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Monday 19 October, 2020

ताजमहल मेरे ताज : सचिन दा का अनसुना-कमसुना गीत

सचिन देव बर्मन दा के गाए गीतों की सूचि बनाए जाए तो हमें यह गीत ध्यान में आते हैं
उम्मीद भरा पंछी-8 दिन
सुन मेरे बंधु रे - सुजात
मेरे मांझी हैं उस पार - बन्दिनी
वहाँ कौन है तेरा - गाईड
अल्लाह मेघ दे - गाईड
काहे को रोये - आराधना
मेरी दुनिया है माँ तेरे आंचल में - तलाश
प्रेम के पुजारी हम हैं- प्रेम पुजारी
जिन्दगी ए जिन्दगी - जिन्दगी जिन्दगी
डोली में बिठाय के - अमर प्रेम 

 
यह सब बहुत ही हिट गीत हैं और अक्सर कहीं न कहीं सुनाई दे जाते हैं। लेकिन कुछ गीत ऐसे भी होंगे जिन्हें हमने अब तक नहीं सुने होंगे। ऐसा ही एक गीत आज आपके लिए प्रस्तुत है। यह गीत 1941 की फिल्म ताजमहल का है और इसके संगीतकार हैं मधुलाल दामोदर मास्टर! 
यह 1941 की फिल्म ताजमहल का गीत है इसमें संगीतजगत के दिग्गज संगीतकार सचिन दा ने मधुलालजी के लिए गाया है। 

 
प्रेम की प्यारी निशानी
जाग रही सर पे बादल ताज
रुक मुसाफिर आँसूओं की
भेंट चढ़ा ले आज
सर पे बादल ताज
 
आहें, आहें तुम्हारी ऎ शाहजहाँ
रख गयी ये प्रेम का निशान
मौत जीत के तुम ही बसाए
यहाँ प्रेम का राज
ताजमहल मेरे ताज-2 
 
प्रेम की रानी कहाँ मुमताज़
पिया के अभिमान
तुम्हारी याद करे करे रोये
प्यारा हिन्दुस्तान
आँसू बहावओ आगे जमुना
जमुना, जमुना
चमेली, कुसुम रोये अपना
चमेली, चमेली, चमेली
बुझ गयी शम्मा महफ़िल की
पडे रह गये साज़
ताजमहल मेरे ताज

   


मधुलाल जी हिन्दी फिल्म जगत के सबसे पहली पीढी के संगीतकारों में से एक हैं। आप के ऑरकेस्ट्रा में सज्ज़ाद साहब और नौशाद साहब जैसे दिग्गज संगीतकार वाद्ययंत्र बजाया करते थे। पंकज राग की पुस्तक "धुनों की यात्रा का यह अंश" देखिए।




 मधुलाल जी की कहानी-उन्हीं की जबानी
 

Sunday 11 October, 2020

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो: एक भूला बिसरा गीत


आपने  मिनर्वा मूवीटोन की और 1950 की फिल्म शीशमहल का गीत "हुस्न वालों की गलियों में जाना नहीं-ज़हर खाना मगर दिल लगाना नहीं" जिसे शमशाद बेगम ने गाया है; बहुत बार रेडियो पर सुना होगा, लेकिन इसी फिल्म में एक  और गीत है जो इस गीत से कहीं ज्यादा सुरीला है लेकिन (कभी कभार रेडियो शिलॉन को छोड़ कर) पता नहीं क्यों यह गाना कहीं सुनाई नहीं देता । 
इस गीत को पद्‍मश्री पुष्पा हंस ने गाया है और फिल्म में अभिनय भी किया है।
इस फिल्म की एक और खास बात यह है प्रसिद्ध गीतकार प्रेम धवन और संगीतकार ने इस फिल्म में नृत्य निर्देशन भी किया था।
आईये सुनते हैं इस मधुर गीत को।

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो-2
कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो-2
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये हमेशा से है तक़दीर की गर्दिश का चालन-2
चाँद सूरज को भी लग जाता है एक बार ग्रहण 
वक़्त की देख के तब्दीलियां हैरान ना हो- 2 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये है दुनियां यहाँ दिन ढलता है शाम आती है- 2 
सुबह हर रोज नया ले के पयाम आती है 
जानी बुझी हुई बातों से तू अन्ज़ान ना हो 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 
कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो

गीतकार : शम्स लखनवी एवं बेज़ाद लखनवी
संगीतकार: वसंत देसाई 
फिल्म: शीशमहल 1950












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