ये ना थी हमारी किस्मत के विसाले यार होता : नूरजहाँ और सलीम रज़ा
मित्रों आज प्रस्तुत है आपके लिये मिरजा ग़ालिब की गज़ल ये ना थी हमारी किस्मत.. यह गज़ल आपने कई कलाकारों की आवाज में सुनी होगी। परन्तु मुझे सबसे ज्यादा बढ़िया लगती है स्व. तलत महमुद साहब के द्वारा गाई हुई भारत भूषण और सुरैया अभिनित फिल्म मिर्जा गालिब फिल्म की यही गज़ल.. ये ना थी।
कुछ दिनों पहले मैने सलीम रज़ा और मल्लिका-ए-तरन्नुम (मैडम) नूरजहां के द्वारा गाई हुई 1961 में बनी पाकिस्तानी फिल्म गालिब की यह गज़ल सुनी। सुनने के बाद इस गज़ल का संगीत भी बहुत पसन्द आया तो आज आपके लिये यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस फिल्म की एक खास बात और है, और वह ये कि यह फिल्म नूरजहाँ की आखिरी फिल्म है।
8 टिप्पणियाँ/Coments:
ज़माने बाद ये गीत सुनने को मिला। सागर भाई शुक्रिया।
सागर भाई यह गज़ल बेगम अख्तर ने भी गायी है. क्या इंटरनेट पर बेगम अख्तर की गायी गज़लें उपलब्ध नहीं हैं? ऑडियो कैसेट तो मशक्कत के बाद उपलब्ध हो जाते हैं पर सीडी या इंटरनैट पर कैसे मिल सकेंगीं..
bahut badhiyaa..shukriyaa sagar ji
वाह सागर भाई, मज़ा आ गया. बहुत बहुत शुक्रिया. वैसे मुझे "मिर्ज़ा ग़ालिब" फ़िल्म से सुरैय्या की आवाज़ में ये गीत इतना ही पसंद है.
ये ना थी हमारी क़िस्मत....सुन कर आनन्द आ गया... बहुत बहुत शुक्रिया
वाह जी, आनन्द आ गया.
सच... ग़ालिब ग़ालिब हैं, उनके जैसा कोई नहीं
और उनकी शयरी को गान आसान नहीं
बेहद खूबसूरत गायकी और उम्दा शायरी का उदाहरण... शुक्रिया
सलीम राजा के गाये गानों को मै दूसरी बार सुन रहा हूँ , पहली बार तो कशमीर का नाम आने से मुँह कसैला हो गया , लेकिन गायकी को तो सलाम ही करना पडॆगा । गाना सुनवाने के लिये शुक्रिया !
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