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Tuesday, 29 March 2011

तस्वीर बनाता हूँ तेरी, खून-ए-जिगर से- एक गीत दो आवाजों में

एक और गीत- रफी साहब और हबीब वली मोहम्मद साहब आवाजों में

पिछली पोस्ट में आपने हबीब वली मोहम्म्द की आवाज में एक सुन्दर गज़ल शमशीर बरहना माँग गज़ब सुनी। चलिए आज आपको आज एक और सुन्दर गीत सुनाते हैं। आज आपके लिए एक प्रश्‍न है कि आप इन दोनों गीतों को सुनकर दिल से और बिना पक्षपात किए :) बताइये कि आपको कौनसी आवाज में गीत ज्यादा अच्छा लगा?

भई मुझे तो हबीब वली मोहम्मद حبیب ولی محمد की आवाज यहाँ रफी साहब से इक्कीस लगी। मुझे यह समझ में नहीं आता कि जब यह गीत वली साहब की आवाज में भी इतना अच्छा बना है तो फिर फिल्म में रफी साहब की आवाज में ही क्यों रखा गया!
यह गीत फिल्म दीवाना (Deewana 1952) का है। इस फिल्म के संगीतकार हैं नौशाद साहब और गीतकार हैं शकील बूँदायूनी। आपको याद होगा इस फिल्म में एक और भी बढ़िया गीत है - तीर खाते जायेंगे, आँसू बहाते जायेंगे, जिन्दगी भर अपनी किस्मत आजमाते जायेंगेऽऽऽऽ यह लता जी की आवाज में है।
खैर ... गीत सुनते हैं।

पहले मोहम्म्द रफी साहब की आवाज में....


तसवीर बनाता हूँ तेरी ख़ून-ए-जिगर से-2
देखा है तुझे मैं ने मुहब्बत की नज़र से
अरे, मुहब्बत की नज़र से

जितने भी मिले रंग वो सभी भर दिये तुझ में
हाय, भर दिये तुझ में
इक रंग-ए-वफ़ा और है,
लाऊँ वो किधर से
अरे लाऊँ वो किधर से
तसवीर बनाता हूँ तेरी...

सावन तेरी ज़ुल्फ़ों से घटा माँग के लाया
हाय, माँग के लाया
बिजली ने चुराई है तड़प तेरी नज़र से
अरे, तड़प तेरी नज़र से
तसवीर बनाता हूँ तेरी

मैं दिल में बिठा कर तुझे रुख़्सत न करूँगा
हाय, रुख़्सत न करूँगा
मुश्किल है तेरा लौट के जाना मेरे घर से
अरे जाना मेरे घर से
तसवीर बनाता हूँ तेरी

और अब हबीब वली मोहम्म्द साहब की आवाज में....

23 टिप्पणियाँ/Coments:

aradhana said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

हाँ, ये गीत सच में हबीब वाली मोहब्बत साहब की आवाज़ में ज्यादा अच्छा लग रहा है. धन्यवाद ये गीत सुनवाने के लिए.

Rajendra said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

दोनों ही लाजवाब है।

मीनाक्षी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

हमें हबीब साहब की आवाज़ में ज्यादा अच्छा लगा...खासकर यह गीत..रफ़ी साहब की अपनी अलग बात है...

प्रवीण पाण्डेय said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह।

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह, सागर साहेब वाह!
आपने तो कमाल कर दिया.
मैंने उस्ताद हबीब वली मोहम्मद की आवाज़ में यह कभी नहीं सुनी थी.
हालाँकि मोहम्मद रफ़ी साहेब का यह गाना मेरे पसंदीदा नगमों में से एक है.
मुझे नहीं पता था कि नौशाद साहेब ने इसे वली साहेब की आवाज़ में भी रिकॉर्ड किया था.
चलिए अगर कोई इसे इक्कीस नहीं मानता तो न सही पर किसी भी कीमत में यह उन्नीस भी नहीं.
पता नहीं क्या सोच कर ऐसा किया गया.
मैं समझता हूँ कि इसके पीछे भी वही बात रही होगी जैसा फिल्म 'आदमी' के दोगाने "कितनी हसीं आज मोहब्बत की रात है" में हुआ था जब कि तलत साहेब के बजाये महेंद्र कपूर की आवाज़ रफ़ी के सहगायक के रूप में ली गयी थी.
कहते हैं कि फिल्म वितरकों (distibutors) के कहने पर व्यावसायिक दृष्टिकोण से ऐसा किया गया था.
अवध लाल

daanish said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

इक रंग-ए-वफ़ा और है...
लाऊँ वो किधर से अरे लाऊँ वो किधर से ...
सागर साहब
ये तो थी इस गीत को पसंद करने की ख़ास वजह
लेकिन जो सवाल आपने पूछा है
वाली साहब की आवाज़ में इक ख़ास कशिश है
इसमें कोई शक नहीं , लेकिन रफ़ी साहब की आवाज़ को
तरजीह सिर्फ base को बनाए रखने के लिए किया गया होगा
वाली साहब को सुनने से पहले भी मेरी य राए थी कि
दीवाना फिल्म का ये गीत रफ़ी जी ने रफ़ी जी की आवाज़ में नहीं गाया है
नौशाद साहब की बहुत मुश्किल compositions में से एक है ये गीत
अंतरों में कई जगह ऐसी हैं जहां स्वर पर बने रहना मुश्किल हो जाता है
"सब भर दिए तुझ में..." ......... उफ्फ़...
और एक वजह अदाकार सुरेश और श्याम कुमार का होना भी तो हो सकता है
अब
आदरणीय युनुस भाई कुछ रौशनी डालें , तो कुछ
हम सब की राह नुमाई हो सके ......

daanish said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

और लता जी के जिस गीत का ज़िक्र आपने किया है
वो तो अपनी मिसाल आप ही है
जाने क्यूं
गीत में मुझे अनिल बिस्वास साहब का रंग नज़र आने लगता है

daanish said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मुआफी चाहता हूँ
एक बार फिर आना पड़ा
ये वली साहब वोही हैं
जिन्हों ने फिल्म "गाँव की गौरी" के लिए गीत लिखे थे ??

mukti said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

हबीब वली मोहम्मद साहब का नाम गलत लिखने के लिए क्षमा चाहती हूँ. इसका कारण मेरा की-बोर्ड है, जिसकी कुछ कीज़ काम नहीं कर रही हैं, और मुझे ऑनस्क्रीन की बोर्ड से काम लेना पड़ रहा है.

Vinayak Vaidya said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

SagarJi,

I tried and tried but the song--Tasveer-- simply does not load.
Rafi version off course is my favourite for many years.

Vinayak

इस्मत ज़ैदी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत ख़ूब !
मुझे तो वली मुहम्मद साहब का गाया हुआ ये गीत ज़्यादा अच्छा लगा
ऐसे नायाब गीत सुनवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत ही सुन्दर !! पहली बार हबीब वली को सुना और डूब गये उनकी आवाज मे ...

pravin said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

लगे हाँथ लता जी के गए हुए गीत का लिंक दे दीजिए

डॉ. अजीत कुमार said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सचमुच वली साहब की आवाज़ का इस गीत में कोई सानी नहीं है.

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

HVM sounds much better in this song and also in "Ye nathi hamarikismat". Most refreshing is your blog which gives many such surprises. I listned "Jogan ban aayi hoon" which was not inclueded in records of Shabab. Song is available at 4shared site. If any one wants it I can send the same my mail is hurangp@rediffmail.com


One song which I want to have is perhaps duet of Hemant and Lata "Hamari mohabbat hai ik cheej aisi jise ham kabhi na kabhi le hi lenge" This song has lines in antra "Mangege na tumse ye ankhon ki shokhi na gaalon ki surkhi"

I will be highly obliged it some one send me any other details of this song such as film name etc. Song is some time heard on vividh bharti

Raaj said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Singing a Film Song and singing a Ghazal are two different streams and both require a special skill. HVM has sung this song in a bit of ghazal style Rafi has sung in a style which is more suitable to a Film song.I enjoy both I think if Rafi had been asked to sing " Aaj Jane Ki Zid Na Karo" he would not have probably matched HVM. In this song I like Rafi version.

Sudhir Dwivedi said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates
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Sudhir Dwivedi said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Sabse bada to fark sound quality ka hai jisse aapko WALI Habeeb Homhammad shab ki awaaz Rafi sahab se 21 Lagi,dusri baat Wali Habeeb Mohammad sahab ne ye geet thore se high scale pe gaaye hai jo ki mere hisab se unki awaaz ke karna aisa hai.Rafi shab ki awaaz as usual meethi aur soft hai jo ki romantic geeton k liye bilkul fit baithi hai.Mere Hisab se agar filmi pehloo ko dekha jaaye to Naushad sahab ne koi galti nahi Ki Rafi sahab ke VERSION ko film me shamil kar ke kyuki filmi situation ke hisaab se Rafi sahab ki awaaz bilkul fit baithi hai jiski Rafi sahab ko maharat hasil thi(King of Playback Singing).Waise mujhe Habeeb sahab ka andaaz bhi bahot pasand aaya ...aur unka andaaz thora classical touch liye hue hai ya yun kahe non filmi touch(Pure Music).Habeeb sahab ki awaaz me ya geet sunane ke liye Bahot bahot shukriya.

Sudhir Dwivedi said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Sagar ji lijiye Rafi sahab ka ye link suniye jo ki better quality hai aur ab Batayie ki abhi bhi aapko 21 lagta hai??????
http://www.youtube.com/watch?v=EdXDhPOYYrw

Unknown said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

Rafi Saheb' version is much better... and mind you no one can sing better than Rafi Saheb...

गुड्डोदादी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

अभी तक तस्वीर बनी हुई है
कैसे निकालूँ

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