आशा भोंसले की आवाज में मदन मोहन के तीन अमर गीत !!!
जब जब मदन मोहन के संगीत का जिक्र होता है साथ में हमेशा लता मंगेशकरजी की बात होती है । ठीक उसी तरह ओ. पी. नैय्यर साहब के संगीत के साथ आशा भोसले का नाम अपने आप जुबां पर आ जाता है । लेकिन ये भी सत्य है कि आशा भोंसले ने भी मदन मोहन और गीता दत्त ने ओ. पी. नैय्यर के साथ अनेकों अनमोल नग्में गाये हैं ।
मदन मोहन जी के २० साल के संगीत के सफ़र में उनके साथ आशा भोंसले ने १९० और लता मंगेशकर ने २१० फ़िल्मी गीत गाये । कुछ दिन पहले आशा भोसले का जन्मदिन था लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते मैं कुछ पोस्ट नहीं कर पाया । आशाजी और मदन मोहन के अनमोल नग्मों में से मेरे कुछ पसंदीदा गीत हैं ।
१) सबा से ये कह दो कि कलिया बिछायें (बैंक मैनेजर)
२) जमीं से हमें आसमा पर (अदालत)
३) अश्कों से तेरी हमने तस्वीर बनाई है (देख कबीरा रोया)
४) जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का (मां का आंचल)
५) हमसफ़र साथ अपना छोड चले
६) कोई शिकवा भी नहीं, कोई शिकायत भी नहीं (नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे)
फ़िल्म "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" में तो मदनजी के सारे गीत आशाजी ने गाये और इस फ़िल्म का एक एक गीत अनमोल है । पहला नग्मा असल में एक गजल है, जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का । इस गीत को सुनें और बस डूब के रह जायें ।
दूसरा गीत है, "सबा से ये कह दो कि कलियाँ बिछायें"
और तीसरा अनमोल नग्मा है, "कोई शिकवा भी नहीं"
आईक की हवायें बढती जा रही हैं और थोडी देर में शायद बिजली गुल हो जाये, इससे पहले इस पोस्ट को छाप देते हैं ।
8 टिप्पणियाँ/Coments:
Koyi shikwa bhi nahin ..asha ji ke meri pasandeeda nagmon ki list mein shumar hota hai. Yahan prastut karne ke liye bahut bahut dhanyawaad.
वाह नीरज भाई .... बहुत खूब. तीनों ही गीत बेहद खूबसूरत, और आखिरी वाला : "कोई शिकवा भाई नहीं ...." तो बस .... अलग ही genre का है.... एकदम अनमोल. मस्त मस्त हुआ.
बहुत अच्छे हैं ये तीनों गीत आपने आनंद ला दिया । एक अनुरोध है पिछली पोस्ट में जिनको आपने निदा फाजली की नज़म लिखा है वे वास्तव में निदा साहब के दोहे हैं निदा साहब की मास्टरी ग़ज़ल से ज्यादा दोहों में हैं । और ये उनके कुछ बहुत लोकप्रिय दोहे हैं अगर आप पिछली पोस्ट को संशोधित कर सकें तो नज़्म को दोहे कर दीजियेगा । पंकज सुबीर
aatmaa tar jaati hai...ye avaaz sunkar..shukriya NEERAJ JI
शानदार पेशकश है...
तीनों गीत एक से एक लाजवाब है नीरज भाई पर पहला गीत जाने क्या हाल हो कल शीशे का , पैमाने का तो कमाल का गीत है।
सुन कर आनंद आ गया। शायद तीसरी - चौथी बार सुनते हुए टिप्पणी कर रहा हूँ।
एक से बढ कर एक !!
नीरज जी बहुत ही सुन्दर गीत मजा आ गया
धन्यवाद
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