ताजमहल मेरे ताज : सचिन दा का अनसुना-कमसुना गीत
सचिन देव बर्मन दा के गाए गीतों की सूचि बनाए जाए तो हमें यह गीत ध्यान में आते हैं
उम्मीद भरा पंछी-8 दिन
सुन मेरे बंधु रे - सुजात
मेरे मांझी हैं उस पार - बन्दिनी
वहाँ कौन है तेरा - गाईड
अल्लाह मेघ दे - गाईड
काहे को रोये - आराधना
मेरी दुनिया है माँ तेरे आंचल में - तलाश
प्रेम के पुजारी हम हैं- प्रेम पुजारी
जिन्दगी ए जिन्दगी - जिन्दगी जिन्दगी
डोली में बिठाय के - अमर प्रेम
यह सब बहुत ही हिट गीत हैं और अक्सर कहीं न कहीं सुनाई दे जाते हैं। लेकिन कुछ गीत ऐसे भी होंगे जिन्हें हमने अब तक नहीं सुने होंगे। ऐसा ही एक गीत आज आपके लिए प्रस्तुत है। यह गीत 1941 की फिल्म ताजमहल का है और इसके संगीतकार हैं मधुलाल दामोदर मास्टर!
यह 1941 की फिल्म ताजमहल का गीत है इसमें संगीतजगत के दिग्गज संगीतकार सचिन दा ने मधुलालजी के लिए गाया है।
प्रेम की प्यारी निशानी
जाग रही सर पे बादल ताज
रुक मुसाफिर आँसूओं की
भेंट चढ़ा ले आज
सर पे बादल ताज
आहें, आहें तुम्हारी ऎ शाहजहाँ
रख गयी ये प्रेम का निशान
मौत जीत के तुम ही बसाए
यहाँ प्रेम का राज
ताजमहल मेरे ताज-2
प्रेम की रानी कहाँ मुमताज़
पिया के अभिमान
तुम्हारी याद करे करे रोये
प्यारा हिन्दुस्तान
आँसू बहावओ आगे जमुना
जमुना, जमुना
चमेली, कुसुम रोये अपना
चमेली, चमेली, चमेली
बुझ गयी शम्मा महफ़िल की
पडे रह गये साज़
ताजमहल मेरे ताज
मधुलाल जी हिन्दी फिल्म जगत के सबसे पहली पीढी के संगीतकारों में से एक हैं। आप के ऑरकेस्ट्रा में सज्ज़ाद साहब और नौशाद साहब जैसे दिग्गज संगीतकार वाद्ययंत्र बजाया करते थे। पंकज राग की पुस्तक "धुनों की यात्रा का यह अंश" देखिए।
मधुलाल जी की कहानी-उन्हीं की जबानी
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