संभव है कि होम पेज खोलने पर इस ब्लॉग में किसी किसी पोस्ट में आपको प्लेयर नहीं दिखे, आप पोस्ट के शीर्षक पर क्लिक करें, अब आपको प्लेयर भी दिखने लगेगा, धन्यवाद।

Friday 28 September, 2007

गायकी में शोहरत की बुलंदियों से किराना की दुकानदारी तक: जी एम दुर्रानी




हिन्दी फिल्मों में जिस तरह किशोर कुमार और मुकेश ने कुन्दन लाल सहगल से प्रेरित हो कर गाना शुरु किया, ठीक उसी तरह मोहम्मद रफी ने गुलाम मुस्तफा दुर्रानी यानि जी एम दुर्रानी से प्रेरित हो कर अपनी गायन शैली बनाई। शायद आपने जी एम दुर्रानी की पहाडी आवाज सुनी भी होगी।
पेशावर में 1919 में जन्मे, दुर्रानी, सोलह साल की उम्र में बम्बई भाग आये, एकाद फिल्मों में काम किया परन्तु उन्हें यह काम रास नहीं आया, और बम्बई रेडियो स्टेशन पर ड्रामा आर्टिस्ट बन गये। सन 1930 में सोहराब मोदी के मिनर्वा मूवीटोन में 35/- रुपये मासिक पर नौकरी भी की, परन्तु उनके नसीब में शायद कुछ और लिखा था। मिनर्वा मूवीटोन बंद हो गया और उसके बाद आप दिल्ली चले गय। वहाँ से एक बार फिर बम्बई तबादला हो गया और यहाँ नौशाद साहब मिले और उन्हें अपनी दर्शन में गाने का मौका दिया। इस फिल्म की नायिका थी ज्योती उर्फ सितारा बेगम! ज्योती से जी एम दुर्रानी का प्रेम हो गया और बाद में विवाह कर लिया।
विवाह के बाद यानि 1943 से 1951 तक शोहरत की बुलंदियों पर रहने के बाद अचानक, दुर्रानी ने एक बार फिर गाने से किनारा कर लिया और अल्लाह की इबादत में लग गये, सारे पैसे फकीरों को दान कर दिये। फिल्मी लोगों से मुँह चुराने लगे। तब तक उन्हीं के नक्शे कदम पर चलने वाले मोहम्मद रफी बहुत मशहूर हो चुके थे। एक दिन ऐसा आया कि एक जमाने के माने हुए गायक जी एम दुर्रानी को अपनी जीविका चलाने के लिए मित्रों से उधार लेकर छोटी सी किराना की दुकान खोलनी पड़ी और इस तरह एक जमाने का माने हुए गायक किराना के दुकानदार बन गये।

एक जमाने के माने हुए गायक जी एम दुर्रानी को अपनी जीविका चलाने के लिए मित्रों से उधार लेकर छोटी सी किराना की दुकान खोलनी पड़ी और इस तरह एक जमाने का माने हुए गायक किराना के दुकानदार बन गये।

फिलहाल आपको जी एम दुर्रानी का एक मशहूर गाना सुना रहा हूँ जो फिल्म मिर्जा साहेबान (Mirza Saheban 1947) का है और जिसके गीतकार अजीज कश्मीरी और संगीत निर्देशक पंडित अमरनाथ थे। इस गाने में जी एम दुर्रानी का साथ दिया है मल्लिका ए तरन्नुम नूरजहाँ ने। फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी त्रिलोक कपूर और नूरजहाँ ने। इस गाने को ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि एक बार भी नायिका/ गायिका पूरे गाने में एक बार भी यह नहीं कहती कि हाथ सीने पे रख दो... यानि संगीतकार ने धुन बनाते समय भी मर्यादा का कितना ध्यान रखा।



जी: हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये
दिल के उजड़े हुए गुलशन में बहार आ जाये

नू: दिल तो कहता है कि आँखो में छुपा लूं तुझको
डर यही है मुकद्दर को नकार आ जाये

जी:हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये
दिल के जख्मों में पे मेरे प्यार का मरहम रख दो
बेकरारी तो मिटे कुछ तो करार आ जाये
हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये

नू: यूं खुदा के लिये छेड़ो ना मेरे होशो हवास
ऐसी नजरों से ना देखो कि खुमार आ जाये-२

जी:हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये
छोड़ के तुम भी चली जाओगी किमत की तरह
बाद जाने तो अजल ही को ना प्यार आ जाये
हाथ सीने पे रख दो तो करार आ जाये
दिल के उजड़े हुए गुलशन में बहार आ जाये

फोटो Down Melody lane से साभार



Wednesday 26 September, 2007

गाना जो आप बार बार सुनना चाहेंगे

NARAD:Hindi Blog Aggregator


हम जब भी गानों का जिक्र करते हैं तब हमारे ध्यान में अक्सर दो ही बातें होती है, एक तो गायक-गायिका की आवाज और दूसरा संगीत। हम गीतकार यानि गीत के बोलों पर ध्यान उतना ध्यान नहीं देते या अगर दे भी देते हैं तो देते हैं पर चर्चा नहीं करते। जबकि संगीत या
गायक-गायिका की आवाज कितनी ही मधुर हो या संगीत कितना ही कर्णप्रिय हो गाना सुनने में आनंद नहीं आता। सौभाग्य से हमारे हिन्दी की पुरानी फिल्मों के गानों में ज्यादातर गीत, संगीत और गायकी तीनों ही पक्ष सुन्दर और प्रभावशाली रहे हैं।
आज मैं आपको एक ऐसा ही गाना सुनवा रहा हूँ जिसमें संगीत के तीनों ही पक्षों ने गजब का प्रभाव छोड़ा है, या सभी ने इस गाने पर बहुत मेहनत की है।
अगर प्रेम धवन जैसे गुणी गीतकार, लता जी की मधुर गायकी और महान संगीतकार खेम चन्द प्रकाश की त्रिपुटी मिले तो जिस रचना का जन्म होगा तो उसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। खेम चन्द प्रकाश जी के बारे में कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान होगा, परन्तु फिर भी इतना तो कहना चाहूंगा कि सुजानगढ़ (राजस्थान) के ये ही संगीतकार थे जिन्होने फिल्म महल में संगीत दिया और जिसके गाने आयेगा आने वाला से लता जी को अपार प्रसिद्धी मिली। एक बात और कि वर्ष 2007 स्व. खेम चन्द प्रकाशजी की जन्मशताब्दी का वर्ष है, पता नहीं रेडियो और टीवी के लोगों को इस बारे में पता भी होगा या नहीं!! ( यूनुस भाई सुन रहे हैं ना???

1948 में बनी फिल्म जिद्दी जिसमें देवानंद और कामिनी कौशल की मुख्य भूमिकायें थी और गीत संगीत के बारे में तो आपको उपर बता ही चुके हैं। फिल्म के निर्देशक थे शाहिद लतीफ

प्रस्तुत गाने में बिरहन नायिका अपने प्रीतम की शिकायत कर रही है और चंदा से कह रही है कि मेरा यह संदेश मेरे प्रियतम को जा कर सुनाओ। हिन्दी फिल्मों में इस थीम पर कई गाने बने हैं इसमें कभी मैना , कभी चंदा तो कभी वर्षा के पहले बादलों के माध्यम से नायिका अपना संदेश भेज रही है।


Chanda re ja re ja...

चंदा रे जारे जारे
चंदा रे जा रे जारे
पिया से संदेशा मोरा कहियो जा
चंदा रे..
मोरा तुम बिन जिया ना लागे रे पिया
मोहे इक पल चैन ना आये
चंदा रे जारे जारे

किस के मन में जाये बसे हो
हमरे मन में अगन लगाये
हमने तोरी याद में बालम
दीप जलाये दीप बुझाये
फिर भी तेरा मन ना पिघला
हमने कितने नीर बहाये
चंदा,...जारे जारे
चंदा रे जारे जारे


घड़ियाँ गिन गिन दिन बीतत हैं
अंखियों में कट जाये रैना
तोरी आस लिये बैठे हैं
हंसते नैना रोते नैना-२
हमने तोरी राह में प्रीतम
पग पग पे है नैन बिछाये
चंदा,...जारे जारे
चंदा रे जारे जारे

पिया से संदेशा मोरा कहियो जा
मोरा तुम बिन जिया ना लागे रे पिया
मोहे एक पल चैन ना आये
चंदा रे..






title="नई प्रविष्टी"> width="125" height="30">

Tuesday 18 September, 2007

सपना बन साजन आये: वाह जमाल सेन

मुबारक बेगम के गाये दायरा फिल्म के गाने देवता तुम हो मेरा सहारे सुनने के बाद मुझे लगा कि जमाल सेन भी कमाल के संगीतकार थे पर उनका नाम रेडियो-टीवी पर इतना सुनाई क्यों नहीं देता?

मैने अन्तरजाल पर जमाल सेन के गाने ढूंढ़ने की कोशिश की तो मुझे कुछ गाने मिले, सुनने के बाद मन झूम उठा। उनमें से दो गाने आपको सुनवा रहा हूँ। पहला गाना फिल्म शोखियां SHOKHIYAN (1951) का है ।

फिल्म के मुख्य कलाकार थे, प्रेमनाथ, सुरेय्या , जीवन , कमलेश, नाजिरा शान्ता कंवर, अचला सचदेव आदि फिल्म के निर्देशक थे केदार शर्मा।

यहाँ प्रस्तुत गाने के बोल भी स्वयं केदार शर्माजी ने लिखें है। संगीत है जमाल सेन का, और गाया है लताजी ने। इस गाने की पहली दो पंक्तियाँ प्रीलूड के रूप में हैं जिसके बारे में हमें नीरज रोहिल्ला जी बता चुके हैं।

सोयी कलियाँ हँस पड़ी झुके लाज से नैन,

वीणा की झंकार से तड़पन लागे नैन

सपना बन साजन आये
हम देख देख मुस्काये
ये नैना भर आये, शरमाये-२
सपना बन साजन आये-२

बिछ गये बादल बन कर चादर-२
इन्द्रधनुष पे हमने जाकर-२
झूले खूब झुलाये-२
ये नैना भर आये, शरमाये
सपना बन साजन आये

नील गगन के सुन्दर तारे-२
चुन लिये फूल, समझ अति न्यारे -२
झोली में भर लाये -२
ये नैना भर आये, शरमाये
सपना बन साजन आये

मस्त पवन थी, हम थे अकेले-२
हिलमिल कर बरखा संग खेले-२
फूले नहीं समाये -२
ये नैना भर आये, शरमाये
सपना बन साजन आये

संभव है कि यह गाना आपको इस्निप पर सुनने में ठीक ना लगे तो आप यहाँ भी सुन सकते हैं।

01 - Lata Mangeshk...






____________________________________________________________________

NARAD:Hindi Blog Aggregator

title="नई प्रविष्टी"> width="125" height="30">

Thursday 13 September, 2007

क्या आपने इरा नागरथ के गाने सुने हैं?

मेरी कोशिश रहती है कि महफिल में उन गायक- गायिकाओं के गाने आपको सुनाऊं जिन्हें उतनी शोहरत नहीं मिली जिनके वे हकदार थे। इस श्रेणी में आपको जो गाने सुनवा रहा हूँ उसमें पहले गाने में लता जी का साथ दिया है इरा नागरथ ने। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इरा नागरथ कौन थीं?.... इरा नागरथ; सुप्रसिद्ध संगीतकार रोशन की पत्नी थी। राजेश और राकेश रोशन की माँ तथा ऋत्विक रोशन की दादीजी।

इस गाने के बारे में कई मतभेद है कि यह गाना मीना कपूर ने गाया था, जो कि इस फिल्म के संगीतकार अनिल विश्वास की पत्नी थी। पर ध्यान से गाना सुनने पर आवाज मीना कपूर की नहीं लगती। कई लोगों का कहना है कि इरा नागरथ नहीं इरा मजूमदार ने यह गाना गाया है। शायद यूनुस भाई इस बारे में ज्यादा जानकारी दे सकें।

तब तक हम इन बातों में पड़ने की बजाय इस सुन्दर गाने का आनन्द लेते हैं।

इस गाने को लिखा है शम्स अज़ीमाबादी ने और संगीत ... मेरे प्रिय संगीतकार अनिल विश्वास ने फिल्म का नाम है अनोखा प्यार जिसमें दिलीप कुमार, नलिनी जयवन्त, और नरगिस मुख्य भूमिका में थे और फिल्म के निर्देशक थे एम आई धर्मसे। धर्मसे ने दो और भी फिल्मों का निर्देशन किया था हमारी बात १९४३ और सौदागर १९५१

लता: ऐ दिल मेरी वफ़ा में कोई असर नहीं है

मैं मर रही हूँ जिन पर उनको खबर नहीं है

ऐ दिल मेरी वफ़ा में

मेरे ही दिल में रह कर मुझ पर नज़र नहीं है

ऐ दिल मेरी वफ़ा में ...

इरा: दिल लेके अब कहाँ है दिल के जगाने वाले-२

आँखों से दूर क्यों है दिल में समाने वाले-२

कोई उन्हें बताएं मुझको खबर नहीं है

ऐ दिल मेरी वफ़ा में ...

लता: उठते हैं दिल के शोले,आँखों में है अन्धेरा

मैं हो गई किसी की, कोई हुआ न मेरा-३

जो आग इधर लगी है, वो आग उधर नहीं है

ऐ दिल मेरी वफ़ा में ...

इरा: अब याद में किसी की, मर मर के जी रही हूँ

आँसू जो आ रहें हैं, आँखों में पी रही हूँ

अब याद में किसी की, मर मर के जी रही हूँ

होती है दिल में और आँख कर रही है

ऐ दिल मेरी वफ़ा में ...

Ai Dil Meri Wafa M...
जब बात अनोखा प्यार फिल्म की चली हो तो लगे हाथ इस फिल्म के दो और सुन्दर गाने भी आपको सुनवा देता हूँ। और वह है जीवन सपना टूट गया- यह गाना जिया सरहदी ने लिखा है और इसे लता जी और मुकेश दोनो ने अलग अलग गाया है। दोनों गानों की पहली पंक्ति एक सी है - जीवन सपना टूट गया। बाकी का गाना पूरा अलग है। लीजिये दोनों गानों का आनन्द उठाईये। पहले लताजी का गाया हुआ।
Jeevan Sapna Toot ...
और मुकेशजी का गाया हुआ :
JeevanSapnaTootGay...

NARAD:Hindi Blog Aggregator

title="नई प्रविष्टी"> width="125" height="30">

Learn-Hindi, Hindi-Blogging, Hindi, Hindi-Blog, Old-Hindi-Songs, Hindi-Films-Song, Rare-Hindi-Songs, Hindi-Film-Sangeet, हिन्दी-खोज, हिन्दी-ब्लॉग, हिन्दी-चिट्ठाकारिता, सफल-हिन्दी-चिट्ठाकारिता, प्रसिद्ध-चिट्ठे, प्रसिद्ध-हिन्दी-चिट्ठे, चिट्ठा-प्रचार, चिट्ठा-प्रसार, जाल-प्रचार, जाल-सफलता, पुराने-हिन्दी-गाने, हिन्दी-फिल्म-संगीत,

Saturday 1 September, 2007

एम कांई दिलीप कुमार बनातु नथी- युसुफ़ साहब की आवाज में एक गाना सुनिये

कुछ वर्षों पहले मैं चित्रलेखा गुजराती समूह की पत्रिका "जी" का विशॆषांक पढ़ रहा था, जी साप्ताहिक गुजराती फिल्म पत्रिका है, और सबसे साफ सुथरी पत्रिका कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें दिलीप कुमार पर एक लेख था एम कांई दिलीप कुमार बनातु नथी। इसका अर्थ है कि यों ही दिलीप कुमार नहीं बना जाता ( यानि दिलीप कुमार बनने कि लिये बहुत मेहनत करनी पड़ती है)
लेख में जिक्र था फिल्म कोहिनूर की शूटिंग के समय का जब निर्देशक एस यू. सनी साहब गाना मधुबन में राधिका नाची रे.. का फिल्मांकन कर रहे थे , इस गाने में दिलिप कुमार को सितार बजाते दिखाना था, सनी साहब ने निश्चय किया कि गाने में दिलीप कुमार के चेहरे का क्लोज अप ले लेंगे और सितार बजाते समय संगीतकार ( नाम याद नहीं आ रहा) को वही कपड़े पहन कर बिठा देंगे और उनकी शूटिंग कर लेगे। यह बात दिलिप कुमार को पता चली तो वे जिद पर अड़ गये कि इस गाने की शूटिंग एक महीने बाद कीजिये, पर क्यों यह यह दिलीप कुमार ने नहीं बताया।
सनी साहब ने दिलीप कुमार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
एक महीने बाद जब उस गाने को शूट करने का समय आया तो दिलिप कुमार सितार ले कर बैठे और खुद उन्होने सितार बजाया; और इतना जबरदस्त बजाया कि गाने की शूटिंग पूरी होने के बाद जब सितार नीचे रखा तब उनकी उंगलियाँ खून से लथपथ थी। यानि दिलिप कुमार ने मात्र एक महीने में सितार बजाना सीख लिया, जिसमें लोगों को बरसों लग जाते हैं।
धन्य है ऐसे महान अभिनेता को।
महफिल में आज मैं आपको फिल्म मुसाफिर का वह सुन्दर गाना सुनाने जा रहा हूँ ,जिसमें लता जी का साथ दिया है खुद दिलीप कुमार ने, इस सुन्दर गाने को सुनने के बाद आपको महसूस होगा कि दिलीप कुमार अगर गायन जारी रखते तो एक अच्छे गायक- अभिनेता बन सकते थे।
खूबसूरत सुचित्रा सेन और दिलीप कुमार के अभिनय वाली यह सुन्दर फिल्म निर्देशित की थी ऋषिकेष मुखर्जी ने, ( ऋषि दा की फिल्म हो तो गुणवत्ता का अंदाजा वैसे भी लग जाता है)
इस फिल्म की कहानी थी राजेन्द्र सिंह बेदी की और संवाद लिखे थे ऋत्विक घटक ने। और फिल्म का संगीत दिया है सलिल(दा) चौधरी ने।

दि. कु:. लागी नाहीं छूटेऽऽऽऽ राम चाहे जिया जाये
लता: आऽऽऽऽऽ चाहे जिया जाये

दिकु: ओ मन अपनी मस्ती का जोगी
कौन इसे समझाये
लता: आऽऽऽ कौन इसे समझाये
दिकु: चाहे जिया जाये
लता: लागी नाहीं छूटे रामा चाहे जिया जाये

दिकु:रिमझिम रिंमझिम दुनियां बरसी -छिड़ी प्यार की बातें
लता: मीठी मीठी आग में सुलगी कितनी ही बरसातें
दोनों: रिमझिम रिमझिम ........

लता: जानबूझ कर दिल दीवाना बैठा रोग लगाये- चाहे जिया जाये
दिकु लागी नाहीं छूटे
लता: चाहे जिया जाये

लता: लागी नाहीं छूटे रामाऽऽऽ चाहे जिया जाये
मन अपनी मस्ती का जोगी- २
कौन इसे समझाये- चाहे जिया जाये

दिकु : तारों में मुस्कान है तेरी तेरी चांद तेरी परछाई
उतने गीते हैं जितनी रातें हमने साथ बिताई
लता: कैसे भूलूं रे सांवरियाऽऽऽ करूं मैं कौन उपाय

दोनों: चाहे जिया जाये

लता: रिमझिम रिंमझिम दुनियां बरसी -छिड़ी प्यार की बातें
मीठी मीठी आग में सुलगी कितनी ही बरसातें
रिमझिम रिमझिम ........
जाबूझ कर दिल दीवाना बैठा रोग लगाये- चाहे जिया जाये
दिकु: लागी नाहीं छूटे
लता: चाहे जिया जाये

Get this widget | Share | Track details




NARAD:Hindi Blog Aggregator


title="नई प्रविष्टी">
width="125" height="30">



Learn-Hindi, Hindi-Blogging, Hindi, Hindi-Blog, Old-Hindi-Songs, Hindi-Films-Song, Rare-Hindi-Songs, Hindi-Film-Sangeet, हिन्दी-खोज, हिन्दी-ब्लॉग, हिन्दी-चिट्ठाकारिता, सफल-हिन्दी-चिट्ठाकारिता, प्रसिद्ध-चिट्ठे, प्रसिद्ध-हिन्दी-चिट्ठे, चिट्ठा-प्रचार, चिट्ठा-प्रसार, जाल-प्रचार, जाल-सफलता, पुराने-हिन्दी-गाने, हिन्दी-फिल्म-संगीत,

Blog Widget by LinkWithin

गीतों की महफिल ©Template Blogger Green by Dicas Blogger.

TOPO