दिल तोड़ने वाले देख के चल हम भी तो पड़े हैं राहों में
आज सुबह अपने खज़ाने में से इकबाल बानो/Iqbal Bano की गज़लों को सुन रहा था, अचानक एक ऐसी गज़ल बजने लगी कि दिल झूमने लगा। इसे मैने पहले कभी भी नहीं सुना था, मेरे अपने संग्रह में होने के बावजूद...... एक बार से मन नहीं भरा.. बार बार सुनी। फिर मन हुआ कि क्यों ना आपको भी सुनवाया जाये। वैसे भी महफिल महीनों से सूनी पड़ी है।
गज़ल और गायिका के लिए कुछ भी नहीं कहा जायेगा, बस सुनिये और आनन्द लीजिये।
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला
तू बाहों में बाहें डाल के
दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े हैं राहो में
क्या क्या ना जफ़ायें दिल पे सही
पर तुम से कोई शिकवा न किया
इस जुर्म को भी शामिल कर लो
मेरे मासूम गुनाहों में
जहाँ चांदनी रातों में तुम ने
खुद हमसे किया इकरार ए वफ़ा
फिर आज है क्यों हमसे बेगाने
तेरी बेरहम निगाहों में
हम भी है वोही, तुम भी वोही
ये अपनी अपनी किस्मत है
तुम खेल रहे हो खुशियों से
हम डूब गये हैं आहों में
दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े है राहों में
तू बाहों में बाहें डाल के
दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े हैं राहो में
क्या क्या ना जफ़ायें दिल पे सही
पर तुम से कोई शिकवा न किया
इस जुर्म को भी शामिल कर लो
मेरे मासूम गुनाहों में
जहाँ चांदनी रातों में तुम ने
खुद हमसे किया इकरार ए वफ़ा
फिर आज है क्यों हमसे बेगाने
तेरी बेरहम निगाहों में
हम भी है वोही, तुम भी वोही
ये अपनी अपनी किस्मत है
तुम खेल रहे हो खुशियों से
हम डूब गये हैं आहों में
दिल तोड़ने वाले देख के चल
हम भी तो पड़े है राहों में
फिल्म: कातिल (पाकिस्तान) १९५५
शायर:कतील शिफ़ाई
इस गीत को हिन्दी फिल्म कामसूत्र में शोभागुर्टू ने भी गाया था।
डाउनलोड लिंक
10 टिप्पणियाँ/Coments:
सागर जी,
मजा आ गया इस गज़ल में।
आकाशवाणी दिल्ली पर एक रचना सुनी थी लगभग बीस बाईस साल पहले, "प्यार की शाम ढली, आशियां गम का जला,
मुझको आवाज न दे, तेरी दुनिया से चला"
गायक का नाम वगैरह कुछ भी नहीं पता है, अगर कुछ बता सकें तो बड़ी मेहरबाने होगी।
आभार।
बढिया गजल है।
यह मेरी भी पंसन्दीदा ग़ज़ल है youtube पर इकबाल बानों की live performance में भी यह ग़ज़ल उपलब्ध है जिसे मैनें भी अपने orkut एकाउन्ट में डाल रखा है ।
शरद तैलंग
बहुत सुंदर जी एक दम मस्त
बडे दिनों बाद एक अच्छी गज़ल सुनने को मिली
एक अच्छी गज़ल सुनने को मिली
संगीत रसिक हैं आप
और हमे एक उम्दा ग़ज़ल सुनने को मिली शुक्रिया :)
स्नेह,
- लावण्या
Jaane kahan se surf karti is mahasagar tak aan pahunchi
jahan sur sagar ki saptrangi tarango mein kho gayi. Ek manch ko adbhut sur taal se saja hua paaya.
Devi Nangrani
saagar ji is gazal ko pehli baar jab suna tab class 4 mein tha .baad mein iska concert version to bahut mila par khoj khoj kar original version jab you tube par mila tab jaakar sukoon mila !
Yogendra shandilya
Amazing !! very nice... keep going
Thanks for sharing..
udaymastkandr@gamil.com
www.youtube.com/mastkalandr
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