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Friday, 6 February 2009

नक़्श फ़रियादी है शोखी-ए-तहरीर का

सालों पहले मेरे फैमिली कैसेट विक्रेता ( हाँ, वैसे ही जैसे फैमेली डॉक्टर होते हैं) ने मुझे जबरन एक चार कैसेट का सैट थमा दिया, और बोला यार ये सैट बरसों से बिक नहीं रहा। मैं उस सैट को देख कर उछल ही पड़ता पर उसके सामने मैने अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी क्यों कि मुझे उस कैसेट को अपने दाम पर खरीदना और अहसान भी जताना था। ( भई उन दिनों जेब में पैसे उतने ही होते थे) आखिरकार शायद सौ या अस्सी रुपये में सौदा पटा और मैं वो सैट लेकर घर आया।
मेरे खुशी से उछल पड़ने का राज यह था कि उस सैट में ख़ैयाम साहब द्वारा संगीतबद्ध की हुई गैर फिल्मी रचनायें थी, मुकेश, मो. रफी, तलत महमूद और उस समय के लगभग सभी जाने माने गायकों ने उस एल्बम के लिये अपना स्वर दिया था। मैने उस एल्बम को बहुत सुना, इतना कि एक दो कैसेट तो घिस गये, और एकाद को मित्र मांग कर ले गये, अब तो टेप भी नहीं है, पता नहीं यह दुर्लभ एल्बम वापस मिलेगा भी कि नहीं।
उस संग्रह में तलत महमूद की गाई हुई दो गज़लों में से एक तो आप पहले सुन चुके हैं "कौन कहता है तुझे ..." और दूसरी गज़ल थी चचा गालिब की "नक़्श फ़रियादी है शोखी-ए-तहरीर का" ये दो गज़लें मुझे बहुत पसन्द है। बरसों से मै गज़ल को सुनता रहा हूँ। लीजिये आज आप भी सुनिये।
गज़ल के अशआर के ऊर्दू शब्दों के अर्थ नैट से खोज कर अंग्रेजी में ही लिख दिये हैं।


artist - NAQSH-OFA...


नक़्श फ़रियादी है शोखी-ए-तहरीर का
काग़जी है पैराहन, हर पैकर-ए- तस्वीर का

कावे-कावे सख्त जानी, हाय तन्हाई ना पूछ
सुबह करना शाम का, लाना है जू-ए-शीर का

जज़्बा-ए-बे- इख्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिये
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का

(उक्त शेर इस गज़ल में तलत साहब ने नहीं गाया है पर मूल रचना में है सो यहां लिख रहा हूँ)

आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाये
मुद्दा अनका़ है अपने आलम-ए-तकरीर का

बस के हूँ ग़ालिब असीरी में भी आतिश जे़र-ए-पा
मू-ए-आतिश दीदा है हल्का मेरी ज़ंजीर का।

P.S.- लताजी ने भी इस गीत को गाया है, नैट पर इस गीत की एक लाइन यहाँ सुनी जा सकतीहै, पूरी सुनने के लिये एक डॉलर खर्च करना होगा।

(नक़्श = Copy, तहरीर- Hand Writting, काग़जी= Delicate, पैराहन= Dress, पैकर= Apperance,
कावे-कावे Hard Work, सख्त जानी- Hard Life, जू- Canal/Stream, शीर -Milk, जू-ए-शीर to create a canal of milk, here means to perform an impossible work,इख्तियार- Authority/Power, शमशीर= Sword,आगही-Knowledge, दाम- Net/Trap, शुनीद- Conversation, अनका- Rare,असीरी- impeisonment, जेर-ए-पा- Under the feet, मू- Hair, आतिश-दीदा- Rosted on fire, हल्क़ा- Ring/Circle)


9 टिप्पणियाँ/Coments:

लाल और बवाल (जुगलबन्दी) said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

जज़्बा-ए-बे- इख्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिये
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
क्या बात है नक़्श साहब की। आपका बहुत आभार सुन्दर और कर्णप्रिय धरोहर को सुनवाने का।

यूनुस said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

तलत वाला एक अलबम हमारे पास है ग़ज़लों का ।
इसमें तलत की गाई कई शायरों की गजलें हैं ।
कई गालिब की हैं ।
कैसेट है बेचारा ।

रवीन्द्र प्रभात said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सुन्दर और कर्णप्रिय...!

महेन said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

उफ़!!! गलती हो गई. तलत और हेमंत कुमार की गैर-फिल्मी ग़ज़लें तो मेरे पास थीं मैंने कुछ ध्यान नहीं दिया और अब लापता हैं. सुनवाने के लिए शुक्रिया. हो सके तो और लाइयेगा.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Bahut khoob ....Shukriya ..ees umda
gazal ko sunvane ke liye

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

शुक्रिया सागर भाई !

दिलीप कवठेकर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Shukriyaa, ye geet sunavane ka.

jab ye dharohar hamare paas hotee thi to shaoor nahee hotaa thaa unhe samhalane kaa. ab jab shaoor hai, to ye nahee.

mere paas bhee ek hemant daa ki gair filmee gazalo ki keset hai, dekhata hoo dhoondh kar

Unknown said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई,
लता जी की आवाज़ में यह ग़ज़ल सुनी थी परन्तु तलत साहब की आवाज़ द्वारा पुन: इस 'गागर में सागर भरती' ग़ज़ल को सुनना आनंददायक रहा | मेरे पास तलत साहब की गैर फ़िल्मी ग़ज़लों के ५ सी डी एल्बम है पर यह ग़ज़ल उनमें नहीं है |

daanish said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

कभी कभार मौक़ा मिलता है आपकी इस
शानदार महफिल में आने का ......
लेकिन ...सच कहता हूँ , जब भी आता हूँ ....
जी भर के सुकून हासिल कर के ही वापिस जाता हूँ ....
इस एहसान के लिए शुक्रिया . . . . . .
---मुफलिस---

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