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Monday 13 July, 2009

अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस ?-२

पिछले दिनों संजय पटेल जी ने संगीत मार्तण्ड ओमकारनाथ ठाकुर जी के स्वर में राग मालकौंस में रची बंदिश पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे.. सुनवाई और शीर्षक में एक हल्की सी शिकायत कर दी कि अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस ?" उनकी शिकायत जायज भी तो है।
इस कड़ी में मैं भी यही शिकायत्त करना चाहूंगा साथ ही आपको राग मालकौंस की एक और बंदिश सुनवाना चाहूंगा। यह बंदिश लता मंगेशकर जी ने खुद द्वारा निर्मित मराठी फिल्म कंचन गंगा में गाई है। संगीतकार हैं पं वसंत देसाई।
आईये सुनते हैं...


यूट्यूब लिंक

Download Link

Shyam sundar roop ...


क्या बंदिश सुनने के बाद भी संजय भाई जी का प्रश्‍न अनुत्तरित ही रहा कि अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस?

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4 टिप्पणियाँ/Coments:

राज भाटिय़ा said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

बहुत ही सुंदर भजन आप ने सुबह सुबह सुनवाया, धन्यवाद

ओम आर्य said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

sundar

दिलीप कवठेकर said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

अब ये दुर्लभ गीत ही तो रह गये है. हमें हर सू क्या क्या सुनने को मिल रहा है.

प्रस्तुत गीत कालातीत है.

संजय पटेल said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई
चित्रपट क्षेत्र के गुणी संगीतकारों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की जो सेवा की है वह अविस्मरणीय हैं.लताजी ने भी क्या कमाल के करिश्मे किये हैं यह बंदिश भी उसकी पुष्टि करती है.वाक़ई ये प्रस्तुति काल से परे है.

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