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Friday, 12 September 2008

पंछी बावरा... नय्यरा आपा की आवाज में एक मधुर गीत

खुर्शीद की आवाज में आपने भक्त सूरदास फिल्म का यह गीत अनेको बार सुना होगा। इस गीत को पंडित ज्ञानदत्त जी ने राग केदार में ढ़ाला था, और लिखा था डी एन मधोक ने। भक्त सूरदास के बरसों बाद नय्यरा नूर ने एक प्राइवेट एल्बम के लिये इस गीत को गाया था।

नय्यरा आपा का जन्म असम में हुआ था और बाद में वे पाकिस्तान में रहीं। लीजिये इस सुन्दर गीत को नय्यरा आपा की आवाज में सुनिये











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पंछी बावरा
चांद से प्रीत लगाये

छाया देखी नदी में मूरख
फूला नहीं समाया
वो हरजाई तारों के संग
अपनी रात रचाये
पंछी बावरा

कौन बताये तुझे चकोरा
गोरे मन के काले
ज्यूं ज्यूं प्रीत बढ़ायेगा तू
त्यूं त्यूं ये घट जाये
चांद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा

नय्यरा आपा हिन्दी ब्लॉग जगत में

कभी हम खूबसूरत थे विमलजी की ठुमरी

जिसके बिना काम नहीं चलता.. प्रमोदजी का अज़दक



10 टिप्पणियाँ/Coments:

फ़िरदौस ख़ान said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत ख़ूब...

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर जी भाई ये गाना तो पहले भी दो तीन बार सुना हुआ है बहुत ही सुंदर बोल हैं गाने के और आज तो ढेर सारी जानकारी के साथ गाना सुना बहुत अच्‍छा लगा। बहुत बहुत धन्‍यवाद अच्‍छा संगीत ढेर सारी जानकारी के साथ

मोहन वशिष्‍ठ said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर जी भाई ये गाना तो पहले भी दो तीन बार सुना हुआ है बहुत ही सुंदर बोल हैं गाने के और आज तो ढेर सारी जानकारी के साथ गाना सुना बहुत अच्‍छा लगा। बहुत बहुत धन्‍यवाद अच्‍छा संगीत ढेर सारी जानकारी के साथ

Sajeev said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

और वो कहते हैं कि उन्हें गीत सुनना नही आता :) सागर भाई नमस्कार

पारुल "पुखराज" said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

pahali baar suna is khuubsurat aavaz me ye geet ...shukriya sagar ji,,,

Neeraj Rohilla said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह सागर भाई,
मजा आ गया । ये शायद राग भैरवी में है, इसको सुनकर एक पुरानी बंदिश याद आ गयी है ।

अनोखा लाडला,
खेलन को मांगत चांद रे ।

संजय पटेल said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

जिस ज़माने में पी.टी.वी.आता था तब नायरा आपा को बार बार सुना था. बाद में इंटरनेट पर भी सुना. सागर भाई उनकी तबियत में एक अजीब सी विकलता है जो उन्हें रूहानी आवाज़ में तब्दील कर देती है. ये सरहद के लफ़ड़े बंद हो जाएं तो कभी नायरा आपा से पचास के दशक के हिन्दुस्तानी गीतों के वर्शन गवाना चाहिये.और हाँ एक बात कहना तो भूल ही गया....आवाज़ पर तबियत हमेशा भारी रहती है...सुनने वालों अपने कानों में समेट लो नायरा आपा का नि:ष्पाप स्वर.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बेहद लुभावना गीत --

कला के साधकोँ से आप जैसे गुणीजन ही परिचय करवाते हैँ आभार !

Manish Kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

bahut khoob prastuti. Pahli baar suna ise. Nayyara Noor dwara Faiz ki gayi rachnayein mujhe behad pasand hain.

रात यूँ दिल में खोई हुई याद आई..

हम कि ठहरे अजनबी इतनी मदारातों के बाद

In donon rachnaon ko maine kabhi yahan chadhaya tha..
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/03/blog-post_23.html

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मनमोहक गीत !!

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