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Friday, 12 September 2008

"मै रोया परदेस मे भीगा माँ का प्यार ।" - जगजीत सिंह जी के गाये हुये कुछ खूबसूरत दोहे !

आसपास घटने वाली कुछ घटनायें मन मे अमित प्रभाव छॊड देती हैं । बात है तो बहुत साधारण सी लेकिन एक नन्हें से बालक का प्रशन और उसके पिता का उत्तर शायद बहुतों के लिये सोचने का सबब बन सके । कल दोपहर क्लीनिक मे जब जोहर की अजान का स्वर पास वाली मस्जिद से उभरा तो मेरे सामने बैठे एक नन्हें से बालक ने अपने पिता से पूछा कि यह क्या कह रहे हैं । उसके पिता ने उसको अपनी गोदी मे बैठाते और समझाते हुये कहा कि जैसे हम घर मे पूजा करने के लिये सबको बुलाते हैं वैसे ही यह भी पूजा करने के लिये ही बुला रहे हैं । एक छोटी सी बात मे उस बालक की जिज्ञासा पर विराम सा लग गया । गाड , अल्लाह , ईशवर , भगवान नाम अनेक लेकिन मकसद सिर्फ़ एक । सत्य की खोज । उपासना के ढंग और रास्ते अलग –२ हो सकते हैं , लोगों के मन मे उनकी छवियाँ अलग-२ हो सकती हैं लेकिन सत्य सिर्फ़ एक ।

जगजीत सिंह की गायी और निदा फ़ाजली द्वारा लिखी गयी यह नज्म (दोहे) मुझे बहुत पसन्द है।

मै रोया परदेस मे भीगा माँ का प्यार ।
दु:ख मे दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार ॥
छोटा कर के देखिये जीवन का विस्तार ।
आँखो भर आकाश है बाँहों भर संसार ॥
ले के तन के नाप को घूमें बस्ती गाँव ।
हर चादर के घेर से बाहर निकले पाँव ॥
सब की पूजा एक सी अलग- 2 हर रीति ।
मस्जिद जाये मौलवी कोयल गाये गीत ॥
पूज़ा घर मे मूर्ति मीरा के संग शयाम ।
जिसकी जितनी चाकरी उतने उसके दाम ॥
नदिया सींचें खेत को तोता कुतरे आम ।
सूरज ढेकेदार सा सबको बाँटे काम ॥
साँतों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर ।
जिस दिन सोये देर तक भूखा रहे फ़कीर ॥
अच्छी संगत बैठ कर संगी बदले रूप ।
जैसे मिलकर आम से मीठी हो गयी धूप ॥
सपना झरना नींद का जाकी आँखीं प्यास ।
पाना खोना खोजना साँसों का इतिहास ॥
चाहिये गीता बाँचिये या पढिये कुरान ।
मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान ॥

11 टिप्पणियाँ/Coments:

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत अच्छा लग रहा है सुनते हुये।सुनते हुये टिपिया रहे हैं। कोई भरोसा नहीं किसी का कि हम सुनते रह जायें और कोई हमसे पहिले टिपिया के चला जाये।

महेन said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

डा साब क्या चीज़ लगाई है। बहुत खूब लिखा और गाया गया है।

राज भाटिय़ा said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मै रोया परदेस मे भीगा माँ का प्यार ।
दु:ख मे दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार ॥
बहुत ही सुन्दर गीत,लगता हे यह मेरे जेसो के लिये ही लिखा हे.
धन्यवाद

अमिताभ मीत said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत खूबसूरत है भाई. क्या बात है. मन प्रसन्न कर दिया .... हर सुबह की शुरुआत यूं ही हो तो क्या कहने ... वाह !

रंजू भाटिया said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत सुंदर है यह ..सुनवाने का शुक्रिया

Sajeev said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

प्रभात जी ये नज़्म नही है है निदा साहब के दोहे हैं, यकीनन जगजीत जी के बहतरीन संग्रह में से एक ....

फ़िरदौस ख़ान said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मै रोया परदेस मे भीगा माँ का प्यार ।
दु:ख मे दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार ॥
छोटा कर के देखिये जीवन का विस्तार ।
आँखो भर आकाश है बाँहों भर संसार ॥

शानदार पेशकश है...

ताऊ रामपुरिया said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

पूज़ा घर मे मूर्ति मीरा के संग शयाम ।
जिसकी जितनी चाकरी उतने उसके दाम ॥


बहुत सुंदर ! आत्मा प्रशन्न हो गई ! आपको
बहुत धन्यवाद !

सागर नाहर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह डॉ साहब पहली ही पोस्ट में महफिल लूट ली आपने।
बधाई एक तो महफिल में पहली पोस्ट के लिये और दूसरी इतने बढ़िया दोहे सुनवाने के लिये।
मेरे भी सबसे पसंदीदा दोहों में से है ये।

hightz said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

ultimate gazal

hightz said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

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