tag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post4656175071463417584..comments2023-09-18T16:15:37.451+05:30Comments on गीतों की महफिल: शबाब (१९५४) फ़िल्म के तीन मधुर गीत !!!सागर नाहरhttp://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-33197551877312868542008-04-06T19:02:00.000+05:302008-04-06T19:02:00.000+05:30नीरज भाई का स्वागत है, आशा है कि आगे भी वे हमें उम...नीरज भाई का स्वागत है, आशा है कि आगे भी वे हमें उम्दा गीतों की दावत देते रहेंगे। बैजू बावरा के जनक नौशाद साहब की क्या बात कहें…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-33628599018271859592008-04-06T18:29:00.000+05:302008-04-06T18:29:00.000+05:30सच कहा मीत जी ने, नौशाद जी के जादू से कौन बच सकता ...सच कहा मीत जी ने, नौशाद जी के जादू से कौन बच सकता है जी, तीनों गीत बड़िया हैं पर तीसरे गाने पर तो हम भी मर मिटे। नीरज जी जरा खजाने का मुंह और खोलिए।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-90141710470422709102008-04-06T11:29:00.000+05:302008-04-06T11:29:00.000+05:30नीरज भाईसुबह आते ही महफिल में जाकर देखा तो आपने ग...नीरज भाई<BR/>सुबह आते ही महफिल में जाकर देखा तो आपने गीत चढ़ा दिये हैं। परन्तु इतने बढ़िया गीत होंगे यह पता नहीं था।<BR/>मेरी एक आदत है कोई गाना मुझे बहुत पसन्द आता है तो उसे लगातार बीस पच्चीस बार सुनता रहता हूँ। शबाब फिल्म का गाना ...<B><I>मर गये हम</I></B> मुझे इतना पसन्द है कि आज सुबह से कम से कम दस बार तो सुन लिया होगा, अभी मन नहीं भरा।<BR/>बाकी दो गाने तो बाद में सुनुंगा। इतने बढ़िया गीत सुनवाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।<BR/>:)सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-80819818356059947082008-04-06T10:19:00.000+05:302008-04-06T10:19:00.000+05:30आह ! क्या सुनवा दिया सुबह सुबह .... गीत तो तीनों ...आह ! क्या सुनवा दिया सुबह सुबह .... गीत तो तीनों ही लाजवाब हैं, लेकिन आज का दिन तो हो गया "आये न बालम वादा करके" के नाम. आज सारा दिन मस्त रहूँगा .... वाह भाई ... शुक्रिया. <BR/>(और यूनुस भाई .... नौशाद को पसंद न करना बस की बात है क्या ?)अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-36944144360794725762008-04-06T09:50:00.000+05:302008-04-06T09:50:00.000+05:30नीरज और सागर भाई । आज आपने दिल बेक़रार कर दिया । न...नीरज और सागर भाई । आज आपने दिल बेक़रार कर दिया । नौशाद के संगीत पर काम करने का मन होने लगा है । ममता और मैं दोनों ही नौशाद के फैन हैं । खासकर उनके ऑरकेस्ट्रेशन की इंसानियत पर । एक खास तरह का चलन होता है उनके वाद्यों में जो इस शोर भरे समय में बहुत सुकून देता है । मेरे पास मुगले आज़म का डॉल्बी एनकोडेड सीडी है । हम रोज़ सुनते हैं और इस संगीत की दिव्य अनुभूति से सराबोर होते रहते हैं ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.com