तेरी आँखों को जब देखा, कँवल कहने को जी चाहा
- मेहदी हसन की एक उम्दा गज़ल-
मेरा मानना है गज़लों के मामले में मेहदी हसन के मुकाबले शायद ही कोई गायक ठहरता होगा। एक से एक उम्दा गज़लें हसन साहब ने गाई है। किस का जिक्र करूं किस को छोड़ूं !!!! सूरज को आईना दिखाने का साहस मुझमें नहीं। मैं आज आपको मेहदी हसन साहब की सबसे बढ़िया गज़ल सुनवा रहा हूँ।
वैसे इसे गज़ल से ज्यादा प्रेम गीत कहना चाहिये, नायक ने नायिका के आँखो और होठों की किस सुन्दरता से तारीफ की है। बस आप गज़ल सुनकर ही आनंद लीजिये।
तेरी आँखो को जब देखा
कँवल कहने को जी चाहा
मैं शायर तो नहीं लेकिन
गज़ल कहने को जी चाहा
तेरा नाजुक बदन छूकर
हवाएं गीत गाती है
बहारें देखकर तुझको
नया जादू जगाती है
तेरे होठों को कलियों का
बदल कहने को जी चाहा
मैं शायर तो नहीं लेकिन
गज़ल कहने को जी चाहा
इजाजत हो तो आँखो में
छुपा लूं, ये हंसी जलवा
तेरे रुख़सार पे करले
मेरे लब़ प्यार का सज़दा
तुझे चाहत के ख्वाबों का
महल कहने को जी चाहा
मैं शायर तो नहीं लेकिन
गज़ल कहने को जी चाहा
तेरी आँखो में जब देखा..
11 टिप्पणियाँ/Coments:
गज़ल के लिये शुक्रिया........ पसन्द आयी।
मेरी पसंदीदा ग़ज़ल । अभी कुछ दिन पहले मेंहदी हसन की कुछ पुरानी चीजें एक सीडी पर हासिल की हैं जरा सूची देखिए और अश अश कीजिए ।
1. तेरी आंखों को जब देखा
2. अच्छी बात कहो
3. एक खिला हुआ गुलाब
4. दुनिया मेरी जिंदगी
5. कभी मेरी मुहब्बत कम ना होगी
6. जिंदा रहें तो किस की
7. एक दूजे में खो जाएं
8. ये तेरा आना
9. मेरे हमदम तुझे
10. तुझे प्यार करते करते मेरी उम्र बीत जाए
11. भीगी हुई आंखों का काजल
12. एक झलक दिखलादे
13. तू मेरे प्यार का गीत है
14. दुनिया से तुझको
15. भीगी भीगी रातों में यूं ही बातों बातों में
16. क्यों पूछते हो
17. एक सितम और भी
18. मैं सोचता हूं
19. दुनिया किसी के
20. मेरे दिल के अरमान
21. कोई हद नहीं है ।
बाप रे थक गया । कुल पैंतालीस गजलें और गीत हैं । कैसी रही सागर भाई
कमाल. कमाल. मन प्रसन्न हो गया. बहुत दिनों से नहीं सुना था ये गीत. शुक्रिया सुनवाने का.
और यूनुस भाई की list देख कर याद आया. मेहदी हसन का एक गीत मैं सदियों से ढूंढ रहा हूँ. किन्ही सज्जन के पास हो तो कृपा करें. पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता, लेकिन न जाने मुझे क्यों ऐसा लगता है कि ये गीत किसी फ़िल्म का है. मुखड़ा कुछ यूँ है : "ऐ रोशनियों के शहर बता ... उजियारों में अंधियारों का ये किस ने भरा है ज़हर बता ...... "
सागर भाई, ये गीत अगर आप के पास हो, या किसी और के पास हो ये गीत तो सुनवाने के कष्ट करें. आभारी रहूँगा.
सुनवाने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती
मोह्तरम, आप का ब्लॉग बड़ा ही दिलचस्प है! एक छोटी सी टिप्पणी -- जिस कलाकार का ज़िक्र आपने इस "पोस्ट" में किया है, उनका नाम "मेहंदी" हसन नहीं, बल्कि "मेहदी" हसन लिखना चाहिए. यानि नाम में अनुस्वार नहीं होना चाहिए. तस्दीक़ कर लें तो बड़ी महरबानी होगी. धन्यवाद.
@UVR
आज तक हम सब हसन साहब का पूरा नाम मेहंदी हसन ही सुनते पढ़ते आये हैं। आज आपने बताया तो मुझे एक बार आश्चर्य भी हुआ कि ऐसा कैसे हुआ?
उसके बाद मैं आपके ब्लॉग पर पहुंचा और आपकी लिखी गज़लें देखी और मेरा संशय दूर हो गया। आपने गज़ल के एक एक शब्द को बहुत ध्यान से उनके सही उच्चारण, अनुस्वार और नुक्ता के साथ लिखा है, आपसे गलती नहीं हो सकती।
मैने आपकी सलाह के अनुसार पोस्ट में से हसन साहब के नाम को सुधार दिया है।
सही जानकारी देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
:P :D :$ ;) :) :(
आज शुक्रवार छुट्टी का दिन है और गीतों की महफिल में बैठे हैं. जितने भी सुन पाए सुनेगें आज.. इक मस्ती का आलम छा गया ...बहुत बहुत शुक्रिया ...
Fantastic!!!!!!!!!!
Thank you for this wonderful gazal.
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर
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