बादल देखी डरी हो स्याम.... ज्यूथिका रॉय
कल शाम ४ बजे से बारिश जम कर हो रही है, एक मिनीट के लिये भी सूरज के दर्शन नहीं हुए आज तो। दिन में भी काले बादलों की वजह से इतना अंधेरा हो गया है कि घर में तो कुछ भी नहीं दिखता, दिन में भी लाईट चालू करनी पड़ रही है।
ऐसे ही मौसम में काले बादल छाये हुए हैं और डरी हुई मीरां बाई अपने स्याम को याद कर रही है, देखिये ज्यूथिका रॉय कितने विकल स्वर में गा रही है, बादल देखी डरी हो स्याम, बादल देखी डरी!! मानो खुद मीरा बाई ही गाकर अपने स्याम को याद कर रही है। ज्यू्थिका रॉय को ऐसे ही थोड़े ही ना आधुनिक मीरा बाई कहा जाता था!
आप ध्यान से सुनेंगे तो आपको यूं अहसास होने लगेगा मानों बाहर वर्षा हो रही है और मीरा बाई गा रही है; और अगर काले बादल छाये हुए हैं, और तेज वर्षा हो रही है, तो इस गीत को सुनने का इससे बढ़िया कोई दूसरा अवसर हो ही नहीं सकता।
श्याम मैं बादल देख डरी
काली-पीली घटा उमंडी बरसे एक धरी ।
जित जाऊं सब पाणी ही पाणी, हुई सब भोम हरी ॥
बादल देखी डरी..
जाके पिया परदेस बसत है भीजे बाहर खरी ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर कीजो प्रीत खरी ।
श्याम मैं बादल देख डरी ।
संगीत - कमल दासगुप्ता
बादल देखी डरी
8 टिप्पणियाँ/Coments:
वाह वाह सागर भाई ।
बहुत दिनों बाद ये गाना सुना । और जूथिका राय पर वो पुस्तक याद आ गयी जिसे किसी ने भेंट किया है हमें । पर गुजराती मे है इसलिए थोड़ा कतरा रहे थे इसे पढ़ने के लिए । पर अब पढ़ते हैं आज से अभी से ।
बेजोड़ प्रस्तुति. आभार.आनन्द आ गया.
नाहर भाइ;स्सा
बेहतरीनौर दुर्लभ गीत सुनवाया है आपने -
बहोत पसँद आया
- लावण्या
Sagarbhai
A rare song gave a pleasure to ears.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
वाह ! बहु सरस सागर भाई
Bahut sundar keertan saagar bhai
Aanandam...
bhai aapki post ko blog list mein 'xyz' kyun dikha raha hai mere blog par.
अभी सुने। मजा आया।
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