ए दिल ए बेकरार जैसे भी हो गुजार : एक और दुर्लभ गीत
आईये आज आपको लता जी का एक और दुर्लभ गीत सुनवाते हैं। संगीतकार गुलाम मुहम्मद भी उन संगीतकारों में से एक थे जिन्होने लताजी की खूबसूरत आवाज का अपने संगीत में बहुत शानदार उपयोग किया। लता के शुरूआती दिनों में आगे गीतों में उनकी आवाज में एक अलग ही तरह की कशिश है, आईये सुनकर ही अनुभव कीजिये।
फिल्म मांग 1950
संगीतकार: गुलाम मुहम्मद
गीतकार सगीर उस्मानी (इस फिल्म के एक और गीत के बारे में गीतायन से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
ए दिल ए बेकरार
जैसे भी हो गुजार
कौन तेरा गमखार
कहने को है हजार-२
लाख तुझे रोका
खा ही गया धोका
कहती ना थी हर बार-२
मत कर किसी से प्यार
ए दिल ए बेकरार.....
सुख था झूठा सपना
जिसको समझ अपना
सुख को दुख: पर वार
सह ले गम की मार
ए दिल ए बेकरार.....
देख लिया अंजाम
आखिर हुआ नाकाम-२
प्यार बड़ा दुश्वार
पा न सका मझधार
ए दिल ए बेकरार.....
www.hindi-movies-songs.com से साभार
4 टिप्पणियाँ/Coments:
दीदी की आवाज़ मुझे हर दशक मेँ, हर गीत मेँ, पसँद आती है
इसे पहले सुना नहीँ था इस कारण विशेष आनँद आया :)
- लावण्या
dhnywaad is rare geet ko sunwane ke liye--pahli baar sun rahi hun yah geet.
सागर भाई । इस गाने में लता जी की आवाज़ बेहद कच्ची और शुरूआती सीढ़ी वाली लग रही है । मज़ा आ गया ।
दो तीन दिन से ब्रॉडबैन्ड ने 'जैराम जी की' कर दी थी । हमने बहुत चिरौरी की तब वापस आया और आते ही आपका ये गाना सुनने मिला । बोहनी अच्छी हो गयी है ।
गुलाम मोहम्मद जी का संगीत तो अनुपम है ही. इस दुर्लभ गीत को सुनने का आभार.
http://mallar.wordpress.com
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