मारी सवा लाख री लूम गम गई इडाणी
जुलाई महीने में सूरत में भतीजी का विवाह था और वहां पूजा घर में कौड़ियों से सजी एक इडाणी (इडोनी/इढोनी...सर पर मटकी रखने से पहले रखने वाली कपडे की रिंग) दिख गई, फोटो खींचने की वंशानुगत बीमारी के कारण मन ललचा गया तो फटाफट इडाणी के फोटो खींच लिए।
इडाणी, ईडो |
रविवार को छुट्टी थी तो इडाणी के फोटो को इंस्टाग्राम पर अपलोड करने के लिए उसके विषय से मिलते जुलते टैग के लिए गूगल पर खोज की तो कुछ नहीं मिला पर अचानक वीडियो पर क्लिक हो गया और वहां जो मिला उसने मन को खुश कर दिया, वहां एक गीत मिला "मारी सवा लाख री लूम गम गई इडाणी" ।
अरे! यह गीत तो बचपन में महिलाओं को गाते बहुत सुना था। जैसे ही गीत को प्ले किया इतना आनन्द आया कि बाकी समय में उसी गीत को बार बार सुना (पहले की तरह कैसेट घिस जाने का डर नहीं था)।
इस गीत के संगीतकार पंडित शिवराम हैं जिन्होंने व्ही. शांताराम जी की "तीन बत्ती चार रास्ता" और कई फिल्मों में संगीत दिया था।
इस गीत को गाया है स्वयं पंडित शिवराम ओम पंवार (महिला स्वर) ने।
आइये सुनते हैं इस सुन्दर गीत को।
अरे! यह गीत तो बचपन में महिलाओं को गाते बहुत सुना था। जैसे ही गीत को प्ले किया इतना आनन्द आया कि बाकी समय में उसी गीत को बार बार सुना (पहले की तरह कैसेट घिस जाने का डर नहीं था)।
इस गीत के संगीतकार पंडित शिवराम हैं जिन्होंने व्ही. शांताराम जी की "तीन बत्ती चार रास्ता" और कई फिल्मों में संगीत दिया था।
इस गीत को गाया है स्वयं पंडित शिवराम ओम पंवार (महिला स्वर) ने।
आइये सुनते हैं इस सुन्दर गीत को।
मारी सवा लाख री लूम गम गई इडाणी
इडाणी रे कारणै मैं मरूं कटारी खाय
गम गई इडाणी
इडाणी रे कारणै मैं मरूं कटारी खाय
गम गई इडाणी
मैं जाऊं किया पनघट ऊपर अब किया भरूँ मैं पाणी
हो मारूजी कियां भरूँ मैं पाणी
तू रोवै मती, घबरावै मती मारे मनड़े री तू राणी
ओ पाली रे बाजार में इडाणी जोऊँ जाय
ओ इडाणी रे कारणे मारो परण्यो पाली जाए
गम गई इडाणी.. मारी सवा री लूम
हो मारूजी कियां भरूँ मैं पाणी
तू रोवै मती, घबरावै मती मारे मनड़े री तू राणी
ओ पाली रे बाजार में इडाणी जोऊँ जाय
ओ इडाणी रे कारणे मारो परण्यो पाली जाए
गम गई इडाणी.. मारी सवा री लूम
जैपर रो पौमचो ओढ़ने मैं माथे धरती इडाणी
भंवरजी माथै धरती इडाणी
बीरे ऊपर चांदी रो बैवड़ौ भर भर लाती पाणी
भंवरजी भर भर लाती पाणी
ओ इडाणी गम गया पछी मारी छाती धड़का खाय
गम गई इडाणी मारी सवा लाख ...
भंवरजी माथै धरती इडाणी
बीरे ऊपर चांदी रो बैवड़ौ भर भर लाती पाणी
भंवरजी भर भर लाती पाणी
ओ इडाणी गम गया पछी मारी छाती धड़का खाय
गम गई इडाणी मारी सवा लाख ...
मारी हिवरी जड़ी मोत्यां री लड़ी सौने सूं जडूं इडाणी
हो गौरी सौने सूं जडूं इडाणी
तूं सौ नखरा सूं झूम झूम ने फेर भरेली पाणी
हो गौरी तूं फेर भरेली पाणी
ओ जैपर रा बाजार सूं इडाणी ल्यादूँ चार
ओ इडाणी रे कारणे मारो परण्यो जैपर जाए
हो गौरी सौने सूं जडूं इडाणी
तूं सौ नखरा सूं झूम झूम ने फेर भरेली पाणी
हो गौरी तूं फेर भरेली पाणी
ओ जैपर रा बाजार सूं इडाणी ल्यादूँ चार
ओ इडाणी रे कारणे मारो परण्यो जैपर जाए
4 टिप्पणियाँ/Coments:
अमां आप बेकार में इतनी चिंता कर रहे थे कितनी कमाल की पोस्ट बन पड़ी है । और गीत का तो कहना ही क्या
धन्यवाद अजय जी।
Better is the line
Better is the line
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