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आज अनिल दा ( अनिल बिश्वास) को गये पाँच बरस पूरे हो गये। आपने हिन्दी फिल्मों के गीत संगीत के लिये जो कुछ किया वह अविस्मरणीय है। आज अनिल दा पुण्य तिथी पर मैं अपने पाठकों को आपका ही गाया हुआ आरजू फिल्म का गीत सुनवाकर आपको श्रद्धान्जलि अर्पित करता हूँ...
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5 टिप्पणियाँ/Coments:
सागर भाई आपने बहुत मुहब्बत से अनिल दादा को याद किया. धन्यवाद. उस्ताद को मेरी भी श्रद्धांजलि.
भारतीय चित्रपट संगीत के भीष्म - पितामह को आपने बड़ी शिद्दत से याद किया सागर भाई...और उन्हीं की आवाज़ में ये क़व्वाली की छाप वाला नग़मा जैसे एक सच्ची अक़ीदत पेश करता है .फ़िल्मी गीतॊं को मराठी नाट्य संगीत और रवीन्द्र संगीत के प्रभाव से बाहर लाने का श्रेय अनिल दा के सर माथे ही है. और हाँ लता जी कहतीं हैं किसी गीत के मीटर को बरक़रार रखने के लिये गायक में ये जागरूकता ज़रूरी है कि वह गाते गाते कहाँ साँस ले ...ये जगह क्या हो...ये बात मुझे (लताजी को )अनिल दा ही ने बताई थी.प्रणाम उनकी स्मृति को.
वाह सागर भाई । शुक्रिया । अनिल दा से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ख़ाकसार को ।
हम उनके बहुत बहुत बहुत बड़े फैन हैं ।
कहीं से जुगाड़कर उनके कोरल गीत सुनवाएं । चलो भोर के राही इत्यादि ।
ये सागर नाहर भाइस्सा का संगीत के प्रति जूनून दर्शाता शानदार जाल घर है ..हिन्दी ब्लॉग जगत के लिए , अविस्मरणीय रहेगा ... ।
Very nice write uo on Anil da with a rare song sung by him --
( do read my Blog with mention of your efforts )
regards,
- lavanya
bahut shukriya..aap jaise log unhe yaad rakh unhe doosre logo ke sath bantte hai......
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