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Monday, 10 November 2008

गरीबों का हिस्सा गरीबों को दे दो- लताजी का एक और अद्‍भुद गीत

बहुत दिनों बाद आज लता जी और अनिल बिस्‍वास की जुगलबंदी में एक और दुर्लभ गीत, प्रस्तुत है। पता नहीं इतने मधुर गीत छुपे कैसे रह जाते हैं?
फिल्म: लाडली १९४९
संगीतकार: अनिल बिस्‍वास
गीतकार: सफ़दर'आह' या प्रेम धवन संशय है। गीत की शैली को देखते हुए प्रेम धवन ही सही लगते हैं।



Download Link
गरीबों का हिस्सा गरीबों को दे दो
गरीबों को दे दो - २
गरीबों का...
अमीरोंऽऽऽऽऽऽऽ
अमीरों हमें सूखी रोटी ही दे दो -२
गरीबों का हिस्सा...

जो पहले थी वही है हालत हमारी
थे पहले भी भूखे, है अब भी भिखारी
हमें सांसे है हाथ फैले हुए दो
गरीबों का हिस्सा...

ये ऊंची इमारत, ये रेशम के कपड़े
ना कुटिया ही हमको, ना खादी के टुकड़े
हमें भी तो अपना बदन ढ़ांकने दो-२
गरीबों का हिस्सा...

अगर रूखी सूखी ये खाकर बचेंगे
तो कल को ये गांधी जवाहिर बनेंगे
इन्हें सिर्फ जीने का मौका ही दे दो
गरीबों का हिस्सा...


http://hindi-films-songs.com से साभार

13 टिप्पणियाँ/Coments:

Alpana Verma said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

bahut hi anuutha geet hai--1949 ke kayee popular geet suney hain magar ye pahli baar sun rahey hain--

purane geeton mein lyrics bhi meaningful hotey they--is mein shaq nahin

Unknown said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मैंने भी पहली ही बार सुना… अच्छा गीत है…

Abhishek Ojha said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

कमाल के बोल हैं... पहली बार परिचय हुआ इस गाने से.

पुनीत ओमर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सुंदर गीत..

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

अरे वाह ...लतादी ने ना जाने कितने ऐसे गीत गाये हैँ जिन्हेँ पहली बार सुनना सुखद अनुभव बन जाता है और आपका शुक्रिया ऐसे नगीने डूँढ कर लाते हैँ और सुनवाते हैँ :)
- लावण्या

राज भाटिय़ा said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

पहली बार सुना र दिल मै बस गया, लगता है बहुत ही पुराना है,
धन्यवाद

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

This song was written by Hudda.

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

geet ke bol bahut hi acche hain, pehli baar suna ye geet. Dhanyavaad sagar bhai

Unknown said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

समाजवादी बोल और यह अनसुना अनमोल,अनमोल गीत |
इसे सुनकर फ़िल्म आरती के गीत'लहू का रंग एक है अमीर क्या ग़रीब क्या'की याद हो आयी |

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

पहली बार इस गाने से परिचय हुआ पुराने गानों के खजाने का अनमोल गीत/ इसे सुनाने के लिये शुक्रिया/

सागर नाहर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Test comment

शब्द-सृष्टि said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सुरीले दौर का पता देता है ये गीत सागर भाई.
तब शायद कान भी ज़्यादा सुरीले थे.
अहंकार,ईर्ष्या,तमस,प्रतिस्पर्धा और अपने को जताने और बताने से परे थी दुनिया. काश ! इन गीतों का सुरीलापन हमारी ज़िन्दगी के आसपास बिखरे बेसुरेपन को कुछ कम कर सकता.

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत ही सुन्दर और दुर्लभ गीत ! दिल को छूते हुये बोल !!

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