मम्मा, मेरी माँ प्यारी माँ, मम्मा
क्या सचमुच अच्छे गीत बनने बंद हो गये हैं?
राधिका बुधकर जी ने अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट कहाँ खो गया संगीत? में पहले किसी पोस्ट में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में लिखा था
अब जवाब यह हैं कि मुझे सिर्फ़ इतना ही नही लगता कि शास्त्रीय रागों पर आधारित गाने बनना बंद हो गए हैं ,बल्कि मुझे लगता हैं गीत बनना ही बंद हो गए हैं । संगीत किसे कहेंगे हम ,वह जो जिसमें मधुर स्वर ,उपयुक्त लय ,सुंदर बोल हो और उसे जिसे उसी सुन्दरता से गाया गया हो
माँ, मेरी माँ
प्यारी माँ..मम्मा
ओ माँ
हाथों की लकीरे बदल जायेंगी
गम की ये जंजीरे पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुवाओं का है घर
मेरी माँ..मम्मा
बिगड़ी किस्मत भी संवर जायेगी
जिन्दगी तराने खुशी के गायेगी
तेरे होते किसका डर
तू दुवाओं का है घर
मेरी माँ , प्यारी माँ.. मम्मा
यूं तो मैं सबसे न्यारा हूँ
तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
यूं तो मैं सबसे न्यारा हूँ
पर तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
दुनियाँ में जीने से ज्यादा
उलझन है माँ
तू है अमर का जहाँ
तू गुस्सा करती है
बड़ा अच्छा लगता है
तू कान पकड़ती है
बड़ी जोर से लगता है, मेरी माँ
मेरी माँ..प्यारी माँ
मम्मा, ओ माँ.. प्यारी माँ .. मम्मा
हाथों की लकीरे बदल जायेंगी
गम की ये जंजीरे पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुवाऒं का है घर
मेरी माँ..मम्मा
ऐसा ही एक गीत मैं आपको सुनाना चाहता हूँ, जो शायद अभी तक रिलीज भी नहीं हुई है, फिल्म दसविदानिया का है, फिल्म के संगीतकार और गायक कैलाश खैर है। यह एक गीत सुनिये... माँ, मेरी माँ.. मम्मा।
इस गीत को आप आंखे बंद कर ध्यान से और शास्त्रीय संगीत के पैमाने में फिट किये बिना सुनें। सुनिये और बताइये क्या वाकई अच्छे गीत बनना बंद हो गये हैं? क्या इस गीत की लय उपयुक्त नहीं है? क्या बोल सुंदर नहीं है? मैं आपको इस गीत को यहाँ सुनवाने की बजाय एक दूसरे लिंक कर क्लिक करवा रहा हूँ।
इस लिंक पर क्लिक कर गाना सुनिये और साथ में गुनगुनाने ले लिये यहाँ आईये..
'हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर '
सुंदर शब्द |
इस दुलारे ,प्यारे ,ताज़ा तरीन गीत से मिलवाने का धन्यवाद |
वाकई गाना बहुत सुन्दर है। मां से जुङे गाने सुन्दर न हो ऐसा हो ही नही सकता। धन्यवाद ये गाना सुनवाने के लिए। मुझे ~'~मै कभी बतलाता नही पर अन्धेरे से डरता हूं मैं मां ~'~ गाना बहुत पसन्द है।
बहुत खूब. कहाँ कहाँ गोते लगाते रहते हैं भाई ?
दिल जीत लिया आप के इस गाने ने
धन्यवाद
अच्छा गीत है.
अच्छे गीत बनते रहे हैं और बनते रहंगे.
"हो खुदा पे भी असर
तू दुवाऒं का है घर"
बहुत सुन्दर!!
maa...shabd hi anmol hai.ham jo bhi aaj inke hi aarshibaad se to hai aaj.
माशाल्लाह...क्या बात कही है और इस लिंक के लिये कोटिशः धन्यवाद
गीत लिखा भी अच्छा है, वैसे गीतकार कौन है?
कैलाश खेर एक उम्दा और स्वाभाविक गायक है.बेहद सुरीले. अलमस्त , उत्तुंग और आवेशित हो गाते है.
मगर स्वभाव के विपरीत यह गीत बडे भावुकता के साथ, सुरीले पन या बेसुरापन इसकी पर्वाह किये बगैर एक बेटे के अंतरंग से गाया है. गीत की ज़रूरत की वजह से सतरंगी सुरों की जगह चुने हुए सुरों का किफ़ायती प्रयोग, उनके सृजनधर्मिता की दाद देने को दिल चाहता है. गीत सुनवाने का धन्यवाद, क्योंकि ऐसे गीत गाहे बगाहे ही सुन पाते है, (विविध भारती के अलावा क्या है रेडियो पर?)
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