ज्युथिका रॉय का गाया एक गाना - चुपके चुपके बोल
महफिल के इस अंक में आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ एक ऐसी गायिका की आवाज में गाया हुआ एक गाना जिन्हें आधुनिक मीरां भी कहा जाता था, मैं बात कर रहा हूँ पदम श्री ज्यूथिका रॉय की । ज्यूथिका रॉय जी ने बहुत से फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाये परन्तु वे सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुई मीरां बाई के भजनों से। आपको इस महफिल के अगले अंको में ज्यूथिका जी के गाये मीरा के भजन भी सुनाये जायेंगे।
ज्यूथिका जी ने सात वर्ष की उम्र में गाना शुरु कर दिया था और मात्र १२ वर्ष की उम्र में तो उनका पहला भजन रिकार्ड भी हो चुका था। १५ अगस्त १९४७ को सुबह प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की गाड़ियों का काफिला तीन मूर्ति भवन से लाल किला की और जाने के लिये निकल चुका था और आल इण्डिया रेडियो के स्टूडियो में ज्युथिका जी अपना गाना समाप्त कर चुकी थी , तभी पं जवाहर लाल नेहरू जी का एक संदेश वाहक दौड़ता हुआ आया और नेहरू जी का सदेश उन्हें दिया की जब तके वे लाल किला तक झंडारोहण करने नहीं पहुँच जाते तब तक गाना जारी रखा जाये और ज्यूथिका जी ने वापस गाना शुरु किया सोने का हिन्दुस्तान...( The Telegraph 10th December 2005)
यानि ज्यूथिका रॉय के प्रशंषकों में महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरु तक थे। The Statesman के 6 अगस्त 2006 के अंक में अपनी महात्मा गांधी और सरोजिनी नाय़डू से मुलाकात का पूरा वर्णन किया है। अब ज्यादा ना लिखते हुए आपको सीधे गाने पर ले चलते हैं पहले गाने के बोल और बाद में गाना।
प्रस्तुत गाने का संगीत दिया है कमल दास गुप्ता ने,
और गाने में नायिका - मैना से चुप रह कर बोलने को कह कर अपने साजन की विरह व्यथा कह रही है। लीजिये इस मधुर गाने का आनन्द और टिप्प्णी से अवगत करायें कि आपको महफिल कैसी लगी?
चुपके चुपके बोल मैना, चुपके बोल
तू चुपके चुपके बोल , चुपके चुपके बोल
साजन कब घर आयेंगे, मोरे साजन
मोरे साजन कब घर आयेंगे तू चुपके तू चूपके- तू चुपके चुपके बोल मैना, चुपके चुपके बोल
सोने की बिंदिया मोतियन माला, नथन(?) कब घर लायेंगे
तू चुपके तू चुपके....
जरी की साड़ी, हाथ हाथ का कंगना कब मुझको पहनायेंगे
अपनी अपनी प्रेम की बतियाँ मिल जुल हम दोहरायेंगे
साजन कब घर आयेंगे, तू चुपके ...
लुटी है भेद ये खुलने ना पाये ए मैना ,ना तेरे चेहरे(?)कोई रुलाये मैना
तू जानती है किस देस में वो साजन है
बता- बता दे मुझे चैन आये अ मैना
फिर ना बिसरने दूंगी उनको , चैन से दिन कट जायेंगे
साजन कब घर आयेंगे तू चुपके चुपके बोल...
chupke chupke bol ... |
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6 टिप्पणियाँ/Coments:
वाह। बढ़िया... सुन्दर गीत लाये हैं भईया... :)
मन में आनन्द-आनन्द छायो !
अन्नपूर्णा
सागर जी , धन्यवाद
सुंदर गीत और सुंदर क्वालिटी ।
कहां से ला रहे हैं सरकार
मज़ा आ गया ।
कमलदास गुप्ता के गीत तलत ने भी गाए हैं
और हेमंत कुमार ने भी
सागर भाई,
मज़ा आवी गई --
"मेना चुपके चुपके बोलती रहे भले,
आप मुखर ~ मधुर गीत सुनवाते रहिये ..
बधाई !
स स्नेह
--लावण्या
Sundar geet :) Meri mataji se inka naam suna karta tha. Google kiya to iss geet ke alawa anya dher saare geet mile http://juthika-roy.tripod.com/ per. Yahan sun sakte hein.
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