जो हैं तकदीरवाले वही कुर्बान होते हैं.. लताजी की एक गज़ल
कोठे पर गाये जाने वाले गीत हमने पहले भी सुने हैं। लीजिये आज एक मधुर गीत सुनिये फिल्म जीवन मृत्यु से। गाया है लताजी ने , लिखा है आनन्द बक्षी ने और संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारे लाल।
Download Link
ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं
वहाँ ले जाते हैं कश्ती जहाँ तूफ़ान होते हैं
शमा की बज़्म में आ कर के परवाने समझते हैं
यहीं पर उम्र गुज़रेगी यह दीवाने समझते हैं
मगर इक रात के
हाँ हाँ.. मगर एक रात के ये तो फ़क़त मेहमान होते हैं
ज़माने में
मोहब्बत सबकी महफ़िल में शमा बन कर नहीं जलती
हसीनों की नज़र सब पे छुरी बन कर नहीं चलती
जो हैं तक़दीर वाले बस वही क़ुर्बान होते हैं
ज़माने में
डुबो कर दूर साहिल से नज़ारा देखनेवाले
लगा कर आग चुप के से तमाशा देखनेवाले
तमाशा आप बनते हैं तो क्यों हैरान होते हैं
ज़माने में
8 टिप्पणियाँ/Coments:
geet jindgi ke dukhon ko kam karten hain ,aaj ise sun kar
khusgawaar mahsoos hoon badhai
क्या बात है।
बहुत सुन्दर शायरी है इस गीत मै, बहुत ही गहरी
धन्यवाद इस सुन्दर गीत को सुनाने के लिये
Umda ghazal hai Doctor sahab.
Geet Sunkar Pagal Ho gaya
lataji ka ye geet apne aap mei anootha hai..film mei isse "zeb.rehmaan" pr filmaya gaya tha, unhone barhi nfaasat se bina gair.zroori thumke lgaaye sirf haav.bhaav aur aankho ki zbaaN se pesh karne ki kaamyaab koshish ki thi. Khair ! aapko dheroN mubaarakbaad !!! ---MUFLIS---
सागरजी कोटि कोटि प्रणाम इस गाने को सुनवाने के लिए. आनंद बक्षी जी का कलाम और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को जोड़ी के साथ लता जी की सुरीली आवाज़ ने इस लाजवाब ग़ज़ल में चार चाँद लगा दिए हैं. यह मेरा पसंदीदा गाना रहा है और जितना भी इसे सुने, फिर भी प्यास नहीं बुझती. पार्शव में हो रहे शोर शराबे को फिल्म की नज़र से देखें तो जायज़ दीखता है, परन्तु सिर्फ गाने के हद तक बगैर इस शोर गुल के इसमें ज्यादा निखार आ सकती थी. बोहत बोहत शुक्रिया.
ऐ एस मूर्ती
Post a Comment
आपकी टिप्प्णीयां हमारा हौसला अफजाई करती है अत: आपसे अनुरोध करते हैं कि यहाँ टिप्प्णीयाँ लिखकर हमें प्रोत्साहित करें।