ऋतु आये ऋतु जाये सखी री... चार रागों में ढ़ला एक शास्त्रीय गीत
मिर्जा गालिब की गज़ल मित्रों को बहुत पसंद आई और साइडबार के सी बॉक्स में एक मित्र प्रहलाद यादव ने आग्रह किया कि आप कुछ शास्त्रीय रचनायें भी हमें सुनायें। खुद मेरी भी कई दिनों से इच्छा हो रही थी कि कोई शास्त्रीय रचना महफिल पर सुनाऊं।
शास्त्रीय रचनायें इतनी सारी है कि उनमें से एक अनमोल को चुनना बड़ा मुश्किल है। परन्तु बड़ी मेहनत के बाद मैने एक गीत आपके लिये पसंद किया है जो लगभग बहुत दुर्लभ सा है। एक जमाने का यह बहुत प्रसिद्ध गीत अब कहीं भी सुनने को नहीं मिलता।
प्रेम धवन के लिखे और फिल्म हमदर्द (1953 ) के इस गीत की सबसे बड़ी खासियत है कि अनिल बिश्वास ने इस गीत को शास्त्रीय संगीत के चार रागों में ढ़ाला है। ये चार राग क्रमश: राग गौड़ सारंग, राग गौड़ मल्हार, जोगिया और बहार है।
यह चारों राग चार अलग -अलग ऋतुओं पर आधारित है, जैसे गर्मी (जेठ महीने) के लिये राग गौड़ सारंग, वर्षा/ बरखा के लिये गौड़ मल्हार, पत्तझड़ के लिये जोगिया और इसी तरह बंसत बहार ऋतु के लिये राग बहार।
लता जी के एक साक्षात्कार में एक बार सुना था कि अनिल दा ने इस गीत के लिये मन्नाडे और लता जी को लगातार १४ दिनों तक रियाज करवाया! परिणाम हम देख सकते हैं। इस जोड़ी ने ने एक अमर कृति की रचना करदी। यह गीत उस जमाने में बहुत ही लोकप्रिय हुआ। अब आपको ज्यादा बोर नहीं करना चाहूंगा बस आप इस बहुत ही सुंदर गीत को सुनिये। मेरा विश्वास है शास्त्रीय संगीत के प्रशंषक इस गीत को सुन कर झूम उठेंगे।
लेख लिखते समय जल्दबाजी में एक दो बातें कहनी रह गई थी और एक बात जो पता नहीं थी वह संजय भाई पटेल ने बताई और मैं यहाँ उन्हीं के शब्दों को पेस्ट कर रहा हूँ -
इस गीत का वीडियो देखिये। शेखर औरश्यामा निम्मी गा रहे हैं और गीत में शायद नलिनी जयवंत यशोधरा कात्जु दिख रहे हैं। श्यामा निम्मी ने अपनी खूबसूरत आँखों से कितना सुंदर अभिनय कर गीत में जान डाल दी है।
राग गौड़ सारंग
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
मन के मीत न आए
जेठ महीना जिया घबराए
पल पल सूरज आग लगाए
दूजे बिरहा अगन लगाए
करूँ मैं कौन उपाय
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
राग गौड़ मल्हार
बरखा ऋतु बैरी हमार
जैसे सास ननदिया
पी दरसन को जियरा तरसे
अँखियन से नित सावन बरसे
रोवत है कजरा नैनन का
बिंदिया करे पुकार
बरखा ऋतु बैरी हमार
राग जोगिया
पी बिन सूना जी
पतझड़ जैसा जीवन मेरा
मन बिन तन ज्यूँ जल बिन नदिया
ज्यों मैं सूनी बिना साँवरिया
औरों की तो रैन अँधेरी
पर है मेरा दिन भी अँधेरा
पी बिन सूना जी
बहार
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
फूल फूल पर भ्रमर गूँजत
सखी आए नहीं भँवर हमार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
कब लग नैनन द्वार सजाऊँ
दीप जलाऊँ दीप बुझाऊँ
कब लग करूँ सिंगार रे
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री,
बहार री, बहार री
शास्त्रीय रचनायें इतनी सारी है कि उनमें से एक अनमोल को चुनना बड़ा मुश्किल है। परन्तु बड़ी मेहनत के बाद मैने एक गीत आपके लिये पसंद किया है जो लगभग बहुत दुर्लभ सा है। एक जमाने का यह बहुत प्रसिद्ध गीत अब कहीं भी सुनने को नहीं मिलता।
प्रेम धवन के लिखे और फिल्म हमदर्द (1953 ) के इस गीत की सबसे बड़ी खासियत है कि अनिल बिश्वास ने इस गीत को शास्त्रीय संगीत के चार रागों में ढ़ाला है। ये चार राग क्रमश: राग गौड़ सारंग, राग गौड़ मल्हार, जोगिया और बहार है।
यह चारों राग चार अलग -अलग ऋतुओं पर आधारित है, जैसे गर्मी (जेठ महीने) के लिये राग गौड़ सारंग, वर्षा/ बरखा के लिये गौड़ मल्हार, पत्तझड़ के लिये जोगिया और इसी तरह बंसत बहार ऋतु के लिये राग बहार।
लता जी के एक साक्षात्कार में एक बार सुना था कि अनिल दा ने इस गीत के लिये मन्नाडे और लता जी को लगातार १४ दिनों तक रियाज करवाया! परिणाम हम देख सकते हैं। इस जोड़ी ने ने एक अमर कृति की रचना करदी। यह गीत उस जमाने में बहुत ही लोकप्रिय हुआ। अब आपको ज्यादा बोर नहीं करना चाहूंगा बस आप इस बहुत ही सुंदर गीत को सुनिये। मेरा विश्वास है शास्त्रीय संगीत के प्रशंषक इस गीत को सुन कर झूम उठेंगे।
लेख लिखते समय जल्दबाजी में एक दो बातें कहनी रह गई थी और एक बात जो पता नहीं थी वह संजय भाई पटेल ने बताई और मैं यहाँ उन्हीं के शब्दों को पेस्ट कर रहा हूँ -
संजय पटेल: आई ऋतु में लता-मन्ना दा के साथ एक और गायक है...सारंगी जिसे बजाया है पं.रामनारायणजी ने देखिये तो किस कमाल के साथ तार स्वर बन गए हैं।और दूसरी बात जो मुझसे लिखनी रह गई वह नीचे संजय भाई की टिप्पणी में है।
इस गीत का वीडियो देखिये। शेखर और
राग गौड़ सारंग
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
मन के मीत न आए
जेठ महीना जिया घबराए
पल पल सूरज आग लगाए
दूजे बिरहा अगन लगाए
करूँ मैं कौन उपाय
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
राग गौड़ मल्हार
बरखा ऋतु बैरी हमार
जैसे सास ननदिया
पी दरसन को जियरा तरसे
अँखियन से नित सावन बरसे
रोवत है कजरा नैनन का
बिंदिया करे पुकार
बरखा ऋतु बैरी हमार
राग जोगिया
पी बिन सूना जी
पतझड़ जैसा जीवन मेरा
मन बिन तन ज्यूँ जल बिन नदिया
ज्यों मैं सूनी बिना साँवरिया
औरों की तो रैन अँधेरी
पर है मेरा दिन भी अँधेरा
पी बिन सूना जी
बहार
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
फूल फूल पर भ्रमर गूँजत
सखी आए नहीं भँवर हमार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
कब लग नैनन द्वार सजाऊँ
दीप जलाऊँ दीप बुझाऊँ
कब लग करूँ सिंगार रे
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री,
बहार री, बहार री
12 टिप्पणियाँ/Coments:
वाह सागर भाई एक दम मस्त कर दिया सुबह सुबह. इसी फ़िल्म का गीत "पी बिन सूना रे" भी सुनने का बहुत मन करता है. क्या करूं ?
सागर भाई...प्रणाम.
इस रचना में कंपोज़िशन के कमाल के साथ ही एक और बात रेखांकित करने योग्य है और वह है लता जी और मन्ना दा की विलक्षण गुलूकारी.क्या लोग थे सागर भाई...कितना परिश्रम था उन दिनों. ट्रेक्स नहीं होते थे. अनिल दा जैसे परफ़ेक्शनिस्ट के साथ काम करना कितना कठिन होता होगा सोचिये.हर रीटेक को वैसा ही गाना होता था जैसा आपने रिहर्सल में गाया है...और हाँ स्थायी यानी गीत के मुखड़े को भी हर अंतरे के बाद वैसा ही गाना होता था जैसा आपने गीत की शुरूआत में गाया है....चौदह घंटे वाले रियाज़ की बात एकदम ठीक है ...अनिल दा ने ख़ुद ये बात मुहे अपने इन्दौर प्रवास के दौरान बताई थी.उस मुलाक़ात की तफ़सील कभी और.
अच्छे गीत के साथ साथ आपने इतनी विस्तृत जानकारी दी , धन्यवाद !
SAGARji,shukriyaa....dobara sun kar mun khush ho gaya
अच्छा गीत है। शास्त्रीय संगीत हमेशा ही लगता है।
शास्त्रीय संगीत तो हमेशा से कानों में अमृत घोलता है पर इस गीत की तो बात ही निराली है। आप की इतनी विस्तृत जानकारी देने से ये गीत और कर्णप्रिय हो गया। बार बार सुनने को मन करता है। इस लिए चुरा कर ले जा रही हूँ…:)
सुंदर रागमाला । कुछ और फिल्मों में भी इस तरह की रागमालाएं बनाई गयी हैं । याद आते ही आपको सूचना दी जायेगी ।
वाह सागर भाई
क्या उम्दा सँगीत सुनवाया आपने ..
सँजय भाई, की बातेँ भी
बेहद ज्ञानपूर्ण रहीँ
और्,
युनूस भाई ,
ममता फिल्म मेँ भी रागमाला का गीत है वही सुनवा देँ
- लावण्या
Sagarbhai
Wonderful song. The singing lady is Nimmi and not Shyama.I am wondering how previous comment makers (including Lavanyaji) have not noticed this error. Plz correct me if I am wrong.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
May 6, 2008
सागरभाइ
और एक भूल लिखना चाह्ता हु
वो नलिनि जयवँत नही बल्कि यशोध्ररा कात्जु हैं
-हर्षद जाँगला
सभी मित्रों का धन्यवाद कि आप सभी को गीत पसंद आया।
@हर्षद भाई
सचमुच बहुत बड़ी भल हुई श्यामा के बारे में,, कान पकड़ता हूँ। गलती सुधार दी है।
यशोधरा कात्जु के बारे में तो पक्का पता नहीं था इसलिये पोस्ट में शायद नलिनी जयवंत शब्द लिखा था।
Harshad bhai,
some how I could only hear the Song clip not watch the YouTube vesion
hence i did not know who these actresses were --
Thank you for correcting though
Rgds,
L
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