तारीफ उस खु़दा की जिसने ज़हाँ बनाया: जगजीत सिंह
जगजीत- चित्रा की जोड़ी ने भी क्या खूब गज़लें गाई है, ज्यादातर तो आपने सुनी होगी पर कुछ ऐसी भी है जो आजकल कहीं सुनाई नहीं देती।जैसे कि यह..
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिसने जहां बनाया,
कैसी ज़मीं बनाई क्या आसमां बनाया,
मिट्टी से बेलबूटे क्या ख़ुशनुमा उग आये,
पहना के सब्ज़ ख़िल्लत, उनको जवां बनाया,
सूरज से हमने पाई गर्मी भी रोशनी भी,
क्या खूब चश्मा तूने, ए महरबां बनाया,
हर चीज़ से है उसकी कारीगरी टपकती,
ये कारख़ाना तूने कब रायबां बनाया,
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एक और कम सुनाई दे रही गज़ल बड़े दिनों से खोज रहे हैं, मिल गई तो बहुत जल्दी आपको उसे भी सुनायेंगे।
8 टिप्पणियाँ/Coments:
बहुत सुंदर लगा ....
बहुत बहुत शुक्रिया यह बहुत बहुत दिनों बाद सुना है
so Sweet Big B, मजा आ गया :)
अजी बहुत सुंदर गीत सुनाने का ध्न्यवाद
तारीफ़ उस खुदा की जिसने ये जहां बनाया, और हमें बक्षीं सुरों की समझ, ताकि हम ऐसे गज़लों और कलाकारों को सुनकर दिली सुकून हासिल करें.
तारीफ़ आप की भी सागरजी, जिसने ये कम सुनी हुई रचना सुनाई.
सागर भाईजी,
आप कौन सी गजल खोज रहे हैं, अगर हमारे पास मिली तो अवश्य आप तक भेजेंगे।
बहुत सुन्दर !!
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिसने जहां बनाया,
कैसी ज़मीं बनाई क्या आसमां बनाया,
मिट्टी से बेलबूटे क्या ख़ुशनुमा उग आये,
पहना के सब्ज़ ख़िल्लत, उनको जवां बनाया,
सूरज से हमने पाई गर्मी भी रोशनी भी,
क्या खूब चश्मा तूने, ए महरबां बनाया,
हर चीज़ से है उसकी कारीगरी टपकती,
ये कारख़ाना तूने कब रायबां बनाया,
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