दिये क्यूं जलाये चला जा रहा है- मन्नादा का एक और मधुर गीत
हमारे प्रिय मन्नादा की प्रसिद्धी में एक और यशकलगी दादा साहब फाल्के पुरस्कार के रूप में जुड़ गई, लेकिन मुझ आलसी को एक पोस्ट मन्नादा को बधाई देते हुई एक पोस्ट लिखने का समय भी नहीं मिल पाया।
मन्नादा के लगभग सभी गाने आपने सुने होंगे, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे गाने हैं जो बहुत मधुर और कर्णप्रिय होते हुए भी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाये।
आज ऐसा ही एक गीत मैं यहां पोस्ट कर रहा हूं, मुझे विश्वास है आपमें से बहुत कम ही लोगों ने इस गीत को सुना होगा। यह गीत फिल्म एक से बाद एक (ek ke baad ek) का है। इस गीत का संगीत एस.डी.बर्मन (दा) का है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार देवानन्द, तरला मेहता और शारदा थे।
इन तरला मेहता ने रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में सरोजिनी नायडू की और एक चादर मैली सी के अलावा कुछेक फिल्मों में भी अभिनय किया था पर पता नहीं क्यों इनका नाम इतना सुना हुआ नहीं लगता।
हां हम गीत की बात कर रहे थे.. इस फिल्म में दो तीन और भी गीत हैं पर एक प्रेम गीत ये झिझकने- ये ठिठकने ये लुभाने की अदा- तू वही , चह रही है, सर झुकाने की अदा... ठुमक-ठुमक चली है तू किधर जो मोहम्मद रफी का गाया हुआ है बहुत ही कर्णप्रिय है। परन्तु आज मैं जो गीत सुना रहा हूं उसके बोल हैं.. न तेल और न बाती न काबू हवा पर,दिये क्यों जलाये चला जा रहा है।
आईये गीत सुनते हैं।
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पोस्टर चित्र posteritati से साभार
मन्नादा के लगभग सभी गाने आपने सुने होंगे, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे गाने हैं जो बहुत मधुर और कर्णप्रिय होते हुए भी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाये।
आज ऐसा ही एक गीत मैं यहां पोस्ट कर रहा हूं, मुझे विश्वास है आपमें से बहुत कम ही लोगों ने इस गीत को सुना होगा। यह गीत फिल्म एक से बाद एक (ek ke baad ek) का है। इस गीत का संगीत एस.डी.बर्मन (दा) का है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार देवानन्द, तरला मेहता और शारदा थे।
इन तरला मेहता ने रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में सरोजिनी नायडू की और एक चादर मैली सी के अलावा कुछेक फिल्मों में भी अभिनय किया था पर पता नहीं क्यों इनका नाम इतना सुना हुआ नहीं लगता।
हां हम गीत की बात कर रहे थे.. इस फिल्म में दो तीन और भी गीत हैं पर एक प्रेम गीत ये झिझकने- ये ठिठकने ये लुभाने की अदा- तू वही , चह रही है, सर झुकाने की अदा... ठुमक-ठुमक चली है तू किधर जो मोहम्मद रफी का गाया हुआ है बहुत ही कर्णप्रिय है। परन्तु आज मैं जो गीत सुना रहा हूं उसके बोल हैं.. न तेल और न बाती न काबू हवा पर,दिये क्यों जलाये चला जा रहा है।
आईये गीत सुनते हैं।
न तेल और न बाती न काबू हवा पर
दिये क्यों जलाये चला जा रहा है
उजालों को तेरे सियाही ने घेरा
निगल जायेगा रोशनी को अन्धेरा
चिरगों की लौ पर धुआँ छा रहा है
दिये क्यों जलाये चला जा रहा है
न तेल और...
न दे दोष भगवान को भोले भाले
खुशी की तमन्ना में ग़म तूने पाले
तू अपने किये की सज़ा पा रहा है
दिये क्यों जलाये चला जा रहा है
न तेल और...
तेरी भूल पर कल यह दुनिया हँसेगी
निशानी हर इक दाग़ बनकर रहेगी
तू भरने की खातिर मिटा जा रहा है
दिये क्यों जलाये चला जा रहा है
न तेल और...
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पोस्टर चित्र posteritati से साभार
10 टिप्पणियाँ/Coments:
धन्यवाद सागर जी,
आपने एक बहुत अच्छा और लगभग गुमनाम गीत सुनाया.
फिल्म 'एक के बाद एक' परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने वाली कृति थी. नायिका का नाम उस समय केवल तरला बताया गया था. यदि मेरी स्मृति मुझे धोखा नहीं दे रही है तो उन्होंने देव साहेब के साथ और भी फिल्म की थी.
आभार सहित
अवध लाल
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, सच मै यह गीत पहली बार सुना है, ओर यह फ़िल्म भी नही देखी, आप का धन्यवाद
बहुत सुंदर जानकारी ....
पहली बार सुना है ये गीत पर कितना सुंदर और करुण ।
ये गीत तो पहली बार ही सुना है. आपके लिये शुक्रिया के शब्द कम पदेंगे.
नायाब नग़मा !
आभार आपका सागर भाई|
manna saheb mere pasandida singers mein se ek hai.
kabhi mere blog par bhi aakar mera maarg-darshan karein.
nice
मैं विशेषतः मन्नाडे और हेमंत दा के गीत बहुत पसंद करता हूँ पर मैंने भी ये गीत शायद पहली बार सुना है पर कभी ऐसा भी लगता है की शायद पहले कभी सुना है.
बहुत-२ धन्यवाद
पहले तो आपका शुक्रिया एक अन सुना गाना प्रस्तुत करने के लिये , मैं मन्ना डे और रफ़ी को सुनना बेहद पसंद करता हूं रफी साहब मन्ना दा की कई क़व्वालीया बहुत हिट है।
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