाद सुना .... मज़ा आ गया. शुक्रिया सागर भाई.

Anita kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह वाह सागर जी कहां कहां से ढूंढ लाते है ऐसे विरले गीत आप को तो विविध भारती का भूले बिसरे गीत का कार्य सौंप देना चाहिए। श्रोतागण भी और खुश

Manish Kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह सागर भाई बिल्कुलसही पकड़ा। जैसे ही ये ग़ज़ल शुरु हुई लेकिन का वो गाना ज़ेहन में घूम गया। एकदम वही तर्ज।

इस नायाब ग़ज़ल को हम तक पहुँचाने का शुक्रिया !

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सुन्दर ।

Yunus Khan said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई
नमन है । आपने सुंदर गीत सुनवया है ।
रविवार को यादगार बना दिया ।
अनीता जी का सादर समर्थन ।

Abhishek Ojha said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह, बहुत सुंदर !

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

धन्यवाद !

महेन said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

कहाँ से ढूंढ लाये ये ख़ज़ाना? अद्भुत है। मज़ा आ गया।
शुभम।

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