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Monday 22 February, 2010

मियां की मल्हार और एक अजीब कहानी : बादल उमड़ बढ़ आये

कुछ दिनों पहले मास्साब पंकज सुबीर जी के चिट्ठे पर, महान गायक पं कुमार गन्धर्व के सुपुत्र पं मुकुल शिवपुत्र के बारे में पढ़ा था कि कुमार गंधर्व के सुपुत्र मुकुल शिवपुत्र शराब के लिए भोपाल की सड़कों पर दो- दो रुपयों के लिए भीख मांग रहे हैं। यह समाचार पढ़ कर मन बहुत आहत हो गया। एक महान कलाकार के सुपुत्र पण्डित मुकुल शिवपुत्र जो स्वयं खयाल गायकी में बहुत जाने माने गायक हों, कि यह हालत!
खैर, अब पता नहीं मुकुल जी कहां है किस हालत में है?
मेरे संग्रह में एक मियां की मल्हार/ मल्हार राग पर कुछ गीत हैं जिन्हें मैने वर्षा ऋतु के आगमन पर एक पोस्ट लिखा कर सुनवाने की सोच रखी थी; में से एक गीत सुनते हुए मुझे लगा कि यूट्यूब पर इसका वीडियो देखना चाहिए... जब वीडियो देखा तो दंग रह गया, मानो फिल्म की निर्देशिका सई परांजपे जी ने मुकुल जी की कहानी को लेकर यह गीत फिल्माया हो, यह अलग बात है कि यह फिल्म 1998 में ही बन चुकी थी। तो क्या मुकुलजी.......?
वर्षा ऋतु के आगमन तक मुझसे इंतजार नहीं होगा मैं आपको इस खूबसूरत गीत को सुनवा रहा हूँ। आप इस गीत को सुनिये और देखिये... मियां की मल्हार।
साज़ फिल्म में संगीत राजकमल और भूपेन हजारिका दोनों का है। इस गाने का संगीतकार कौन है पता नहीं चला। अगर आप जानते हैं तो टिप्प्णी में जरूर बतायें।
सुरेश वाडेकर जी की आवाज में गीत


बादल घुमड़ बढ़ आये-२
काली घटा घनघोर गगन में-२
अंधियारा चहुं ओर
घन बरसत उत्पात प्रलय का
प्यासा क्यूं मन मोर-२
बादल घुमड़ बढ़ आये-२

Download link


यही गीत फिल्म में बाद में वृंदावन (रघुवीर यादव) की बिटिया बंसी (शबाना आज़मी) भी एक समारोह गाती है। इस गीत में दो पैरा भी जोड़े गये हैं, आईये इस का भी आनन्द लीजिये। फिल्म में इसे सुप्रसिद्ध गायिका देवकी पण्डित ने अपनी आवाज दी है।

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बादल बरस अब मौन भए-२
बादल
रवि उज्जवल प्रज्वलित गगन में
प्रज्वलित गगन में-
गगन में-गगन में-गगन में -गगन में
रवि उज्जवल प्रज्वलित गगन में
कनकालंकृत मोर
जय मंगल जय घोष गगन का
जय घोष गगन का
आऽऽऽऽऽऽऽऽ
शुभ उत्सव चहूं ओर-२
बादल बरस अब मौन भए..


और अब देखिये दोनों वीडियो




Sunday 14 February, 2010

पंडित नरेन्द्र शर्मा, अली अकबर खां और लताजी का एक अनोखा गीत

-गीतकार आदरणीय पंडित नरेन्द्र शर्माजी को उनकी पुण्यतिथी (11 फरवरी) पर सादर समर्पित-
आप कल्पना कीजिये अगर हिन्दी के सुप्रसिद्ध गीतकार पंडित नरेन्द्र शर्माजी (Pt. Narendra Sharma), जिनके अधिकांश गीत शुद्ध हिन्दी में लिखे गये हैं; अगर उर्दू में गीत लिखें तो! अच्छा ऐसा कीजिये कल्पना मत कीजिये नीचे दिये प्लेयर के प्ले बटन पर क्लिक कर शान्ति से पूरे गीत को सुनिये। देखिये फिल्म आंधियां (Andhiyaan-1952) का यह गीत कितना शानदार है।
हो भी ना क्यों, इसमें पण्डितजी और लता जी (Lata Mangeshkar) के साथ संगीत की जुगलबंदी सुप्रसिद्ध सरोदवादक उस्ताद अली अकबर खाँ (Ustad Ali Akbar Khan) साहब ने जो की है। यानि इस गीत का संगीत अली अकबर खां साहब का दिया हुआ है। यह गीत तीन भागों में है। हर भाग एक अलग अलग मूड में है।
इस फिल्म आंधियां में मुख्य भूमिकायें देवानन्द (Devanand), निम्मी( Nimmi) , दुर्गा खोटे( Durga Khote), कल्पना कार्तिक (Kalpana Kartik) और के. एन सिंह (K.N.Singh) ने निभाई थी। नवकेतन (Navketan)बेनर्स के तले बनी इस फिल्म का निर्देशन चेतन आनंद (Chetan Anand) ने किया था।
लीजिये गीत सुनिये-



है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ
आती हैं दुनिया में सुख-दुख की सदा यूँ आँधियाँ, आँधियाँ -२
है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ

क्या राज़ है, क्या राज़ है- क्या राज़ है, क्या राज़ है
आज परवाने को भी अपनी लगन पर नाज़ है, नाज़ है
क्यों शमा बेचैन है, ख़ामोश होने के लिये -२
आँसुओं की क्या ज़रूरत-२
दिल को रोने के लिये-२
तेरे दिल का साज़ पगली-२
आज बेआवाज़ है-२
है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ

आऽहै कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ-२
आती हैं दुनिया में सुख-दुख की सदा यूँ आँधियाँ, आँधियाँ

आईं ऐसी आँधियाँ
बुझ गया घर का चिराग़
धुल नहीं सकता कभी जो पड़ गया आँचल में दाग़ -२
थे जहाँ अरमान -थे जहाँ अरमान
उस दिल को मिली बरबादियाँ, बरबादियाँ
है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ -२

ज़िंदगी के सब्ज़ दामन में -२
कभी फूलों के बाग़
ज़िंदगी के सब्ज़ दामन में
ज़िंदगी में सुर्ख़ दामन में कभी काँटों के दाग़ -२
कभी फूलों के बाग़ कभी काँटों के दाग़
फूल-काँटों से भरी हैं ज़िंदगी की वादियाँ

है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ
आती हैं दुनिया में सुख-दुख की सदा यूँ आँधियाँ, आँधियाँ -२
है कहीं पर शादमानी और कहीं नाशादियाँ


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लावण्यादी की पापाजी को श्रद्धान्जली
पापाजी , आपकी बिटिया , आपको सादर प्रणाम करती है

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