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Saturday 8 August, 2009

न जी भर के देखा ना कुछ बात की: एक गीत पहेली


दूरदर्शन के दीवानों के लिये आज एक गीत पहेली! चंदन दास की इस सुन्दर गज़ल को पहचानिये...
न.. न.. न.. इस पहेली में कोई पुरुस्कार नहीं मिलेगा सो अनुरोध है कि गूगल बाबा की शरण लिये बिना इस पहेली को हल करने की कोशिश कीजिये कि यह गज़ल आपने कहां सुनी है?
दूसरा और तीसरा हिंट दे रहा हूं कि यह आपने कम से कम बीस साल पहले सुनी होगी तब शाहिद कपूर बहुत छोटे बच्चे रहे होंगे!!! एक और पहेली यह है कि अगर यह दूसरा हिंट है तो पहला और तीसरा हिंट कौनसा है?


न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

कई साल से कुछ ख़बर ही नही कई साल से कुछ ख़बर ही नही
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

उजालों कि परियां नहाने लगीं उजालों कि परियां नहाने लगीं
नदी गुनगुनाये ख़यालात की नदी गुनगुनाये ख़यालात की

मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी
ज़बाँ सब समझते है जज़्बात की ज़बाँ सब समझते है जज़्बात की

सितारों को शायद खबर ही नही सितारों को शायद खबर ही नही
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की

7 टिप्पणियाँ/Coments:

Kavita Vachaknavee said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मैंने तो इसे जगजीत सिंह के एक कैसेट में सुना था, वह मेरे पास भी भी रखा है।

Kavita Vachaknavee said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

भी = अभी

L.Goswami said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

sundar gajal..maine chndan ji ki aawaj me kai baar suni hai sahi hai kavita ji ..jagjit sinh ke hi gajal sangrah me suni thi

Neeraj Rohilla said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

TV serial: Phir wohi Talaash!!!

वीनस केसरी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates
This comment has been removed by the author.
वीनस केसरी said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

महोदय,

आप इसे महज संयोग कह सकते हैं की कल रात मै इस गजल को पढ़ते हुए ही सोया था आज जब उठा तो बार बार ये गजल गुनगुना रहा था और फिर रात हुई और गुरु जी श्री पंकज सुबीर जी का ब्लॉग खोला तो लिंक में मिली ये पोस्ट...................:)

प्रस्तुत गजल का मतला मेरे लिए बहुत ख़ास है क्योकि इस मिसरे को मुझे मेरे सीनियर ने ६ साल पहले सुनाया और मै गजल की और मुड गया
मुझे नहीं पता था की ये किसकी गजल है फिर इसे जगजीत सिंह जी की आवाज में सुना
और अंत में जब बशीर बद्र जी की गजल संग्रह "उजाले अपनी यादों के " पुस्तक ख़रीदी तो पता चला की ये गजल बशीर साहब की है

(किताब में पहले के तीन शेर आपके द्वारा पोस्ट किये गए की तरह ही है मगर अंतिम दो में कुछ अंतर है )


न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

कई साल से कुछ ख़बर ही नही
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

उजालों कि परियां नहाने लगीं
नदी गुनगुनाये ख़यालात की

मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी
ज़बाँ सब समझते है जज़्बात की

(किताब में इस शेर में "हवा" के जगह "नदी" शब्द का प्रयोग हुआ है और शेर कुछ इस तरह है)

मैं चुप था तो चलती नदी रुक गयी
ज़बाँ सब समझते है जज़्बात की

सितारों को शायद खबर ही नही
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की

(इस शेर की जगह पुस्तक में एक अलग शेर दिया है जो ये है की,)

मुकद्दर मिरी चश्मे पुरआब का
बरसती हुई रात बरसात की

venus kesari

prashant said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

फिर वही तलाश दूरदर्शन का धारावाहिक आता था, बहुत अच्छा धारावाहिक था, उसी में इस गजल को सुना था, शाहिद कपूर की माँ इस धारावाहिक में थीं शायद नीलिमा अजीम अगर मैं गलत नहीं हूँ तो।

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