दो मधुर होली गीत ...
होली के दिन सबने अपने अपने चिट्ठों पर बढ़िया होली गीत, कविता या व्यंग्य लिखे। मैने भी दो गीत चढ़ाने का निश्चय किया पर जब लाईफलोगर पर अपलोड करने की कोशिश की तो लाईफलोगर ने फाइल को अपलोड करने से मना कर दिया और अड़ गया।
बाद में ईस्निप पर अपलोड करने की कोशिश की तो उसने भी नहीं लिया, आज अचानक लाईफलोगर पर अपनी प्रविष्टियाँ देखते समय वे फाइल नजर आई जिन्हें अपलोड करने से पहले लाईफलोगर ने मना कर दिया था। अत: आज मैं आपको यह दोनों मधुर गीत सुनवा रहा हूँ।
पहला गाना है फिल्म जोगन (1950) का जिसके संगीतकार थे बुलो सी रानी और गीत लिखा था पण्डित इंद्र ने। फिल्म के मुख्य कलाकार थे दिलीप कुमार और नरगिस। गाया है गीता दत्त ने और गीत के बोल है डारो रे रंग डारो रसिया फागुन के दिन आये रे..
दूसरा मधुर होली गीत है फिल्म लड़की (1953) का यह राग भैरवी पर आधारित है। इस गीत के संगीतकार थे आर सुदर्शनम और धनीराम तथा गीतकार थे राजेन्द्र कृष्ण। गीत के बोल है बाट चलत नई चुनरी रंग डारी रे यह गीत भी गीता रॉय( दत्त) ने ही गाया है।
आश्चर्य की बात है कि यही गीत कुछ शब्दों को बदलकर फिल्म रानी रूपमती में भी है जिसे मोहम्मद रफी और कृष्णा राव चोनकर ने गाया है।
सुनिये दोनों मधुर गीत और बताईये आपको यह होली गीत कैसे लगे?
9 टिप्पणियाँ/Coments:
सागर जी, दोनो ही गीत बहुत बहुत सुंदर हैं। पहली बात तो आवाज़ गीता दत्त की जिसकी अपनी ताज़गी , है फिर गीतों में धुन की उर्जा का असर भी खू़ब है।
दोनों गाने अनमोल हैं भाई । पहले गाने का रिदम कमाल है । दूसरे गीत के दोनों रूप मन को लहराने पर मजबूर कर देते हैं ।
दोनों गीत अत्यंत सुन्दर हैं सागर भाई।
अच्छा. तो बताना भी पड़ेगा कि कैसे लगे गीत ?
ये हुई न बात. मस्त कर गया हर बार की तरह आप का ये पोस्ट भी. यूनुस भाई ने सही कहा : अनमोल हैं दोनों गीत.
वाह जी वाह...अनमोल खजाना!!!
vaah! bahut khuubsurat dono hi nagme.n..shukriyaa SAAGAR ji
बाट चलत नई चुनरी रंग डारी रे ,ओर सागर जी बहुत ही अच्छे लगे दोनो गीत
सागरजी,
दूसरा गीत तो अनमोल है ।
बहुत बहुत धन्यवाद !!!
शास्त्रीयता लिये ये दूसरा गीत "बाट चलत नई चुनरी रंग डारी रे " मनभावन लगा .हरेक उतार चढ़ाव के साथ दाद देने का मन हो रहा था.
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