आज मिले मन के मीत: मन्ना दा का सुन्दर गीत
पूरे समाचार को देखते और बीच-बीच में दिखाए जा रहे गानों को देखते-सुनते हुए आँखें नम हो गई। मन्ना दा जैसे महान गायक और संगीतकार ने अपनी जिन्दगी खूब जी। 90 वर्ष की उम्र तक स्टेज पर गाते दिखाई देते रहे, इस उम्र में भी उनका जोश और संगीत के प्रति प्रेम कम होते नहीं दिखा।
जाना तो एक दिन सबको है, मन्ना दा भी गये लेकिन हमारा मोह हमारे अपनों से कम नहीं होता। बचपन से मन्ना दा के गाने सुनते हुए हम उन्हें अपना समझने लगे थे।
मन्ना दा ने हजारों गीत गाये जिनमें से ज्यादातर गीत हम सब अक्सर रेडियो, टीवी और बाद में इन्टरनेट और यूट्यूब की वजह से देख और सुन पा रहे हैं; लेकिन आज भी कुछ गीत ऐसे हैं जिन्में मन्ना दा के प्रशंसकों ने नहीं सुने होंगे।
पहली बार मन्ना दा के गाये इस गीत को मैने लगभग चार-पाँच साल पहले सुना था तभी इस गीत को महफिल में पोस्ट करने की इच्छा थी, लेकिन पहले तो आलस्य और फिर फेसबुक के चलन की वजह से यह गीत टलता ही गया। बाद में और भी गीत पोस्ट हुए लेकिन यह गीत तो पोस्ट करने का कभी मौका मिला ही नहीं।
बड़ा दु:ख हो रहा है कि आज मुझे मन्ना दा के जाने के बाद यह गीत पोस्ट करना पड़ रहा है।
आज मन्ना दा को सादर प्रणाम करते हुए यह गीत पोस्ट कर रहा हूँ, जिसे मन्ना दा ने फिल्म "नवाब सिराजुद्दोला" (1967)के लिए "मदन मोहन" के संगीत निर्देशन में इसे गाया है।
मन्ना दा के गाये और संगीतबद्ध कुछ और दुर्लभ गीत