स्वतंत्रता दिवस पर किशोर कुमार का गाया हुआ एक बेशकीमती और दुर्लभ गीत !!
इस गीत को पचास के दशक में किशोर कुमार ने स्वतंत्रता दिवस पर गाया था । इसके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन शायद इस गीत का ७८ RPM रेकार्ड भी निकला था जिसको बाद में बाजार से उठा लिया गया था । इस गीत में गीतकार से एक छोटी से गलती हो गयी थी, पन्द्रह अगस्त के लिये उसने "पुन्य तिथि" शब्द का प्रयोग किया है जबकि भारतीय सामाजिक परिपेक्ष्य में "पुन्य तिथि" मृत्यु के उपरान्त मनायी जाती है । अगर इस वजह से इस गीत का रेकार्ड वापिस बुलाया गया तो सोचने की बात है ।
आज "टूटा टूटा एक परिन्दा ऐसे टूटा कि जुड न पाया" जैसे गीत जो भाषायी संदर्भ में कुछ अटपटे से लगते हैं धडल्ले से चल रहे हैं । आईये भारत के स्वतंत्रता दिवस की याद में १० दिन पहले से ही खुशियां मनाये और इस मधुर गीत को सुने ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
भारत के कोने कोने में खुशियाली है छायी ।
सन सैंतालिस में भारत को अंग्रेजो ने छोड दिया,
गोली बरसाकर हार गये तब जुल्मों से मुंह मोड लिया ।
बापू की अटल अहिंसा ने अपनी रंगत दिखलायी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
उस दिन सारे देश की शोभा अपने ढंग की न्यारी थी,
महलों से लेकर कुटियों तक दीपों की उजियारी थी ।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारो ने फ़िर दीपावली मनायी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
देख हमारी कुर्बानी डोला लंदन का सिंहासन,
वीर जवाहर को सौंपा गोरों ने भारत का शासन,
दो सौ वर्षों के बाद फ़िर सत्ता फ़िर से आयी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
इस गीत के बारे में किसी को अन्य कोई जानकारी हो तो अपनी टिप्पणी से अवश्य सूचित करें ।
आज "टूटा टूटा एक परिन्दा ऐसे टूटा कि जुड न पाया" जैसे गीत जो भाषायी संदर्भ में कुछ अटपटे से लगते हैं धडल्ले से चल रहे हैं । आईये भारत के स्वतंत्रता दिवस की याद में १० दिन पहले से ही खुशियां मनाये और इस मधुर गीत को सुने ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
भारत के कोने कोने में खुशियाली है छायी ।
सन सैंतालिस में भारत को अंग्रेजो ने छोड दिया,
गोली बरसाकर हार गये तब जुल्मों से मुंह मोड लिया ।
बापू की अटल अहिंसा ने अपनी रंगत दिखलायी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
उस दिन सारे देश की शोभा अपने ढंग की न्यारी थी,
महलों से लेकर कुटियों तक दीपों की उजियारी थी ।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारो ने फ़िर दीपावली मनायी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
देख हमारी कुर्बानी डोला लंदन का सिंहासन,
वीर जवाहर को सौंपा गोरों ने भारत का शासन,
दो सौ वर्षों के बाद फ़िर सत्ता फ़िर से आयी ।
पन्द्रह अगस्त की पुन्यतिथि फ़िर धूमधाम से आयी,
इस गीत के बारे में किसी को अन्य कोई जानकारी हो तो अपनी टिप्पणी से अवश्य सूचित करें ।
19 टिप्पणियाँ/Coments:
गजब चीज़ निकाली । दो आवाजें है।एक किशोर कुमार की ,लेकिन दूसरी?
बहुत शुक्रिया।
यह तो पहली बार सुना गजब है गीत है ...
बहुत अच्छा लिखा है
बहुत अच्छा लिखा है
अरे वाह । कल शाम ही भाई संजय पटेल ने बताया कि इंदौर के रिकॉर्ड संग्राहक सुमन चौरसिया ने ये गीत उन्हें कैसेट पर सौंपा है और हम उसे एम पी 3 में कन्वर्ट कर रहे हैं । और इधर ये गीत साक्षात रूप में । भई नीरज कमाल है । जय हो ।
इस गाने के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता वरना जरूर बताते ।
बहुत दुर्लभ!!वैसे आप अगर नहीं सुनाते तो हमें इसका पता भी नहीं चलता...आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
पहली बार सुना-आनन्द आ गया.बहुत आभार.
बापू की अटल तपस्या ने अपनी रंगत दिखलायी --
इस पँक्ति मेँ , बापू की अटल अहिँसाने है, कृपया बदल देँ और ऐसी दुर्लभ चीजेँ आप जैसे सँगीत के साधक लोग सुनवाते हैँ उसका बहुत आभार - -
-- लावण्या
बिल्कुल अलग चीज है
बिल्कुल अलग चीज है
wah bhai kya baat hai. bada durlabh geet baanta aapne. bahut bahut shukriya.
पहली बार सुना !! शुक्रिया !!
कमाल कर दिया नीरज भाई आपने तो... क्या दुर्लभ गीत ले आयें है। आप सचमुच हमारे गुरु हैं इस मामले में।
:)
पहली बार सुना है ये गीत, a total winner...:)thanks for this song
@अफ़लातूनजी,
दूसरे गायक कलाकार के बारे में कोई जानकारी नहीं है । इस गीत के बारे में कोई खास प्रमाणिक जानकारी नहीं है । पुराने लोग ही इसके बारे में ठीक से बता सकते हैं ।
@लावण्याजी,
गीत के बोल लिखते समय हुयी भूल सुधार ली है । आपका आशीर्वाद बना रहे ।
@रंजनाजी, विनीताजी, समीरजी, विमलजी, महाशक्ति, मनीषजी, प्रभातजी, अनीताजी
आपकी टिप्पणियों का बहुत धन्यवाद ।
@सागरजी,
हमें अपना गुरू बताकर काहे हमें नरक में भेजने का इन्तजाम कर रहे हैं :-)
rare piece.
keep it up.sun kar bahut achha laga.man khush ho gaya.
According to this website (http://www.downmelodylane.com/nf_kishore.html), here's some more information about this song. :)
सागरजी बोहत शुक्रिया इस गीत को सुनवाने के लिए। मेरा अपना मानना है की इस गीत में रफी साहब और किशोर कुमार और कोई अन्य गायक नज़र आते हैं। अगर आप बड़े ही गौर से इस गीत को सुनें तो रफी साहब की झलक शुरू से ही व्यक्त होती है। पहली दो पंक्तियों को बार बार सुनने के उपरांत मुझे विश्वास हो चला है की इस गीत को तीन गायकों ने गाया है जिसमे रफी साहब और किशोर कुमार की आवाजें साफ़ पहचानी जाती हैं। इस पहेली के सुलझने का इंतज़ार है।
gaana pehli baar suna. bahut achha laga. bahut shukriya. ab madhur se rakhi gaat ka intzaar hai . koi aisa geet ho ki videsh mein rehne wale bhai ko bhi sunva sake to meharbani hogi
manjot bhullar
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