अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस ?-२
पिछले दिनों संजय पटेल जी ने संगीत मार्तण्ड ओमकारनाथ ठाकुर जी के स्वर में राग मालकौंस में रची बंदिश पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे.. सुनवाई और शीर्षक में एक हल्की सी शिकायत कर दी कि अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस ?" उनकी शिकायत जायज भी तो है।
इस कड़ी में मैं भी यही शिकायत्त करना चाहूंगा साथ ही आपको राग मालकौंस की एक और बंदिश सुनवाना चाहूंगा। यह बंदिश लता मंगेशकर जी ने खुद द्वारा निर्मित मराठी फिल्म कंचन गंगा में गाई है। संगीतकार हैं पं वसंत देसाई।
आईये सुनते हैं...
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Shyam sundar roop ... |
क्या बंदिश सुनने के बाद भी संजय भाई जी का प्रश्न अनुत्तरित ही रहा कि अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस?
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4 टिप्पणियाँ/Coments:
बहुत ही सुंदर भजन आप ने सुबह सुबह सुनवाया, धन्यवाद
sundar
अब ये दुर्लभ गीत ही तो रह गये है. हमें हर सू क्या क्या सुनने को मिल रहा है.
प्रस्तुत गीत कालातीत है.
सागर भाई
चित्रपट क्षेत्र के गुणी संगीतकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की जो सेवा की है वह अविस्मरणीय हैं.लताजी ने भी क्या कमाल के करिश्मे किये हैं यह बंदिश भी उसकी पुष्टि करती है.वाक़ई ये प्रस्तुति काल से परे है.
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