जाते हो तो जाओ हम भी यहां, वादों के सहारे जी लेंगे-सज्जाद हुसैन की कठिन रचना
हिन्दी फिल्मों में सबसे जटिल और perfectionist संगीतकार अगर कोई थे तो वे सज्ज़ाद हुसैन यानि सज्ज़ाद। मैंडोलिन, सितार, वीणा, बैंजो, एकॉर्डियन, गिटार, क्लेरिनेट के अलावा अन्य कई वाद्यंयंत्रों के सिद्धस्त सज्ज़ाद ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों को गाना हर किसी के बस में नहीं था, गाते या रियाज़ करते समय जरा सी चूक हुई नहीं कि सज्ज़ाद साहब का गुस्सा फूटा नहीं। लता जी को एक मौके पर डाँट देने वाले सज्ज़ाद उनकी गायकी से प्रभावित भी बहुत थे, वे सिर्फ लता जी और नूरजहां को अच्छी गायिका मानते थे।
जटिल रचनाएं और गुस्सैल स्वभाव के कारण कई फिल्में हाथ से छूट गई- छोड़ दी; पर जिन फिल्मों में संगीत दिया लाजवाब दिया।
प्रस्तुत गीत ... मिश्र भैरवी में रचित सज्जाद हुसैन साहब की यह रचना अदभुद है। लता जी से शानदार तानें इस गीत में सज्ज़ाद साहब ने गवाई हैं जैसे पहले अंतरे की लाईनें रुसवा न करेंगे हम तुमको.... सीने से लगा लेंगे.... और दूसरे अंतरे की पहली लाईन सीने से लगा कर वादों को खामोश रहेंगे रातों को.....इन लाइनों में ".सीने से लगा लेंगे॓ऽऽऽऽऽ" और "खामोश रहेंगे रातों कोऽऽऽऽऽऽ ..." पर खास ध्यान दीजिए एकदम स्पष्ट होगा कि इन्हें गाना कितना मुश्किल है और सज्ज़ाद साहब ने लता जी से इसे गवा लिया था।
फिल्म: खेल
गायिका: लता मंगेशकर
गीतकार : सागर निज़ामी
संगीतकार :
कलाकार : देवानंद - निगार सुल्ताना
जाते हो तो जाओ हम भी यहां,
वादों के सहारे जी लेंगे-२
खुद दे के किसी को दिल अपना,
कुछ खेल नहीं जीना लेकिन
घुट घुट के सही मर मर के सही-२
जैसे भी बनेगा जी लेंगे
रुसवा न करेंगे हम तुम को
सीने से लगा लेंगे ग़म को
उमड़े जो कभी दिल से आंसू
हम दिल ही दिल में पी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे
सीने से लगा कर यादों को
खामोश रहेंगे रातों को
शिकवे जो ज़बान पर आये कभी
होठों से ज़बान को सी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे.
प्रस्तुत गीत ... मिश्र भैरवी में रचित सज्जाद हुसैन साहब की यह रचना अदभुद है। लता जी से शानदार तानें इस गीत में सज्ज़ाद साहब ने गवाई हैं जैसे पहले अंतरे की लाईनें रुसवा न करेंगे हम तुमको.... सीने से लगा लेंगे.... और दूसरे अंतरे की पहली लाईन सीने से लगा कर वादों को खामोश रहेंगे रातों को.....इन लाइनों में ".सीने से लगा लेंगे॓ऽऽऽऽऽ" और "खामोश रहेंगे रातों कोऽऽऽऽऽऽ ..." पर खास ध्यान दीजिए एकदम स्पष्ट होगा कि इन्हें गाना कितना मुश्किल है और सज्ज़ाद साहब ने लता जी से इसे गवा लिया था।
फिल्म: खेल
गायिका: लता मंगेशकर
गीतकार : सागर निज़ामी
संगीतकार :
कलाकार : देवानंद - निगार सुल्ताना
जाते हो तो जाओ हम भी यहां,
वादों के सहारे जी लेंगे-२
खुद दे के किसी को दिल अपना,
कुछ खेल नहीं जीना लेकिन
घुट घुट के सही मर मर के सही-२
जैसे भी बनेगा जी लेंगे
रुसवा न करेंगे हम तुम को
सीने से लगा लेंगे ग़म को
उमड़े जो कभी दिल से आंसू
हम दिल ही दिल में पी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे
सीने से लगा कर यादों को
खामोश रहेंगे रातों को
शिकवे जो ज़बान पर आये कभी
होठों से ज़बान को सी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे.
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