इक तू के सर उठा के चला दाग़ दिखाने -मुकेश जी का भूला बिसरा गीत
मुकेश जी के गाए गीतों की जब भी चर्चा होती है उनके हिट गीतों की ही चर्चा होती
है जिन्में मुकेश ने शंकर जयकिशन, नौशाद, अनिल विश्वास, रोशन जैसे दिग्गज संगीतकारों के लिए गाया
है। वे गीत भी हिट हुए और बहुत सारी फिल्में भी।
मुकेश जी के कई और भी बढ़िया गीत हैं उनमें से कुछ अभी याद आ रहे हैं
जिनमें से कुछ मैने पहले पोस्ट किए हैं जैसे
सुहागरात फिल्म का गीत - "लखि
बाबुल मेरे काहे को दिन्ही बिदेस, 1956 की फिल्म अनुराग एवं स्वयं
मुकेशजी का संगीतबद्ध गीत किसे याद रखूं,
किसे भूल जाऊं। कुछ और भी हैं जैसे -सोचता हूँ ये क्या किया मैने - हमारी
याद आएगी, लुट गया दिन
रात का आराम क्यूं (आराम 1949) जीवन सपना टूट
गया - अनोखा प्यार, अशआर मेरे यूं तो ज़माने के लिये है-गैर फ़िल्मी
गज़ल आदि! लेकिन अभी भी बहुत से दुर्लभ गीत कभी कभार सुनाई दे ही जाते हैं जिन्हें सुनते
ही लगता है अरे! यह तो हमने कभी सुना भी नहीं था।
शायद यूट्यूब न होता तो हम इन्हें कभी सुन भी नहीं पाते। देश विदेश में
भारतीय एवं हिन्दी फिल्मों के गीतों के शौकीनों ने इन्हें यूट्यूब पर अपलोड कर इन दुर्लभ
गीतों को हमें फिर से सुनने का मौका दिया है
जो कहीं खो से गए थे।
आज इस कड़ी में एक बहुत ही दुर्लभ गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह एक अप्रदर्शित
फिल्म मोनिका 1940 का है और इसे संगीतबद्ध
किया है सुशान्त बनर्जी (एस बनर्जी ) ने। संभवत: अगर यह फिल्म प्रदर्शित हो जाती तो
मुकेश जी का पहला गीत - "दिल जलता है तो जलने दे" न होता।
खैर इस खुबसूरत गज़ल शैली के गीत को सुनिए... एक और भूला बिसरा गीत अगली
कड़ी में
एक और वीडियो
इक तू के सर उठा के चलाsss-2
दाग़ दिखाने
इक वो के चार चाँद, लगाये हैं हया ने
इक तू के सर उठा के चला
क्या देख लिया तूने मेरे चाँद को ए चाँद
चाँद को ए चाँद
क्या देख लिया तूने मेरे चाँद को ए चाँद
आँचल में जो बदली के चला
मुंह को छिपाने
इक तू के सर उठा के चला
तुझ को तो कुछ खबर ही नहीं -3
ए ज़मीं के चाँद
तारों की, तारों कीssss
तारों की ज़ुबान पर भी हमारे हैं फसाने
इक तू के सर उठा के चला
तू भी उसी को ढूंढ रहा है लिए चिराग़-2
आती है आती है ss
आती है जिसकी याद
मेरे दिल को दुखाने
इक वो के चार चाँद
लगाये हैं हया ने
इक तू के सर उठा के चला
दाग़ दिखाssssने
2 टिप्पणियाँ/Coments:
शानदार गीत पोस्ट करने के लिए धन्यवाद । मुकेश जी की मौलिक आवाज और सहगल जी की छाया से मुक्त स्टाइल , रिलीज होने पर शायद अलग ही मुकाम होता।
सही कहा आपने सर। दिल जलता है गीत पर सहगल साहब का प्रभाव दिखता है पर इस गीत में मुकेश जी अपनी शैली में गा रहे हैं, सहगल साहब के प्रभाव से दूर।
धन्यवाद।
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