पंछी बावरा... नय्यरा आपा की आवाज में एक मधुर गीत
खुर्शीद की आवाज में आपने भक्त सूरदास फिल्म का यह गीत अनेको बार सुना होगा। इस गीत को पंडित ज्ञानदत्त जी ने राग केदार में ढ़ाला था, और लिखा था डी एन मधोक ने। भक्त सूरदास के बरसों बाद नय्यरा नूर ने एक प्राइवेट एल्बम के लिये इस गीत को गाया था।
नय्यरा आपा का जन्म असम में हुआ था और बाद में वे पाकिस्तान में रहीं। लीजिये इस सुन्दर गीत को नय्यरा आपा की आवाज में सुनिये
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पंछी बावरा
चांद से प्रीत लगाये
छाया देखी नदी में मूरख
फूला नहीं समाया
वो हरजाई तारों के संग
अपनी रात रचाये
पंछी बावरा
कौन बताये तुझे चकोरा
गोरे मन के काले
ज्यूं ज्यूं प्रीत बढ़ायेगा तू
त्यूं त्यूं ये घट जाये
चांद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा
नय्यरा आपा हिन्दी ब्लॉग जगत में
कभी हम खूबसूरत थे विमलजी की ठुमरी
10 टिप्पणियाँ/Coments:
बहुत ख़ूब...
सागर जी भाई ये गाना तो पहले भी दो तीन बार सुना हुआ है बहुत ही सुंदर बोल हैं गाने के और आज तो ढेर सारी जानकारी के साथ गाना सुना बहुत अच्छा लगा। बहुत बहुत धन्यवाद अच्छा संगीत ढेर सारी जानकारी के साथ
सागर जी भाई ये गाना तो पहले भी दो तीन बार सुना हुआ है बहुत ही सुंदर बोल हैं गाने के और आज तो ढेर सारी जानकारी के साथ गाना सुना बहुत अच्छा लगा। बहुत बहुत धन्यवाद अच्छा संगीत ढेर सारी जानकारी के साथ
और वो कहते हैं कि उन्हें गीत सुनना नही आता :) सागर भाई नमस्कार
pahali baar suna is khuubsurat aavaz me ye geet ...shukriya sagar ji,,,
वाह सागर भाई,
मजा आ गया । ये शायद राग भैरवी में है, इसको सुनकर एक पुरानी बंदिश याद आ गयी है ।
अनोखा लाडला,
खेलन को मांगत चांद रे ।
जिस ज़माने में पी.टी.वी.आता था तब नायरा आपा को बार बार सुना था. बाद में इंटरनेट पर भी सुना. सागर भाई उनकी तबियत में एक अजीब सी विकलता है जो उन्हें रूहानी आवाज़ में तब्दील कर देती है. ये सरहद के लफ़ड़े बंद हो जाएं तो कभी नायरा आपा से पचास के दशक के हिन्दुस्तानी गीतों के वर्शन गवाना चाहिये.और हाँ एक बात कहना तो भूल ही गया....आवाज़ पर तबियत हमेशा भारी रहती है...सुनने वालों अपने कानों में समेट लो नायरा आपा का नि:ष्पाप स्वर.
बेहद लुभावना गीत --
कला के साधकोँ से आप जैसे गुणीजन ही परिचय करवाते हैँ आभार !
bahut khoob prastuti. Pahli baar suna ise. Nayyara Noor dwara Faiz ki gayi rachnayein mujhe behad pasand hain.
रात यूँ दिल में खोई हुई याद आई..
हम कि ठहरे अजनबी इतनी मदारातों के बाद
In donon rachnaon ko maine kabhi yahan chadhaya tha..
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/03/blog-post_23.html
मनमोहक गीत !!
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