माँ : खोज एक गीत की
शायद सन 1991-92 की बात होगी, जब नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री हुआ करते थे और एन डी ए सरकार के इण्डिया शाइनिंग की तरह उन दिनों टीवी पर एक विज्ञापन बहुत चला करता था, जिसमें बताया जाता था कि किस तरह नरसिम्हा राव ने भारत की तस्वीर बदल दी।
विज्ञापन में एक महिला खुशखुशाल भाग कर घर में आती है और अपनी संदूक में कपड़ों के नीचे से एक तस्वीर निकालकर अपनी साड़ी से पोंछती है, यह तस्वीर नरसिम्हाराव जी की होती है। पार्श्व में एक गीत भी चलता रहता है।
इस विज्ञापन के साथ उन दिनों एक गाना भी टीवी पर बहुत दिखता था। यह गाना सागरिका (मुखर्जी) के एक अल्बम का था और जिसमें सागरिका अपनी माँ के लिये कहती है...प्रेम की मूरत दया की सुरत, ऐसी और कहां है, जैसी मेरी माँ है
मुझे पॉप बिल्कुल नहीं भाते पर यह गीत एक पॉप गायिका ने गाया था और पता नहीं क्यों यह गाना मुझे बहुत पसंद था। धीरे धीरे इस गीत को सब भूलते गये, (शायद सागरिका भी) पर मैं इस गाने को बहुत खोजता रहा पर मुझे नहीं मिला। क्यों कि एल्बम का नाम पता नहीं था और सागरिका कोई बहुत बड़ी स्टार गायिका भी नहीं थी कि गीत की कुछ लाईनों से गीत खोज लिया जाता।
हैदराबाद में साईबर कॉफे चलाते हुए नेट पर भी बहुत खोजा पर यह गीत नहीं मिला, यूनुस भाई से अनुरोध किया तो उन्होने कहा, गीत छोड़िये हम सागरिका का एक इन्टर्व्यू ही कर लेते हैं। पर शायद सागरिका अपने परिवार के साथ विदेश में रहती है इस वजह से अब तक वह भी नहीं हो पाया।
कुछ दिनों पहले मैने एक सीडी की दुकान वाले को ५०/- एडवान्स दिये और उसे कहा तो उसने भी चार दिन पास पैसे वापस लौटा दिये और कहा कि भाई मुझे सीडी नहीं मिली।
मेरे एक मित्र कम ग्राहक अनुज से यह बात की तो उन्होने मुझे चैलेन्ज दिया कि वह इस गीत को दो दिन में खोज लेंगे और वाकई उन्होने खोज भी दिया। धन्यवाद अनुज भाई।
लीजिये आप भी इस गीत को सुनिये । और हाँ इस गीत को लिखा है निदा फ़ाज़ली ने। इस गीत को सागरिका ने जैसे सच्चे दिल से गाया है, अपनी माँ को याद करते हुए। तभी यह गीत इतना मधुर बन पाया है। गीत सुनते हुए मुझे मेरी माँ याद आती है। आपको आती है कि नहीं? बताईयेगा।
धूप में छाय़ा जैसी
प्यास में नदिया जैसी
तन में जीवन जैसे
मन मैं दर्पन जैसे
हाथ दुवा वाले
रोशन करे उजाले
फूल पे जैसे शबनम
साँस में जैसे सरगम
प्रेम की मूरत दया की सुरत
ऐसी और कहां है
जैसी मेरी माँ है
जहान में रात छाये
वो दीपक बन जाये
जब कभी रात जगाये
वो सपना बन जाये
अंदर नीर बहाये
बाहर से मुस्काये
काया वो पावन सी
मथुरा वृंदावन जैसी
जिसके दर्शन मैं हो भगवन
ऐसी और कहां है
जैसी मेरी माँ है
( इस प्लेयर को लगाने का सुझाव श्री अफलातूनजी ने दिया। वर्डप्रेस.कॉम पर गाने चढ़ाना बहुत मुश्किल काम है। यह जुगाड़ अच्छा है पर इसकी प्रक्रिया बहुत ही लम्बी है, फिर भी एक शुरुआत तो हुई, धन्यवाद अफलातूनजी।)
11 टिप्पणियाँ/Coments:
"bhut sukhad or sunder"
Regards
धूप में छाय़ा जैसी
प्यास में नदिया जैसी
तन में जीवन जैसे
मन मैं दर्पन जैसे
हाथ दुवा वाले
रोशन करे उजाले
फूल पे जैसे शबनम
साँस में जैसे सरगम
प्रेम की मूरत दया की सुरत
ऐसी और कहां है
जैसी मेरी माँ है
बहुत ख़ूब...शानदार...
बहुत ही सुंदर गीत ।
इसका हल्का संगीत भी बहुत अच्छा लगा ।
सागर भाई सुंदर गीत है ।
मैं समझ सकता हूं कि कैसा होता है शिद्दत से किसी गाने को खोजना और फिर उसका मिल जाना । हमारे साथ ऐसा कई बार हुआ है ।
आप नही सुनाते तो ये मधुर गीत अनसुना ही रह जाता .
इस गीत के संगीत में दक्षिणी संगीत की कोमलता , तरलता और creativity है. संगीतकार कौन है? सलाम उसे भी.
geet to pyara hai hi, aapki abhiwyakti v
हमें तो इतने मधुर गीत के बारे में पता ही नहीं था, आभार
Ander neer bahaye bahar se muskaye...shabd bahut hi sunder hain. Ek Maa ki mamta ko sampoorn roop se vayakat karte hain.
सागर भाई,
इस सुन्दर गीत तो तलाश कर सुनवाने का शुक्रिया!!
इसे मैं माँ को समर्पित गीतों की पोस्ट में लिंक कर रहा हूं।
सागर भाई,वाकई आप मोती तलाश के लाएं है,बहुत पहले सुना था,एक मोहक कम्पोजीशन सुनवाने के लिये शुक्रिया,नया प्लेयर भी बहुत अच्छा लग रहा है....आपका शुक्रिया
सागर भाई,वाकई आप मोती तलाश के लाएं है,बहुत पहले सुना था,एक मोहक कम्पोजीशन सुनवाने के लिये शुक्रिया,नया प्लेयर भी बहुत अच्छा लग रहा है....आपका शुक्रिया
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