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Monday, 26 January 2009

मिट्टी की सौंधी खुशबू वाले मेरे पसन्दीदा गीत… (भाग-2)

Teesri Kasam, Raj Kapoor, Shailendra, Waheeda Rahman

सबसे पहले क्षमा चाहूँगा कि दो महीने के अम्बे अन्तराल के बाद दूसरा गीत पेश कर रहा हूँ, असल में व्यस्तता कुछ ऐसी रही कि गीतों पर लिख नहीं पाया… मिट्टी की सौंधी खुशबू वाले मेरे पसन्दीदा गीतों की श्रृंखला में यह गीत पाठकों की सेवा में पेश करना चाहता हूँ… यह गीत है 1966 में आई फ़िल्म “तीसरी कसम” का, जिसके निर्माता थे प्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र। इस गीत को लिखा भी उन्होंने ही है और संगीत दिया है उनकी अटूट टीम का हिस्सा शंकर-जयकिशन ने। फ़िल्म में इसे फ़िल्माया गया है राजकपूर, वहीदा रहमान और एक्स्ट्रा कलाकारों पर, जबकि आवाज़ है मन्ना डे और साथियों की।

मजे की बात यह है कि इस गीत में बोलों के नाम पर सिर्फ़ छः से आठ पंक्तियाँ हैं, लेकिन गीत को खास बनाती है इसकी धुन और इसका संगीत। यह गीत व्यक्ति को भीतर तक मस्त कर देता है, इस गीत के इंटरल्यूड्स सुनकर उसकी तबियत फ़ड़कने लगती है। दिन भर की थकान उतारने के लिये, दुनियादारी के झंझटों से मुक्त होकर, गाँव की चौपाल पर रात के वक्त, मुक्त कण्ठ से जो गीत गाये जाते हैं उनमें से यह एक है। जी करता है कि बस चार-छः “सहज-सीधे” दोस्तों की महफ़िल सजी हुई हो, कहीं से एक ढोलकी मिल जाये और यह गीत कम से कम 20 बार गाया जाये तब जाकर कहीं आत्मा तृप्त हो… ऐसा अदभुत गीत है यह। गीत का फ़िल्मांकन भी कुछ इसी तरह की “सिचुएशन” में है कि नाचने-गाने वाली “नचनिया” यानी कि वहीदा रहमान, राजकपूर की बैलगाड़ी में सवार होकर कहीं जा रहे हैं और बीच में एक गाँव में रात्रि विश्राम के लिये गाड़ी रुकती है… तब तक फ़िल्म में भोलेभाले गाड़ीवान राजकपूर और नाचने वाली वहीदा रहमान के बीच खुले तौर पर प्रेमांकुर तो नहीं फ़ूटा है, लेकिन दोनों के मन में “कुछ-कुछ होता है” वाली भावनायें हैं, ऐसे में गीत के बोलों में “पिंजरे वाली मुनिया…” एक तरह से वहीदा रहमान की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं कि वह नाचने वाली है लेकिन एक अदृश्य “पिंजरे” में कैद है और भोलाभाला ग्रामीण गाड़ीवाला (जिसे “चलत मुसाफ़िर” की संज्ञा दी गई है) उसे पा नहीं सकेगा… इस गीत के बोल भी उत्तरप्रदेश-बिहार के ग्रामीण बोलचाल से प्रेरित हैं, जिसे हम अवधी, भोजपुरी कुछ भी नाम दे सकते हैं… पहले यह गीत सुनिये…

मुखड़ा है- चलत मुसाफ़िर मोह लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया…





अब इस गीत का वीडियो देखिये… जिसमें आभिजात्य वर्ग के गोरे-चिट्टे राजकपूर आपको ग्रामीण वेशभूषा में दिखाई देते हैं। राजकपूर या शैलेन्द्र चाहते तो इस गीत में मुख्य कलाकार राजकपूर ही होते, लेकिन चूंकि फ़िल्म में गाना राह चलते एक पड़ाव पर हो रहा है, इसलिये इसे एक्स्ट्रा कलाकारों पर फ़िल्माया गया है। एक्स्ट्रा कलाकारों के सम्बन्ध में एक बात कहना चाहता हूँ कि इनका भी रोल फ़िल्मों में बहुत महत्वपूर्ण होता है और कई एक्स्ट्रा कलाकारों के सम्बन्ध बड़े-बड़े फ़िल्मकारों से ऐसे बन जाते हैं कि उनकी प्रत्येक फ़िल्म में वह कलाकार छोटे-छोटे रोल्स में दिखाई दे जाते हैं। इस गीत में जो कलाकार आपको मुख्य रूप से दिखाई दे रहे हैं (इनका नाम मैं ढूँढने की कोशिश में हूँ), यह सज्जन राजकपूर की फ़िल्मों में कई बार दिखाई दिये हैं, याद कीजिये फ़िल्म “राम तेरी गंगा मैली” में जो “नकली अंधा” व्यक्ति मन्दाकिनी को कोठे पर ले जाता है, वह रोल इन्हीं कलाकार ने निभाया है… बहरहाल यह गीत आप देखें या सुनें, “ढोलकी की तर्ज के जो नायाब टुकड़े” इसमें बीच-बीच में लगातार डाले गये हैं, उससे आपकी मुंण्डी खुद-ब-खुद हिलने लगेगी… और यही होती है कालजयी गीत की पहचान…






गीत के बोल इस प्रकार से हैं…

चलत मुसाफ़िर मोह लिया रे
पिंजड़े वाली मुनिया…
1) उड़-उड़ बैठी हलवैया दुकनिया…
बरफ़ी के सब रस ले लिया रे
पिंजड़े वाली मुनिया…

हे हे हे हे हे होय रामा हा…

2) उड़-उड़ बैठी बजजवा दुकनिया हा
कपड़ा के सब रस ले लिया रे
पिंजड़े वाली मुनिया हा

हे हे हे हे हे जियो-जियो, होय रामा

3) उड़-उड़ बैठी पनवड़िया दुकनिया
बीड़ा के सब रस ले लिया रे
पिंजड़े वाली मुनिया…

- सुरेश चिपलूनकर

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15 टिप्पणियाँ/Coments:

सागर नाहर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates
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सागर नाहर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

लेख पूरा पढ़ने से पहले एक जरूरी टिप्पणी याद आ गई सो लिख देता हूँ।
मेरी जानकारी के अनुसार राम तेरी गंगा मैली में अंध व्यक्ति की भूमिका करने वाले कलाकार का फिल्म में नाम "मणि लाल" था और उनका वास्तविक नाम कृष्ण धवन था।
कृष्ण धवन ने कई फिल्मों में दमदार भूमिकायें निभाई है।
ज्यादा जानकारी के लिये यहाँ देखें
कृष्ण धवन

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

भाई मज़ा आ गया. हमारी भारी जवानी के दिन थे और क्या दिन थे. पहले दिन पहले शो मे हम १३ लोग साथ बैठ कर देखे थे. आभार.

Pramendra Pratap Singh said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

हमें भी ये गीत बहुत पंसद आया

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

गणतँत्र दिवस की शुभेच्छाएँ बहुत शुभकामनाओँ सहित

कृष्ण धवन अँकल और उनकी पत्नी मुन्नी आँटी जी और बेटा बँटी (उसने भी कई फिल्मोँ मेँ काम किया है)
हमारे परिवारिक मित्र थे

मुन्नी आँटी बाँद्रा मेँ रहतीँ थीँ और मेसिज राज कपूर कृष्णा
भाभी की खास सहेली थीँ
दूसरी सहेली थीँ निर्मल आँटी
जो अनिल कपूर की माँ हैँ
- लावण्या

Dr Prabhat Tandon said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

पुरानी यादें ताजा कराने के लिये शुक्रिया ।

विष्णु बैरागी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सुरेशजी, आनन्‍द ला दिया। मन्‍ना दा का के इस गीत की बात ही अलग है। इसके फिल्‍मांकन की उल्‍लेखनीय बात यह भी थी कि फिल्‍म का नायक इसमें एक्‍स्‍ट्रा की तरह नजर आता था।

राज भाटिय़ा said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
बहुत सुंदर गीत, मेरी पसंद का,
धन्यवाद

दिलीप कवठेकर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत सुंदर और सुरीली प्रस्तुति.

नितिन | Nitin Vyas said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह मजा आ गया!

Alpana Verma said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

गीत तो सुना नहीं जा सका--error opening file' आ रही है.
हाँ ..गीत को देखा.बोल-संगीत सब बेहतरीन है.
सुंदर गीत .
[इस फ़िल्म की प्रस्तुति भी गज़ब की थी.
'तीसरी कसम 'यह फ़िल्म-दसवीं कक्षा के हिन्दी के सीबीऍसई syllabus में hai]

Anita kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

गीत सुन कर मजा आ गया

SurShivaayStudio - Live the Music said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

hello ji ,
मेरा नाम सुरभि है मैं Fm gold 106.4 delhi में रेडियो presenter हूँ कृपया अपनी ईमेल id मुझे दें
http://surabhisaxena77.blogspot.com/2009/08/blog-post_5772.html

mera bolg padhe

surabhi

SurShivaayStudio - Live the Music said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

गाँव के ट्रेंड्स वाले और गाने और उनके बारे में कुछ अच्छी जानकारी मुझे दीजिये कृपया

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

जी हाँ आपने एकदम सही कहा वे कृष्ण धवन ही है.मनोज कुमारजी की अधिकांश फिल्म्स मे वे उनके पिता और कामिनी कौशल जी माँ बनि.'उपकार' याद है?
मेरे पास बेस्ट सोंग्स का शानदार कलेक्शन. कोई ना मिले -नेट के होते ऐसी सम्भावना कम है फिर भी...-निःसंकोच कहियेगा.
इस ब्लोग को बुक-मार्क कर रही हूं.

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