आज उसे फिर देखा है, देखा है
पता नहीं क्यों आज शाम से ही मन उदास है, शायद उनकी याद में! आज अचानक उनकी झलक दिख गई, कुछ देर बाद भ्रम टूट गया, नहीं वो वो नहीं, कोई और ही...जब तुम नहीं थी तो मुझे तुम्हारे होने का अहसास क्यूं कर हुआ?
तुम्हारी इस झलक ने पता नहीं क्या क्या याद दिला दिया।
आज तुम्हे फिर देखा है- देखा है।
आज उसे फिर देखा है, देखा है -२
रोज किया करता था याद
लेकिन आज बहुत दिन बाद-२
गाँव के छोटे पनघट में-२
चांद सा चेहरा घूंघट में
मैने चमकते देखा है-२
आज उसे फिर देखा है, देखा है-२
शाम का बादल छाने को था
सूरज भी छुप जाने को था-२
उसके रूप के सूरज को जब
मैने उठते देखा है,
मैने उठते देखा है
आज उसे फिर देखा है, देखा है-२
नाम मुझे मालूम नहीं है
शर्मिली है कमसिन है वो-२
दिल की रानी बना चुका, बना चुका हूँ-२
कहने को पनहारिन है वो-२
एक नजर में दिल की दुनियां
मैने बदलते देखा है-२
आज उसे फिर देखा है
देखा है।
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(स्व. तलत महमूद को नमन, यह उनकी एक गैर फिल्मी रचना है। आपने कई सुन्दर गैर फिल्मी गीत- गज़लें गाई है। और कभी मौका मिला तो सुनाई जायेंगी। इस गीत के संगीतकार-गीतकार के बारे में जानकारी नहीं मिली अगर आप में से किसी को पता हो तो बतायें, ताकि इसे सुधारा जा सके)
11 टिप्पणियाँ/Coments:
बहुत ही सुंदर गीत.पहली बार सुना है..इस में तलत जी की आवाज पहचानी नहीं जा रही.
मैने भी शायद पहली बार ही सुना है यह गीत.....बहुत अच्छा लगा।
बहुत सुन्दर रचना । दुर्लभ गीत सुनवाने के लिए आभार।
Hi,
Very nice song. Heard first time about this although I have most of his songs.
Will find music/lyrics.
Thanks
Vinayak
सागर साहब बहुत ही सुंदर गीत सुनाने के लिये आप का धन्यवाद, यह गीत बचपन मै एक दो बार सुना था,लेकिन अब काफ़ी समय बाद सुना तो बहुत अच्छा लगा.
बहुत खूबसूरत ! पुराने हिन्दी गानों की तो बात ही निराली है !
सागर भाई बेहतरीन गीत है ये । तलत ने एच.एम.वी. के लिए अपने शुरूआती दौर में बहुत सारे प्राइवेट गीत गाए थे । ये उन्हीं में से एक है । सहगल का असर साफ झलकता है । आपको बता दें कि ये गाना फैयाज़ हाशमी ने लिखा है और संगीतकार हैं रमज़ान ख़ान । अब आप सोच रहे होंगे ये चक्कर क्या है । हमने कहां से जुगाड़े ये सारे नाम । तो भविष्य के लिए ये लिंक अपने पास रखिए ।http://www.talatmahmood.net/ghazals_geets_list.htm
और हां कहां ग़ायब हैं भाई सा आजकल । ना कोई खबर ना डाक ।
ना बातचीत हंय । हंय हंय हंय ।।
तलत साहब पर गै़र फ़िल्मी गीत सुनवाने का शुक्रिया. सहगल का प्रभाव तो सभी पर था, हेमंत कुम्मर तक पर.
आप लोगों का श्रोता बिरादरी क्यों बंद पडा है. उच्च कोटी का ब्लॊग आपकी बांट जोह रहा है.
Saagar bhai ! hamesha hi ki tarah...
bahot hi umda peshkaari .
Talat Md ka wo ghair.filmi geet bhi kaafi
maqbool hua tha.."tasveer teri dil mera behlaa na sakegi..."
Rmzan Khan ki mausiqi mei Rafi sahab ne bhi kai
ghair.filmi geet gaye hain...
Aur huzoor ! aapki paarkhi nazar tarz.e.bayaan
se bhi ho kar guzre to nvaazish hogi.
---MUFLIS---
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
nav varsh ki shubhkamnayen aapko sampuran pariwar sahit .varsh 2009 bahut bahut mangalmay ho
1 puraane geet ki yaad dilane ke liye aapkaa koti koti dhanyvaad .main bhi purane geeton kaa rasiya hun .
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