श्याम म्हाने चाकर राखोजी- तीन स्वरों में मीरां का एक भजन
आज मैं आपको मीरा बाई का एक भजन सुनवा रहा हूँ जो तीन अलग अलग स्वरों में है। एक स्वर है लता जी का दूसरा वाणी जयराम का और तीसरा भारत रत्न और भारत कोकिला एम एस सुबलक्ष्मी का। एक ही भजन को इन तीनों ही गायिकाओं ने बहुत ही खूबसूरती से गाया है, अगर आप पुराने गीतों के प्रशंषक हैं तो आप इन तीनों ही गीतों को सुनकर झूम उठेंगे। तूफान और दिया(1956) फिल्म में गाये इस भजन का संगीत दिया है वसंत देसाई ने, वाणी जयराम के गाये भजन (मीरां- 1979) को संगीत दिया है भारत रत्न पंडित रविशंकर ने और एम एस सुबलक्ष्मी के गाये भजन ( फिल्म मीरा 1945) को संगीत दिया है एस वी वेंकटरमण ने। मीरा के इस भजन को तीनों गायिकाओं ने अलग अलग अंतरे गाये हैं, मैने तीनों ही गीतों की यहाँ लिख दिया है ताकि आप सुनने के साथ साथ गुनगुना भी सकें। प्रस्तुत भजन में मीरां बाई भगवान श्री कृष्ण से अनुरोध कर रही है कि आप मुझे अपना चाकर ( दासी- नौकर) बना लीजिये ताकि मैं नित्य आपके दर्शन कर सकूं। तूफान और दिया- लता जी- वसंत देसाई- मीरां बाई गिरिधारी मने चाकर राखो जी वाणी जयराम- पंडित रविशंकर- मीरां श्याम मने चाकर राखो जी वृंदावन की कुंज गलिन में तेरी लीला गासूं मोर मुकुट पीतांबर सोहे,गल बैजंती माला एम एस सुबलक्ष्मी- मीरां श्याम मने चाकर राखो जी योगी आया योग करन को, तप करने सन्यासी मने चाकर राखो जी
मने चाकर राखो, चाकर राखो, चाकर राखो जी
म्हाने चाकर राको, चाकर राखो, चाकर राखो.. गिरिधारी चाकर रहसूं बाग लगासूं
नित उठ दर्सन पासूं
वृंदावन की कुंज गलिन में गोविन्द लीला गासूं
ऊंचे ऊंचे महल बनाऊं
किस बिच राखूं बारी
सावंरिया के दरसन पाऊं-२
पहिर कसूंबी सारी
गिरधारी...
मीरां के प्रभु गहिर गंभीरा
हृदय रहो जी धीरा
आधी रात प्रभु दरसन दीन्हो
प्रेम ना देखे पीड़ा
चाकर रहसूं बाग लगासूं
नित उठ दर्सन पासूं
चाकरी में दरसन पाऊं सुमिरन पाऊं खरची
भाव भगत जा तेरी पाऊं, तीनों बातां करसी
श्याम मने..
वृंदावन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला
मीरां के प्रभु गहिर गंभीरा,सदा रहो जी धीरा
आधी रात प्रभु दरसन दीन्ही
प्रेम ना देखे पीड़ा
चाकर रहसूं बाग लगासूं
नित उठ दर्सन पासूं
श्याम मने..
मोर मुकुट पीतांबर सोहे,गल बैजंती माला
वृंदावन में धेनु चरावे मोहन मुरली वाला
चाकर राखो जी
प्रभुजी योगी आया.. तप करने सन्यासी
हरिभजन को साधू आया, वृंदावन के वासी
तेरे वृंदावन के वासी
मने चाकर..
मीरां के प्रभु गहर गंभीरा, सदा रहो जी धीरा
आधी रात प्रभु दरसन देवे, प्रेम ना देखे पीड़ा
मने चाकर राखो जी
6 टिप्पणियाँ/Coments:
बहुत सुंदर्……………मन खुश हो गया इतनी बढ़िया-बढ़िया तीन आवाज़ें एक साथ ,एक जगह सुनकर ।
आभार… नाहर जी
Bahut sundar bhajan hai saagar bhai....sunvane ke liye dhanyam...vaadam...
Nitin
सागर भाई
आनन्द आगया । मीरा का ये भजन बहुत प्यारा है। इतना सुन्दर चयन किया है तुमने। बधाई
धन्यवाद सागर भाई ! इतने बढिया गीतों को सुनाने के लिये !
वाह नाहर भाई ...बढिया गीत , बढिया प्रविष्टी !
बहुत सुंदर गीत सब दिल को छू गए ..
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