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Thursday 19 November, 2020

मोती चुगने गई रे हंसी मानसरोवर तीर - तीर

भारती सिने संगीत जगत में सबसे आदरणीय संगीतकारों में से एक हैं हंसराज बहल, जिन्हें संगीत प्रेमी प्यार और सम्मान से से मास्टरजी भी कहते थे। आज ही के दिन यानि 19 नवम्बर 1916 को अम्बाला में जन्में मास्टर जी को भी किस्मत मुंबई ले आई। आपने संगीत जगत को एक से एक अनमोल गीतों को अपने संगीत से अमर कर दिया।  

Chhin Le Azadi
आज जिक्र एक भूले-बिसरे गीत का, जो मास्टर जी की शुरुआती संगीतबद्ध फिल्मों में से एक है। यह गीत है फिल्म "छीन ले आजादी" का जिसे लिखा पंडित इन्द्र चन्द्र ने और गाया है मुकेश एवं शमशाद बेगम ने। इस गीत के पहले अंतरे को जब आप ध्यान से सुनेंगे तो लगेगा कि यह स्वर मानों कुन्दन लाल सहगल साहब का हो। 

 मोती चुगने गई रे हंसी -2 
मानसरोवर तीर - तीर
मानसरोवर तीर
पंख पंख पर राजहंस ने -2
लिख दी प्रीत की पीर-2
प्यास बुझाने आई हंसी, छलक रहा था नीर-2
प्यासी रह गईं अंखियां उसकी-3
लग गया प्रीत का तीssर -2
लग गया प्रीत का तीर-2
मोती चुगने गई रे हंसी -2
मानसरोवर तीर - मानसरोवर तीर

 कभी मिटे नहीं प्यास प्रीत की, प्यासा सदा अधीर-2
जनम जनम की प्यासी हंसी -3
कैसे धरे अब धीर - धीर
कैसे धरे अब धीर
मोती चुगने गई रे हंसी -2
 मानसरोवर तीर -2 

 

 इस फिल्म (छीन ले आजादी) में गुलाम मोहम्मद और वीणा मुख्य भूमिकाओं में थे

Monday 19 October, 2020

ताजमहल मेरे ताज : सचिन दा का अनसुना-कमसुना गीत

सचिन देव बर्मन दा के गाए गीतों की सूचि बनाए जाए तो हमें यह गीत ध्यान में आते हैं
उम्मीद भरा पंछी-8 दिन
सुन मेरे बंधु रे - सुजात
मेरे मांझी हैं उस पार - बन्दिनी
वहाँ कौन है तेरा - गाईड
अल्लाह मेघ दे - गाईड
काहे को रोये - आराधना
मेरी दुनिया है माँ तेरे आंचल में - तलाश
प्रेम के पुजारी हम हैं- प्रेम पुजारी
जिन्दगी ए जिन्दगी - जिन्दगी जिन्दगी
डोली में बिठाय के - अमर प्रेम 

 
यह सब बहुत ही हिट गीत हैं और अक्सर कहीं न कहीं सुनाई दे जाते हैं। लेकिन कुछ गीत ऐसे भी होंगे जिन्हें हमने अब तक नहीं सुने होंगे। ऐसा ही एक गीत आज आपके लिए प्रस्तुत है। यह गीत 1941 की फिल्म ताजमहल का है और इसके संगीतकार हैं मधुलाल दामोदर मास्टर! 
यह 1941 की फिल्म ताजमहल का गीत है इसमें संगीतजगत के दिग्गज संगीतकार सचिन दा ने मधुलालजी के लिए गाया है। 

 
प्रेम की प्यारी निशानी
जाग रही सर पे बादल ताज
रुक मुसाफिर आँसूओं की
भेंट चढ़ा ले आज
सर पे बादल ताज
 
आहें, आहें तुम्हारी ऎ शाहजहाँ
रख गयी ये प्रेम का निशान
मौत जीत के तुम ही बसाए
यहाँ प्रेम का राज
ताजमहल मेरे ताज-2 
 
प्रेम की रानी कहाँ मुमताज़
पिया के अभिमान
तुम्हारी याद करे करे रोये
प्यारा हिन्दुस्तान
आँसू बहावओ आगे जमुना
जमुना, जमुना
चमेली, कुसुम रोये अपना
चमेली, चमेली, चमेली
बुझ गयी शम्मा महफ़िल की
पडे रह गये साज़
ताजमहल मेरे ताज

   


मधुलाल जी हिन्दी फिल्म जगत के सबसे पहली पीढी के संगीतकारों में से एक हैं। आप के ऑरकेस्ट्रा में सज्ज़ाद साहब और नौशाद साहब जैसे दिग्गज संगीतकार वाद्ययंत्र बजाया करते थे। पंकज राग की पुस्तक "धुनों की यात्रा का यह अंश" देखिए।




 मधुलाल जी की कहानी-उन्हीं की जबानी
 

Sunday 11 October, 2020

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो: एक भूला बिसरा गीत


आपने  मिनर्वा मूवीटोन की और 1950 की फिल्म शीशमहल का गीत "हुस्न वालों की गलियों में जाना नहीं-ज़हर खाना मगर दिल लगाना नहीं" जिसे शमशाद बेगम ने गाया है; बहुत बार रेडियो पर सुना होगा, लेकिन इसी फिल्म में एक  और गीत है जो इस गीत से कहीं ज्यादा सुरीला है लेकिन (कभी कभार रेडियो शिलॉन को छोड़ कर) पता नहीं क्यों यह गाना कहीं सुनाई नहीं देता । 
इस गीत को पद्‍मश्री पुष्पा हंस ने गाया है और फिल्म में अभिनय भी किया है।
इस फिल्म की एक और खास बात यह है प्रसिद्ध गीतकार प्रेम धवन और संगीतकार ने इस फिल्म में नृत्य निर्देशन भी किया था।
आईये सुनते हैं इस मधुर गीत को।

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो-2
कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो-2
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये हमेशा से है तक़दीर की गर्दिश का चालन-2
चाँद सूरज को भी लग जाता है एक बार ग्रहण 
वक़्त की देख के तब्दीलियां हैरान ना हो- 2 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये है दुनियां यहाँ दिन ढलता है शाम आती है- 2 
सुबह हर रोज नया ले के पयाम आती है 
जानी बुझी हुई बातों से तू अन्ज़ान ना हो 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 
कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो

गीतकार : शम्स लखनवी एवं बेज़ाद लखनवी
संगीतकार: वसंत देसाई 
फिल्म: शीशमहल 1950












Saturday 29 August, 2020

इक तू के सर उठा के चला दाग़ दिखाने -मुकेश जी का भूला बिसरा गीत

            

मुकेश जी के गाए गीतों की जब भी चर्चा होती है उनके हिट गीतों की ही चर्चा होती है जिन्में मुकेश ने शंकर जयकिशन, नौशाद, अनिल विश्वास, रोशन जैसे दिग्गज संगीतकारों के लिए गाया है। वे गीत भी हिट हुए और बहुत सारी फिल्में भी।

मुकेश जी के कई और भी बढ़िया गीत हैं उनमें से कुछ अभी याद आ रहे हैं जिनमें से कुछ मैने पहले पोस्ट किए हैं जैसे  सुहागरात फिल्म का  गीत - "लखि बाबुल मेरे काहे को दिन्ही बिदेस, 1956 की फिल्म अनुराग एवं स्वयं मुकेशजी का संगीतबद्ध  गीत किसे याद रखूं, किसे भूल जाऊं। कुछ और भी हैं जैसे -सोचता हूँ ये क्या किया मैने - हमारी याद आएगीलुट गया दिन रात का आराम क्यूं  (आराम 1949) जीवन सपना टूट गया - अनोखा प्यार, अशआर मेरे यूं तो ज़माने के लिये है-गैर फ़िल्मी गज़ल आदि! लेकिन अभी भी बहुत से दुर्लभ गीत कभी कभार सुनाई दे ही जाते हैं जिन्हें सुनते ही लगता है अरे! यह तो हमने कभी सुना भी नहीं था।

शायद यूट्यूब न होता तो हम इन्हें कभी सुन भी नहीं पाते। देश विदेश में भारतीय एवं हिन्दी फिल्मों के गीतों के शौकीनों ने इन्हें यूट्यूब पर अपलोड कर इन दुर्लभ गीतों को हमें फिर से  सुनने का मौका दिया है जो कहीं खो से गए थे।

आज इस कड़ी में एक बहुत ही दुर्लभ गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह एक अप्रदर्शित फिल्म  मोनिका 1940 का है और इसे संगीतबद्ध किया है सुशान्त बनर्जी (एस बनर्जी ) ने। संभवत: अगर यह फिल्म प्रदर्शित हो जाती तो मुकेश जी का पहला गीत - "दिल जलता है तो जलने दे" न होता।

खैर इस खुबसूरत गज़ल शैली के गीत को सुनिए... एक और भूला बिसरा गीत अगली कड़ी में



एक और वीडियो


 

इक तू के सर उठा के चलाsss-2
दाग़ दिखाने
इक वो के चार चाँद, लगाये हैं हया ने
इक तू के सर उठा के चला
क्या देख लिया तूने मेरे चाँद को ए चाँद
चाँद को ए चाँद
क्या देख लिया तूने मेरे चाँद को ए चाँद
आँचल में जो बदली के चला
मुंह को छिपाने
इक तू के सर उठा के चला


तुझ को तो कुछ खबर ही नहीं -3
ए ज़मीं के चाँद
तारों की, तारों कीssss
तारों की ज़ुबान पर भी हमारे हैं फसाने
इक तू के सर उठा के चला


तू भी उसी को ढूंढ रहा है लिए चिराग़-2
आती है आती है ss
आती है जिसकी याद
मेरे दिल को दुखाने
इक वो के चार चाँद
लगाये हैं हया ने

इक तू के सर उठा के चला

दाग़ दिखाssssने

 

Thursday 14 May, 2020

हमें भाभीजी आ को मिल गई: एक मीठा-मिठाईयों वाला गीत

 हिन्दी फिल्मों के सबसे सफल और सबसे मधुर संगीत देने वाले संगीतकारों में से एक नौशाद साहब के बारे में बहुत लिखा-पढ़ा-सुना जा चुका; लेकिन उनके शुरुआती संगीतबद्ध गीतों में से बहुत से अब भी उनके चाहकों के लिए अनसुने होंगे।

 इस श्रेणी का एक मस्तीभरा गीत सुनिए।  यह गीत कोरस गीत है इसलिए इसे किस गायक ने गाया है इसकी जानकारी नहीं मिलती।

इस गीत में कलाकार भाभीजी के आने की खुशी में झूमते हुए पेठा- पतीसा-मखाने-जलेबियाँ मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
आईये सुनते हैं।

यह गीत फिल्म नई दुनिया 1942 का है और इसी फिल्म से हिन्दी फिल्म जगत को (बेबी) सुरैया जैसी गायिका मिली जो  बाद में बड़ी अभिनेत्री-गायिका बनीं। सुरैया ने इसमें पह्ली बार "बूट करूँ में पालिश ओ बाबूजी" गीत गाया। हालांकि इसी वर्ष (1942) की एक और फिल्म ’शारदा"; नई दुनिया से पहले रिलीज हुई थी इसलिए कई फिल्म इतिहासकार शारदा के गीत "पंछी जा पीछे रहा बचपन मेरा" को पहला गीत मानते हैं।

बोलो छूम छ न न न न न छई - 2
छ छ छई छ छ छई छ छ छई- 2
छई
हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई-2
बोलो छूम छ न न न न न छई -2

अब आएगी रोज़ मिठाई रे सजनवा
आएगी रोज़ मिठाई
हम खाएँगे प्रेम से भाई -2
कहो मैंने ये कैसी बात कही-2
ओ बोलो
छूम छ न न न न न छई -2
छई
हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई
बोलो छूम छ न न न न न छई

भाभी अपनी छे सुंदर नारी जी वाह वाह
अपनी छे सुंदर नारी
तेरी सूरत छे घणी प्यारी -2
त त थई त त थई त त त त त त थई -2
बोलो छूम छ न न न न न छई
छ छ छई छ छ छई छ छ छई- छई
हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई
बोलो छूम छ न न न न न छई

जब पेठा पतीसे आएंगा
ओ डीयर जब पेठा पतीसे आएंगा
वैल हम भी तो खूब खाएंगा- 2
हा ह ह हा ह ह ह ह ह हई -2
बोलो छूम छ न न न न न छई
छ छ छई छ छ छई छ छ छई- छई
हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई
बोलो छूम छ न न न न न छई

गरमा गरम जलेबियाँ मखाने नि जे बिंदिए
गरम जलेबियाँ मखाने
असी खवांगे हूण रब्ब जाने -2
अग्गे मिल्दी सी सानु रोटी बई -2
बोलो छूम छ न न न न न छई
छ छ छई छ छ छई छ छ छई-छई
हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई
बोलो छूम छ न न न न न छई

आ भाई अच्छा अच्छा है ये मेरा बाणी बखाना
भाई अच्छा अच्छा है ये मेरा बाणी
भाभी मिला है अति लासानी -2
पुईओ पुईओ , खाना पुईओ
खाना पुईओ, खाना पुई
पुईओ पुईओ, खाना पुईओ
खाना पुईओ, खाना पुई
बोलो छूम छ न न न न न छई
छ छ छई छ छ छई छ छ छई-छई

हमें भाभी जी आ को मिल गई छ छ छई -2
बोलो छूम छ न न न न न छई-2


फोटो एवं पोस्टर मूवीज गूगल से साभार


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