गरीबों का हिस्सा गरीबों को दे दो- लताजी का एक और अद्भुद गीत
बहुत दिनों बाद आज लता जी और अनिल बिस्वास की जुगलबंदी में एक और दुर्लभ गीत, प्रस्तुत है। पता नहीं इतने मधुर गीत छुपे कैसे रह जाते हैं?
फिल्म: लाडली १९४९
संगीतकार: अनिल बिस्वास
गीतकार: सफ़दर'आह' या प्रेम धवन संशय है। गीत की शैली को देखते हुए प्रेम धवन ही सही लगते हैं।
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गरीबों का हिस्सा गरीबों को दे दो
गरीबों को दे दो - २
गरीबों का...
अमीरोंऽऽऽऽऽऽऽ
अमीरों हमें सूखी रोटी ही दे दो -२
गरीबों का हिस्सा...
जो पहले थी वही है हालत हमारी
थे पहले भी भूखे, है अब भी भिखारी
हमें सांसे है हाथ फैले हुए दो
गरीबों का हिस्सा...
ये ऊंची इमारत, ये रेशम के कपड़े
ना कुटिया ही हमको, ना खादी के टुकड़े
हमें भी तो अपना बदन ढ़ांकने दो-२
गरीबों का हिस्सा...
अगर रूखी सूखी ये खाकर बचेंगे
तो कल को ये गांधी जवाहिर बनेंगे
इन्हें सिर्फ जीने का मौका ही दे दो
गरीबों का हिस्सा...
http://hindi-films-songs.com से साभार
13 टिप्पणियाँ/Coments:
bahut hi anuutha geet hai--1949 ke kayee popular geet suney hain magar ye pahli baar sun rahey hain--
purane geeton mein lyrics bhi meaningful hotey they--is mein shaq nahin
मैंने भी पहली ही बार सुना… अच्छा गीत है…
कमाल के बोल हैं... पहली बार परिचय हुआ इस गाने से.
सुंदर गीत..
अरे वाह ...लतादी ने ना जाने कितने ऐसे गीत गाये हैँ जिन्हेँ पहली बार सुनना सुखद अनुभव बन जाता है और आपका शुक्रिया ऐसे नगीने डूँढ कर लाते हैँ और सुनवाते हैँ :)
- लावण्या
पहली बार सुना र दिल मै बस गया, लगता है बहुत ही पुराना है,
धन्यवाद
This song was written by Hudda.
geet ke bol bahut hi acche hain, pehli baar suna ye geet. Dhanyavaad sagar bhai
समाजवादी बोल और यह अनसुना अनमोल,अनमोल गीत |
इसे सुनकर फ़िल्म आरती के गीत'लहू का रंग एक है अमीर क्या ग़रीब क्या'की याद हो आयी |
पहली बार इस गाने से परिचय हुआ पुराने गानों के खजाने का अनमोल गीत/ इसे सुनाने के लिये शुक्रिया/
Test comment
सुरीले दौर का पता देता है ये गीत सागर भाई.
तब शायद कान भी ज़्यादा सुरीले थे.
अहंकार,ईर्ष्या,तमस,प्रतिस्पर्धा और अपने को जताने और बताने से परे थी दुनिया. काश ! इन गीतों का सुरीलापन हमारी ज़िन्दगी के आसपास बिखरे बेसुरेपन को कुछ कम कर सकता.
बहुत ही सुन्दर और दुर्लभ गीत ! दिल को छूते हुये बोल !!
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