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Sunday, 6 April 2008

शबाब (१९५४) फ़िल्म के तीन मधुर गीत !!!

शकील बदायूँनी और नौशाद साहब ने १९५२ में बैजू बावरा फ़िल्म को अपने संगीत से अमर बना दिया था । १९५४ में इसी जोडी ने शबाब फ़िल्म में बेह्द मधुर संगीत दिया । मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, शमशाद बेगम, हेमन्त कुमार और मन्ना डे की आवाजों से नौशाद साहब ने शकील बदायूँनी के शब्दों के इर्द गिर्द एक संगीत का तिलिस्म सा बना दिया था । नौशाद साहब और शकील बदायूँनी की इसी जोडी ने मुगल-ए-आजम में भी संगीत का परचम लहराया था ।
इस कडी में आप सुनेंगे शबाब फ़िल्म के तीन सच्चे मोती ।

पहला गीत "आये न बालम वादा करके" मोहम्मद रफ़ी साहब की आवाज में है ।




आये न बालम वादा करके, -२
थक गये नैना धीरज धर के, धीरज धर के
आये न बालम वादा करके-२

छुप गया चंदा लुट गयी ज्योति,
तारे बन गये झूठे मोती,
पड गये फ़ीके रंग नजर के,
आये न बालम वादा करके-२

आओ के तुम बिन आँखो में दम है,
रात है लम्बी जीवन कम है,
देख लूँ तुमको मैं जी भरके,
आये न बालम वादा करके-२


दूसरा गीत मन्नाडे जी की आवाज में एक भजन है, "भगत के बस में है भगवान"



भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

भेद अनोखे तोरे दाता,
न्यारे तोरे धन्धे
कन्हैया, न्यारे तोरे धन्धे
मूरख बुद्धिमान बने है,
आंखो वाले अंधे
दे तू इनको ज्ञान..

भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

मोहे पुकारे सब सन्सारी,
और मैं तोहे पुकारूँ, कन्हैया
आज लगी है लाज की बाजी
जीता दाँव न हारू
भगती का रख मान,

भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

तू ही मारे तू ही जिलाये
गोवर्धन गिरधारी
आज दिखा दे संगीत की शक्ति
रख ले लाज हमारी
निर्जीव को दे जान

जय जय सीताराम,
निर्जीव को दे जान
जय जय राधेश्याम
जय जय सीताराम, जय जय राधेश्याम...


तीसरा गीत लताजी की आवाज में है, "मर गये हम जीते जी, मालिक तेरे संसार में"



मर गये हम जीते जी, मालिक तेरे संसार में,
चल दिया हम को खिवईया छोडकर मझधार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...

उनका आना उनका जाना खेल था तकदीर का,
ख्वाब थे वो जिन्दगी के दिन जो गुजरे प्यार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...

ले गये वो साथ अपने साज भी आवाज भी,
रह गया नग्मा अधूरा दिल के टूटे तार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...



साभार,
नीरज रोहिल्ला



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5 टिप्पणियाँ/Coments:

Yunus Khan said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

नीरज और सागर भाई । आज आपने दिल बेक़रार कर दिया । नौशाद के संगीत पर काम करने का मन होने लगा है । ममता और मैं दोनों ही नौशाद के फैन हैं । खासकर उनके ऑरकेस्‍ट्रेशन की इंसानियत पर । एक खास तरह का चलन होता है उनके वाद्यों में जो इस शोर भरे समय में बहुत सुकून देता है । मेरे पास मुगले आज़म का डॉल्‍बी एनकोडेड सीडी है । हम रोज़ सुनते हैं और इस संगीत की दिव्‍य अनुभूति से सराबोर होते रहते हैं ।

अमिताभ मीत said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

आह ! क्या सुनवा दिया सुबह सुबह .... गीत तो तीनों ही लाजवाब हैं, लेकिन आज का दिन तो हो गया "आये न बालम वादा करके" के नाम. आज सारा दिन मस्त रहूँगा .... वाह भाई ... शुक्रिया.
(और यूनुस भाई .... नौशाद को पसंद न करना बस की बात है क्या ?)

सागर नाहर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

नीरज भाई
सुबह आते ही महफिल में जाकर देखा तो आपने गीत चढ़ा दिये हैं। परन्तु इतने बढ़िया गीत होंगे यह पता नहीं था।
मेरी एक आदत है कोई गाना मुझे बहुत पसन्द आता है तो उसे लगातार बीस पच्चीस बार सुनता रहता हूँ। शबाब फिल्म का गाना ...मर गये हम मुझे इतना पसन्द है कि आज सुबह से कम से कम दस बार तो सुन लिया होगा, अभी मन नहीं भरा।
बाकी दो गाने तो बाद में सुनुंगा। इतने बढ़िया गीत सुनवाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
:)

Anita kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सच कहा मीत जी ने, नौशाद जी के जादू से कौन बच सकता है जी, तीनों गीत बड़िया हैं पर तीसरे गाने पर तो हम भी मर मिटे। नीरज जी जरा खजाने का मुंह और खोलिए।

Unknown said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

नीरज भाई का स्वागत है, आशा है कि आगे भी वे हमें उम्दा गीतों की दावत देते रहेंगे। बैजू बावरा के जनक नौशाद साहब की क्या बात कहें…

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