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Wednesday, 25 June 2008

ऐ मेरे हमसफर: अभिनेत्री नूतन का गाया एक दुर्लभ गीत

महफिल ब्लॉग शुरु करते समय मेरी इच्छा थी कि इसपर दुर्लभ गीत ही सुनायें जायें। इस कड़ी में मैने कई दुर्लभ और मधुर गीत सुनाये भी। इस कड़ी में अभिनेता दिलीपकुमार का गाया हुआ गीत लागी नाही छूटे भी शामिल था।

कुछ सालों पहले मैने मेरी पसंदीदा अभिनेत्री नूतन की आवाज में एक गीत सुना था। (जी हाँ नूतन ने भी कुछ गीत गाये हुए हैं) उस गीत को मैने बाद में बहुत खोजा पर वह कहीं नहीं मिला। कल परसों नेट पर आखिरकार वह गीत मिल ही गया। अब यह गीत मुझे जहाँ से मिला वह आप जब जानेंगे तो आश्चर्यचकित रह जायेंगे। ( इस का खुलासा एक दो दिन में ॥दस्तक॥ पर होगा)

तो लीजिये प्रस्तुत है नूतन जी का गाया हुआ गीत, यह गीत नूतनजी की माँ शोभना समर्थ द्वारा निर्देशित फिल्म छबीली 1960 का है। इस गीत को संगीतबद्ध किया है स्नेहल भाटकर ने।

लीजिये सुनिये।

ऐ मेरे हम सफर
ले रोक अपनी नजर
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर

चांद तारों से पूछ ले
या किनारो से पूछ ले
दिल के मारो से पूछ ले
क्या हो रहा है असर

ले रोक अपनी नजर
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर

मुस्कुराती है चांदनी
छा जाती है खामोशी
गुनगुनाती है जिंदगी
ऐसे में हो कैसे गुजर

ले रोक अपनी नजर
ना देख इस कदर
ये दिल है बड़ा बेसबर

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