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Tuesday, 21 May, 2019

जाते हो तो जाओ हम भी यहां, वादों के सहारे जी लेंगे-सज्जाद हुसैन की कठिन रचना

हिन्दी फिल्मों में सबसे जटिल और perfectionist संगीतकार अगर कोई थे तो वे सज्ज़ाद हुसैन यानि सज्ज़ाद। मैंडोलिन, सितार, वीणा, बैंजो, एकॉर्डियन, गिटार, क्लेरिनेट के अलावा अन्य कई वाद्यंयंत्रों के सिद्धस्त सज्ज़ाद ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों को गाना हर किसी के बस में नहीं था, गाते या रियाज़ करते समय जरा सी चूक हुई नहीं कि सज्ज़ाद साहब का गुस्सा फूटा नहीं। लता जी को एक मौके पर डाँट देने वाले सज्ज़ाद उनकी गायकी से प्रभावित भी बहुत थे, वे सिर्फ लता जी और नूरजहां को अच्छी गायिका मानते थे। जटिल रचनाएं और गुस्सैल स्वभाव के कारण कई फिल्में हाथ से छूट गई- छोड़ दी; पर जिन फिल्मों में संगीत दिया लाजवाब दिया।

प्रस्तुत गीत ... मिश्र भैरवी में रचित सज्जाद हुसैन साहब की यह रचना अदभुद है। लता जी से शानदार तानें इस गीत में सज्ज़ाद साहब ने गवाई हैं जैसे पहले अंतरे की लाईनें रुसवा न करेंगे हम तुमको.... सीने से लगा लेंगे.... और दूसरे अंतरे की पहली लाईन सीने से लगा कर वादों को खामोश रहेंगे रातों को.....इन लाइनों में ".सीने से लगा लेंगे॓ऽऽऽऽऽ" और "खामोश रहेंगे रातों कोऽऽऽऽऽऽ ..." पर खास ध्यान दीजिए एकदम स्पष्ट होगा कि इन्हें गाना कितना मुश्किल है और सज्ज़ाद साहब ने लता जी से इसे गवा लिया था।

 फिल्म:  खेल
गायिका: लता मंगेशकर
गीतकार : सागर निज़ामी
संगीतकार :
कलाकार : देवानंद - निगार सुल्ताना



 जाते हो तो जाओ हम भी यहां,
वादों के सहारे जी लेंगे-२
खुद दे के किसी को दिल अपना,
कुछ खेल नहीं जीना लेकिन
घुट घुट के सही मर मर के सही-२
जैसे भी बनेगा जी लेंगे

रुसवा न करेंगे हम तुम को
सीने से लगा लेंगे ग़म को
उमड़े जो कभी दिल से आंसू
हम दिल ही दिल में पी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे

सीने से लगा कर यादों को
खामोश रहेंगे रातों को
शिकवे जो ज़बान पर आये कभी
होठों से ज़बान को सी लेंगे
जाते हो तो जाओ
वादों के सहारे जी लेंगे.

Friday, 17 May, 2019

रूम झूम बादोलो आजि बोरोशे: कमला झारिया

कई सालों पहले इस बांग्ला गीत का टुकड़ा मिला तब यह मुश्किल से तीस चालीस सैकंड का था, बरसों तक खोजने के बाद एक दिन आखिरकार यह  पूरा गाना मिल गया। तब से मैं इस गीत को अगड़म बगड़म गाते हुए सुन रहा था। कुछ दिनों पहले शुभ्रा जीजी (सम्प्रति : आकाशवाणी दिल्ली)
 से अनुरोध किया तो उन्होंने उस गीत के सही शब्द बता दिए,और उसके बाद गाने को सुनने का आंनद अब कई गुना बढ़ गया। बहुत बहुत धन्यवाद शुभ्रा जिज्जी
आहा-आहा, तन-मन झूम रहा है। 
नजरुल संगीत/गायिका: कमला झारिया

रूम झूम बादोलो आजि बोरोशे
आकुल शिखी नाचे घनो मेघो दोरोशे।
बारिरो दोर्शन आजि खोने खोने। 
नोवो नीरद श्याम मुख पोड़े मोने। 
ना जानि कोन देशे, कोन प्रिया शोने। 
रोयेछे भुलिया नोवो हर्षे।

রুম ঝুম বাদল আজি বরষে
আকুল নিশি নাচে ঘন দরশে ।।

বারির দরশনে আজি ক্ষণে ক্ষণে
নব নীরদ শ্যাম রূপে পড়ে মনে
না জানি কোন দেশে কোন প্রিয়া সনে
রয়েছে ভুলিকা নটবর সে ।।



भावार्थ: आज झूम झूम कर बादल बरस रहे हैं। घने बादलों को देख व्याकुल मोर नाच रहा है, आज क्षण क्षण पानी का दर्शन हो रहा है  नए बादलों को देख श्याम की याद आ रही है  जाने कौन से देश में, कौनसी प्रिया के साथ होंगे ।  यही सोच सोच के नया हर्ष भुलाकर रोने लगती हूं।






एक और वर्जन

 

Thursday, 16 May, 2019

ले चल मोहे अपनी नागरिया: नलिनी जयवन्त/हुस्न बानो का दुर्लभ भजन

नलिनी जयवन्त को हमने ज्यादातर अभिनय करते ही देखा है, लेकिन उन्होने कई गीत भी गाए हैं। हिन्दी फिल्मों की शुरुआती फिल्मों की सबसे खूबसूरत और अच्छी अभिनेत्री नलिनी जयवन्त जी ने 12 वर्ष की उम्र में बतौर बाल कलाकार बहन 1941 फिल्म में अभिनय किया था और इस फिल्म में गाने भी गाए हैं। इन्हीं नलिनी जयवन्त का नाम आगे चल कर बड़ी अभिनेत्रियों में शुमार किया जाने लगा।

बहन फिल्म का निर्देशन महान निर्माता- निर्देशक महबूब खान ने किया था एवं इस फिल्म में शेख मुख्तार, प्रख्यात गायिका-अभिनेत्री , कन्हैयालाल, एवं नलिनी जयवन्त ने अभिनय किया था।

 प्रस्तुत है इस फिल्म का एक अदभुत एवं दुर्लभ भजन/गीत। इसे लिखा है सफ़दर आह "सीतापुरी" नें एवं संगीत दिया है अनिल विश्वास ने।

प्रस्तुत गीत को नलिनी जयवन्त एवं हुस्न बानों ने गाया है और वीडियो में दोनों ही दिखाई भी दे रही है। हुस्न बानो की चर्चा फिर कभी! DailyMotion
  YouTube

 ले चल अपनी नागरिया
मुझे ले चल अपनी नागरिया
गोकुल वाले साँवरिया
मुझे ले चल अपनी नागरिया

तेरे नशे में चूर रहूं
इस संसार से दूर रहूं
ये है पाप की बाजरिया
गोकुल वाले साँवरिया

शुभ दरशन दरसाता जा
राह मुझे दिखाता जा
छाई काली बादरिया
गोकुल वाले साँवरिया

 बहन 1941 Sister हुस्न बानो एवं नलिनी जयवन्त संगीतकार गीतकार : सफ़दर आह Sheikh Mukhtar , Nalini Jaywant , Harish , Kanhaiyalal , Husn Banu and Swaroop Rani. Director: Mehboob Khan.

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