जा रे चंद्र: लताजी का एक और मधुर गीत
मैने अब तक महफिल में जिन
गीतों को शामिल किये हैं;
कोशिश रही है कि वे अनसुने-दुर्लभ या उनमें कुछ खास बात हो। इन गीतों में से अधिकतर आज रेडियो पर सुनाई नहीं पड़ते। इस श्रेणी में आज एक और अदभुद गीत आपके लिए प्रस्तुत है।
जैसा कि हम जानते हैं पं नरेन्द्र शर्मा का लिखा, सुधीर फड़के द्वारा संगीतबद्ध और लताजी का गाया गीत हो तो वह एकदम लाजवाब ही होता है ( उदाहरण के लिए "ऐसे हैं सुख सपन हमारे", "बाँधी प्रीत फूल डोर", "मन सौंप दिया अन्जाने में", "लौ लगाती-गीत गाती" आदि) इसी श्रेणी में यह एक बहुत ही मधुर संगीत और सुन्दर शब्दों से रचा गीत आपके लिए!
जैसा कि हम जानते हैं पं नरेन्द्र शर्मा का लिखा, सुधीर फड़के द्वारा संगीतबद्ध और लताजी का गाया गीत हो तो वह एकदम लाजवाब ही होता है ( उदाहरण के लिए "ऐसे हैं सुख सपन हमारे", "बाँधी प्रीत फूल डोर", "मन सौंप दिया अन्जाने में", "लौ लगाती-गीत गाती" आदि) इसी श्रेणी में यह एक बहुत ही मधुर संगीत और सुन्दर शब्दों से रचा गीत आपके लिए!
इसे गाया है लताजी ने
फिल्म सजनी 1956 के लिए फिल्मांकन हुआ है अनूप कुमार और सुलोचना पर।
आइये गीत सुनते हैं और साथ-साथ नीचे दिए शब्दों को पढ़ कर गुनगुनाते हैं।
आइये गीत सुनते हैं और साथ-साथ नीचे दिए शब्दों को पढ़ कर गुनगुनाते हैं।
जा रे चंद्र,
जा रे चंद्र, और कहीं जा रे-२
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रे
बृन्दावन सुना है सुना मन मेरा
विघना कुछ ऐसी कर कल न हो सवेरा
झरते नयन, भरते , नयन, डूब रहे तारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रे
बृन्दावन सुना है सुना मन मेरा
विघना कुछ ऐसी कर कल न हो सवेरा
झरते नयन, भरते , नयन, डूब रहे तारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा रे चंद्र जा रे
नयन नीर,
मन में पीर, इतनी सी कहानी
है ये प्रीत, रीत सखी, पहले क्यूँ न जानी
कल कि सुन कल ना पडे विकल मन पुकारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा रे चंद्र जा रे
है ये प्रीत, रीत सखी, पहले क्यूँ न जानी
कल कि सुन कल ना पडे विकल मन पुकारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा रे चंद्र जा रे
प्राण हरे कान पड़े मुरली धुन आली
मोहन मन नाम सखी मोहन वनमाली
कैसे रहे प्राण रहे जब न प्राण प्यारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा रे चंद्र जा रे
download link
Song Title: Ja Re Chandra Ja re
Film : Sajani 1956
Music: Sudhir Fadke
Lyric: Pt. Narendra Sharma
Singer : Lata mangeshkar
(गीत की Lyric में मदद करने के लिए लावण्या (दी) शाह का विशेष धन्यवाद)
मोहन मन नाम सखी मोहन वनमाली
कैसे रहे प्राण रहे जब न प्राण प्यारे
गोकुल से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा रे चंद्र जा रे
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Song Title: Ja Re Chandra Ja re
Film : Sajani 1956
Music: Sudhir Fadke
Lyric: Pt. Narendra Sharma
Singer : Lata mangeshkar
(गीत की Lyric में मदद करने के लिए लावण्या (दी) शाह का विशेष धन्यवाद)
5 टिप्पणियाँ/Coments:
अहा..
बहुत दिन बाद महफ़िल जवान हुई , बहुत मधुर गीत से , पहले सुना नहीं था
राजश्री शर्मा जी की टिप्पणी (फेसबुक)
इस कदर मधुर, दर्द में डूबा हुआ गीत ,एक एक शब्द जैसे लताजी गाती जाती हैं एक एक दृष्य आँखों के सामने आता जाता है !!विरहिणी राधा और उसकी सखियाँ रो रो कर चन्द्रमा से इल्तिजा कर रही हैं . जाने की... आंसूओं की धार टूट नहीं रही है ...चारों ओर उदासी छाई है ...और रात ढलती जा रही है ... इतना करूण दृष्य . देखकर हम भी आंसूओं में डूबे बिना नहीं रहते !! अति सुंदर तहे दिल से शुक्रिया सागरजी
ek madhur geet sunvane ka bahut bahut abhar..
Vaah.
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