संभव है कि होम पेज खोलने पर इस ब्लॉग में किसी किसी पोस्ट में आपको प्लेयर नहीं दिखे, आप पोस्ट के शीर्षक पर क्लिक करें, अब आपको प्लेयर भी दिखने लगेगा, धन्यवाद।

Thursday 24 June, 2010

दिल तोड़ने वाले देख के चल हम भी तो पड़े हैं राहों में


आज सुबह अपने खज़ाने में से इकबाल बानो/Iqbal Bano की गज़लों को सुन रहा था, अचानक एक ऐसी गज़ल बजने लगी कि दिल झूमने लगा। इसे मैने पहले कभी भी नहीं सुना था, मेरे अपने संग्रह में होने के बावजूद...... एक बार से मन नहीं भरा.. बार बार सुनी। फिर मन हुआ कि क्यों ना आपको भी सुनवाया जाये। वैसे भी महफिल महीनों से सूनी पड़ी है।

गज़ल और गायिका के लिए कुछ भी नहीं कहा जायेगा, बस सुनिये और आनन्द लीजिये।

उल्फ़त की नई मंज़िल को चला
तू बाहों में बाहें डाल के
दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े हैं राहो में

क्या क्या ना जफ़ायें दिल पे सही
पर तुम से कोई शिकवा न किया
इस जुर्म को भी शामिल कर लो
मेरे मासूम गुनाहों में

जहाँ चांदनी रातों में तुम ने
खुद हमसे किया इकरार ए वफ़ा
फिर आज है क्यों हमसे बेगाने
तेरी बेरहम निगाहों में

हम भी है वोही, तुम भी वोही
ये अपनी अपनी किस्मत है
तुम खेल रहे हो खुशियों से
हम डूब गये हैं आहों में

दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े है राहों में

फिल्म: कातिल (पाकिस्तान) १९५५
शायर:कतील शिफ़ाई
इस गीत को हिन्दी फिल्म कामसूत्र में शोभागुर्टू ने भी गाया था।

डाउनलोड लिंक

Blog Widget by LinkWithin

गीतों की महफिल ©Template Blogger Green by Dicas Blogger.

TOPO