भूल सके ना हम तुम्हें: मन्ना डे द्वारा संगीतबद्ध गीत
एक बार कहीं पढ़ा था कि मोहम्मद रफी साहब ने एक साक्षात्कार में कहा था कि "आप रफी को सुनते हैं और रफी मन्ना डे को सुनता है।" ऐसे महान गायक जिनकी तारीफ करें और जिनके प्रशंषक हों वह कितने महान होंगे?
मन्ना डे को हम एक महान शास्त्रीय गायक के रूप में जानते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि मन्ना डे एक कुशल संगीतकार भी हैं? मन्ना डे ने कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया है। दो फिल्मों के नाम मेरे ध्यान में है एक तो तमाशा और दूसरी चमकी ( दोनों 1952) परन्तु मन्ना दा एक गायक के रूप में ही ज्यादा पहचाने जाते हैं।
आज महफिल में आपके लिये प्रस्तुत है शास्त्रीय संगीत के इन विद्वान कलाकार मन्ना डे का संगीतबद्ध गीत जो फिल्म तमाशा में गाया है लता मंगेशकर ने और इसे लिखा है भरत व्यास ने। इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अशोक कुमार, मीना कुमारी और देवानंद।
अब आपको ज्यादा नहीं तड़पायेंगे लीजिये सुनिये और गुनगुनाईये इस सुन्दर गीत को।
मन्ना डे को हम एक महान शास्त्रीय गायक के रूप में जानते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि मन्ना डे एक कुशल संगीतकार भी हैं? मन्ना डे ने कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया है। दो फिल्मों के नाम मेरे ध्यान में है एक तो तमाशा और दूसरी चमकी ( दोनों 1952) परन्तु मन्ना दा एक गायक के रूप में ही ज्यादा पहचाने जाते हैं।
आज महफिल में आपके लिये प्रस्तुत है शास्त्रीय संगीत के इन विद्वान कलाकार मन्ना डे का संगीतबद्ध गीत जो फिल्म तमाशा में गाया है लता मंगेशकर ने और इसे लिखा है भरत व्यास ने। इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं अशोक कुमार, मीना कुमारी और देवानंद।
अब आपको ज्यादा नहीं तड़पायेंगे लीजिये सुनिये और गुनगुनाईये इस सुन्दर गीत को।
Bhool Sake Na Ham ... |
क्यों अखियाँ भर आई, फिर कोई याद आया
क्यों अखियाँ भर आई
क्यों अखियाँ भर आई
भूल सके न हम तुम्हें, और तुम तो जाके भूल गये
रो रो के कहता है दिल , क्यों दिल को लगा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
रो रो के कहता है दिल , क्यों दिल को लगा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
बेवफ़ा ये क्या किया , दिल के बदले गम दिया
मुस्कुरायी थी घड़ी भर , रात दिन अब रोऊँ पिया
एक पलक चन्दा मेरे . यूँ झलक दिखा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
मुस्कुरायी थी घड़ी भर , रात दिन अब रोऊँ पिया
एक पलक चन्दा मेरे . यूँ झलक दिखा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
कौन सी थी बैरन घड़ी वो , जबके तुझ से उलझे नयन
सुख के मीठे झूले में रुमझुम , झूम उठा था पावन सा मन
दिन सुनहरे रातें रुपहली , तुम मिले मैं हुई मगन
आँख खुली तो मैं ने देखा , देखा था एक झूठा सपन
सपनों के संसार में , मेरा मन भरमाके भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
सुख के मीठे झूले में रुमझुम , झूम उठा था पावन सा मन
दिन सुनहरे रातें रुपहली , तुम मिले मैं हुई मगन
आँख खुली तो मैं ने देखा , देखा था एक झूठा सपन
सपनों के संसार में , मेरा मन भरमाके भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
8 टिप्पणियाँ/Coments:
ये गीत पहली बारी सुना और दीदी की आवाज़ का जादू फ़िर मन पे छा गया -
शुक्रिया नाहर भाइ'सा ...
अरे मालिक. सागर भाई, कहाँ से लाते है आप ये मोती ? क्या कहूं कैसा लगा ये गीत सुन कर एक मुद्दत बाद. वैसे शायद आप समझते हों कैसा लगा होगा मुझे. शुक्रिया सर जी.
sundar geet...munbhaayaa
भरत व्यास जी के कलम का जादू है या स्वर कोकिला के कण्ठ का कमाल.
कारण चाहे जो भी रहा हो सागर भाई, मन्ना दा ने संगीतकार के रूप में भी अपनी शास्त्रीयता बरकरार रखी है और हमें एक अच्छी रचना से नवाज़ दिया है.
धन्यवाद.
श्री सागर भाई,
हम सिलोन के श्रोता से यह गाना अनजाना नहीं है । पर आप बिना रेडियो सुने यह कमाल करते है । वह काबिले-तारीफ़ है ।
पियुष महेता ।tasurat
बहुत प्यारा और मीठा गीत है सागर भाई । आनन्द आगया सुनकर । मधुर संगीत सुनवाने के लिए शुक्रिया।
वाह आंनद आ गया
वाह सागर भाई । मन्ना दा के गैर फिल्मी गीतों में से भी कई ऐसे हैं जिनकी धुन उन्होंने खुद बनाई है ।
दुर्लभ और मीठा गीत । आभार
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