एक दुर्लभ गाना पहाड़ी सान्याल/ कानन देवी की आवाज में
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नमस्ते मित्रों! गीत संगीत की महफिल में आपका स्वागत है। यह जाल स्थल उन लोगों के लिये बनाया गया है जिन्हें भारतीय भाषाओं के पुराने और दुर्लभ गाने पसन्द हैं। जिसमें नामी और अनामी गायकों के और फिल्मी गैर- फिल्मी गाने भी शामिल होंगे। यह जाल स्थल निर्माण करने में गिरिराज जोशी ने बहुत सहायता की अत: उनका धन्यवाद।
इस महफ़िल के पहले अंक में एक बहुत ही दुर्लभ गाना प्रस्तुत कर रहे हैं।
पुराने गानों कभी प्रीलूड होता था जैसे आयेगा आने वाला से गाने से पहले खामोश है जमाना और एक मैं हूँ एक मेरी बेकसी की शाम है गाने से पहले जली जो शाखे चमन....। इस तरह कई गानों में पहले कुछ देर तक सिर्फ संगीत बजता था जैसे एक बंगला बने न्यारा। प्रस्तुत गाने में भी गाना शुरु होने से पहले कुछ देर तक संगीत ही बजता है और उसके बाद गायक गाना शुरु करते हैं।
जब तक आप गायकों की आवाज नहीं सुनेंगे विश्वास ही नहीं कर सकते कि यह गाना सन 1940 में बनी फिल्म का है। यानि एकदम पाश्चात्य संगीत सी धुन लगती है। कुछ हद तक यूं कहा जा सकता है कि हिन्दी फिल्म के गानों में पाश्चात्य संगीत का प्रभाव सबसे पहले आर सी बोराल ने शुरु किया।
प्रस्तुत गाना फिल्म हार जीत का है जिसे संगीतबद्ध किया है आर सी बोराल यानि राय चन्द बोराल ने और गाया है कानन देवी तथा पहाड़ी सान्याल ने। लीजिये लुत्फ उठाईये इस मधुर गाने का। मुझे विश्वास है कि नये गानों को पसन्द करने वालों को यह गाना निराश नहीं करेगा।
मस्त पवन शाख़ें, लहराये
बन हे मस्त पवन शाख़ें, लहरायें
बन-बन मोर पपीहे गायें
हे मस्त पवन शाख़ें, लहरायें
फूल,फूल -फूल पर भँवरे जायें
जाकर , प्रीत के, गीत सुनायें
फुल-फूल पर भँवरे जायें जाकर प्रीत के गीत सुनायें
जो हृदय में गीत है व्याकुल तू भी उसे सुना सुना-२
गा सजनवा गा सनवा गा सजनवा गा
मस्त पवन शाख़ें लहरायें बन-बन मोर पपीहे गायेंऽऽऽ
हे मस्त पवन शाख़ें
Mast pwan shakhen.... |
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7 टिप्पणियाँ/Coments:
ये तो नयी जानकारी है। आरसी बोराल ने पाश्चात्य संगीत में हिन्दी फ़िल्मी गानों को ढाला था। गाना सुनने में ठीक लगा।
गीतों की महफिल बहुत सुंदर बन पड़ी है । सुंदर गीत । शुभकामनाएं । इस महफिल्ा के लिए
हां ये बहुत अच्छा काम शुरू कर दिया आप लोगों ने.
बहुत सुंदर गीत है।
हो सके तो सरस्वती देवी के गाये गीत सुनाइए जो पहली महिला संगीतकार है।
शायद चल-चल रे नौजवान गीत उन्हीं का है।
अन्न्पूर्णा
बहुत बढ़िया महफिल सजाई है, बधाई.
सागर भाई व
आप दोनोँ ने ये सँगात की महफिल ' बहुत बढिया शुरु की है
साउन्द क्वालिटी भी एकदम बढिया है जिससे गीत सुनने का मज़ा
द्वीगुणीत हो रहा है बधाई !
स स्नेह
--लावण्या
Bahut badhiya gaana hai Sagar ji. Bahut dino ke baad fir se iss geet ko sunne ka mauka mila hai.
Bahut Bahut Dhanyawaad !!
- Pavan Kumar (Hyd)
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