बाँध प्रीत फूल डोर- एक मधुर गीत
दुनियाँ की सबसे सुरीली आवाज, लता मंगेशकर का आज तिरासीवां जन्म दिन है। लता जी पर इतने शब्द लिखे जा चुके कि और कुछ लिखना सही नहीं होगा। हमने श्रोता बिरादरी ब्लॉग पर लता उत्सव के रूप में पिछले १२ दिनों से कई सुन्दर गीत आपको सुनवाये, पर लता उत्सव मनाने के लिए १२ दिन बहुत कम हैं, अगर मैं अपनी पसन्द के लताजी के गाए गीत भी अगर रोज के एक के हिसाब से पोस्ट करूं तो उनका समापन करने में महीनों लग जायेंगे।
अब तक मैने महफिल ब्लॉग पर भी लता जी के कई दुर्लभ/ कम सुने जाने वाले गीत सुनाएं हैं। पर आज मैं एक ऐसा गीत सुनवाना चाह रहा हूं जो दुर्लभ और अनसुना नहीं है, लता जी अक्सर सुनाई देने वाले गीतों में से एक है।
आइये गीत सुनते हैं।
फिल्म: मालती माधव 1951
संगीत: सुधीर फड़के
गीत: पण्डित नरेन्द्र शर्मा
बाँध प्रीति फूल डोर, मन लेके चित्तचोर
दूर जाना ना, दूर जाना ना
मन के किवाड़ खोल, मीत मेरे अनमोल
भूल जाना ना, भूल जाना ना
कैसे सहूँ विछोहन, मन में रमा है मोहन
रूठ जाना ना, रूठ जाना ना
लता जी का फोटो पं नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री लावण्या शाह के सौजन्य से
3 टिप्पणियाँ/Coments:
सुन्दर सरल संगीत।
सागर नाहर भाई'ससा
नमस्ते
अभी अभी आपके ब्लॉग पे लगा पूज्य पापा व आदरणीया दीदी का गाया यह सुमधुर गीत देखा
बहुत खुशी हुई और इस पोस्ट के लिए आपका धन्यवाद -- आप हमेशा ही चुनिन्दा और मधुर गीत
या कोयी नई - पहले न सुनी विलक्षण बातों से आपकी हर प्रविष्टी को प्रस्तुत करते रहते हैं
ये आपके ब्लॉग की विशिष्टता है
जो आपके संगीत प्रेम और लगन की परिचायक है -
अत: आपको साधुवाद !
कैसे सहूँ विछोहन, मन में रमा है मोह --
ऐसी पंक्ति है
स स्नेह,
- लावण्या
Bahut hi sundar geet sunwane Ka hridaya se dhanyawad
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