संभव है कि होम पेज खोलने पर इस ब्लॉग में किसी किसी पोस्ट में आपको प्लेयर नहीं दिखे, आप पोस्ट के शीर्षक पर क्लिक करें, अब आपको प्लेयर भी दिखने लगेगा, धन्यवाद।

Saturday, 2 February 2013

माँ तेरी ममता कितनी प्यारी: मन्नाडे का कम चर्चित गीत

कम चर्चित या अनसुने गीतों की श्रेणी में आज प्रस्तुत है कमल मित्रा द्वारा संगीतबद्ध एवं मन्नाडे द्वारा गाया हुआ एक गीत। सुप्रसिद्ध गायक मन्नाडे के गाए हुए अभी भी बहुत से ऐसे कई गीत हैं जिन्हें मन्नादा के प्रशंसकों ने नहीं सुने हों उनमें से एक गीत यह भी है। 
कमल मित्रा के बारे में कहीं कोई खास जानकारी नहीं मिली। “धुनों की यात्रा” को गूगल बुक्स से पढ़ने पर आधे से ज्यादा पन्ने गायब हो जाते हैं। सो अगर मित्राजी पर लेख होगा तो भी पता नहीं। कमल मित्रा ने प्रस्तुत गीत की फिल्म बनारसी बाला के अलावा और किसी हिन्दी फिल्म में संगीत दिया हो यह जानकारी नहीं मिलती।
प्रस्तुत गीत फिल्म बनारसी बाला का है, इस गीत के गीतकार हैं पं. फणी।

माँ तेरी ममता कितनी प्यारी कितना प्यार जताती है -२
माँ तेरी ममता....
श्वास श्वास की रक्षा करती-२
पग पग प्राण बचाती है
कितना प्यार जताती है
तू ऋषियों की ऋद्धि-सिद्धी
तू ब्रह्मा की भक्ति मां,
तू विष्णु की माया देवी
तू शंकर की शक्ति मां
तू माँ सोते भाग जगाने भागी भागी आती है
कितना प्यार जताती है
तू काली, महाकाली दूर्गा
तू ही बाल भवानी है
तू पुराणों का सार शारदा
तू वेदों की वाणी है
तू बालक को गोद में लेकर जीवन गीत सुनाती है
कितना प्यार जताती है
माँ तेरी ममता कितनी प्यारी
कितना प्यार जताती है

मन्नाडे का एक और बहुत ही दुर्लभ गीत बहुत जल्दी
Song: Ma teri mamta kitani pyari
Film: Banarasi Bala
Singer: Manna Dey
Music: Kamal Mitra
Lyric: Pt. Phani

Thursday, 31 January 2013

भूखा हमें जगाता मगर कभी भूखा हमें सुलाता नहीं: सी. रामचन्द्र का एक मधुर गीत


सी रामचन्द्र और लता जी की जोड़ी ने एक से एक मधुर और सुन्दर गीत हमें दिए, पर संयोग से महफिल ब्लॉग में इस जोड़ी का अब तक एक ही गीत आ पाया है। शायद लता जी सी रामचन्द्र के अधिकतम गीतों का बेहद लोकप्रिय होना इस का सबसे बड़ा कारण रहा कि उनके कम चर्चित गीतों को खोजना बहुत मुश्किल है। लता जी और सी रामचन्द्र की जोड़ी के लिए पंकज राग अपनी पुस्तक धुनों की यात्रा में लिखते हैं।
दर असल लता के साथ सी रामचन्द्र का रिश्ता मात्र व्यवसायिक ना रहकर बेहद आत्मीय मधुर संबधों का हो गया था। सी रामचन्द्र मात्र लता की आवाज को तराशने तक ही नहीं, बल्कि भावनाओं को गीत की आत्मा में लता के स्वर में इतने मन से रचाने बसाने में सफल रहे कि उनके संगीत -निर्देशन में लता के गाए गीत आज भी मिसाल की तरह याद किए जाते हैं।
तो आज मैने खोज निकाला है लता जी और सी रामचन्द्र की जोड़ी का एक बहुत ही कम चर्चित गीत जो बहुत ही मधुर है लेकिन इसको मैने कई सालों से रेडियो पर नहीं सुना। यह गीत है फिल्म कारीगर 1958 का, इस फिल्म में निरुपारॉय और अशोक कुमार ने अभिनय किया था। आप गीत सुनने के बाद इस फिल्म का वीडियो अवश्य देंखें, जिसमें निरुपारॉय का वात्सल्य भरा भाव देखने को मिलता है।
ओ लेने वाले उस देने वाले के दाता के गीत क्यूं गाता नहीं
भूखा हमें वो जगाता मगर, कभी भूखा हमें वो सुलाता नहीं

उस दाता के गीत क्यूं गाता नहीं

ओ लेने वाले उस देने वाले दाता के गीत क्यूं गाता नहीं-२


चिन्ता करेगा वो ही जगत की जो इस जगत का नाथ है-२

हम अपने अपने करतब करें पर फल तो उसी के हाथ है
कण -कण में अपनी ज्योती जगाता फिर भी नजर जो आता नहीं

भूखा हमें वो जगाता मगर, कभी भूखा हमें वो सुलाता नहीं
उस मालिक गीत क्यूं गाता नहीं


जो कुछ भी पाए मेहनत की खाए आराम करना हराम है -२

मेहनत में चारों धाम हमारे, मेहनत में सीता राम है

ओ मन के पंछी तेरी समझ में गीता का ज्ञान क्यूं आता नहीं

भूखा हमें वो जगाता मगर, कभी भूखा हमें वो सुलाता नहीं

उस मालिक गीत क्यूं गाता नहीं

Film: Kareegar
Singer:Lata Mangeshkar
Lyrics:Rajendar Krishan
Music:Chitalkar Ramchandra
Year:1958

Sunday, 23 December 2012

लखि बाबुल मोरे काहे को दीन्हीं बिदेस- मुकेश का एक अनसुना और अदभुद गीत

आजकल पंकज राग लिखित पुस्तक (ओनलाईन) "धुनों की यात्रा" को उल्टे सीधे क्रम में पढ़ रहा हूँ, जिस दिन जो पृ्‍सामने आ गया उसी को पढ़ने लगता हूँ।

कल अनिल विश्‍वास को पढ़ा आज गुलाम हैदर आदि को अभी कुछ देर पहले स्‍नेहल भाटकर जी का अध्याय पढ़ना शुरु किया है। भाटकर साहब को हम "कभी तन्हाईयों में हमारी याद आएगी और सोचता हूँ ये क्या किया मैने क्यूं ये सिरदर्द मोल ले लिया मैने जैसे सुन्दर-सुमधुर और प्रख्यात गीतों के लिए जानते हैं। लेकिन अपने शुरुआती दिनों में स्‍नेहल जी ने सुहागरात में मुकेशजी से अपने सर्वश्रेष्‍ठ गीतों में से एक गीत गवाया था जो इतना दर्दीला और सुरीला होते हुए भी पता नहीं क्यों उतना प्रसिद्ध नहीं हो पाया।

पंकज राग "धुनों की यात्रा" में लिखते हैं
:-
स्‍नेहल की विशिष्टता तो उनकी आरंभिक फिल्मों "सुहागरात( 1948), संत तुकाराम (1948), ठेस (1949) आदि से ही झलकने लगी थी। गीताबाली और भारत भूषण को लेकर बनाई गई ’सुहागरात 1948) में केदार शर्मा लिखित ’छोड़ चले मुँह मोड़ चले अब झूठी तसल्ली रहने दो’ (राजकुमारी) और ’ये बुरा किया जो साफ साफ कह दिया’ (राजकुमारी, मुकेश) जैसे तरन्नुम भरे गीत तो थे ही, साथ ही अमीर खुसरो की मशहूर रचना ’लखि बाबुल मोरे, काहे को दीन्ही विदेस’ को मुकेश के स्वर में पूरी करुणा उड़ेलकर गवाया था। इस गीत को कम लोगों ने सुना है, पर यह दुर्लभ गीत मुकेश के आरम्भिक दौर के सर्वश्रेष्‍ठ गीतों में गिना जायेगा।

आज यह गीत मैं आप सबके लिए यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ।


लखि बाबुल मेरे काहे को दीन्ही बिदेस
भाई को दीन्हों महल- दुमहला

मोहे दीन्हों परदेस

हो लखि बाबुल मेरे काहे को

बेटी तो बाबुल एक चिड़िया

जो रैन बसे उड़ जाए हो

लखि बाबुल मेरे काहे को दीन्हीं बिदेस

Friday, 5 October 2012

जा रे चंद्र: लताजी का एक और मधुर गीत



मैने अब तक महफिल में जिन  गीतों को शामिल किये हैं; कोशिश रही है कि वे अनसुने-दुर्लभ या उनमें कुछ खास बात हो। इन गीतों में से अधिकतर आज रेडियो पर सुनाई नहीं पड़ते। इस श्रेणी में आज एक और अदभुद गीत आपके लिए प्रस्तुत है।
जैसा
कि हम  जानते हैं  पं नरेन्द्र शर्मा का लिखासुधीर फड़के द्वारा संगीतबद्ध और लताजी  का गाया गीत हो तो वह एकदम लाजवाब ही होता है ( उदाहरण के लिए "ऐसे हैं सुख सपन हमारे", "बाँधी प्रीत फूल डोर", "मन सौंप दिया अन्जाने में", "लौ लगाती-गीत गाती"  आदि) इसी श्रेणी में  यह एक बहुत ही मधुर संगीत और  सुन्दर शब्दों से  रचा गीत आपके लिए!
इसे गाया है लताजी ने  फिल्म सजनी 1956  के लिए फिल्मांकन हुआ है अनूप कुमार और सुलोचना पर।
आइये गीत सुनते हैं और साथ-साथ नीचे दिए शब्दों को पढ़ कर गुनगुनाते हैं।


जा रे चंद्र, जा रे चंद्र, और कहीं जा रे-
गोकुल
से  कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा
रे चंद्र जा रे

बृन्दावन सुना है सुना मन मेरा
विघना
कुछ ऐसी कर कल हो सवेरा

झरते
नयन, भरते , नयन, डूब रहे तारे

गोकुल
 से  कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,  
जा रे चंद्र जा रे
नयन नीर, मन में पीर, इतनी सी कहानी
है
ये प्रीत, रीत  सखी, पहले क्यूँ जानी
कल
कि सुन कल ना पडे विकल मन पुकारे
गोकुल
से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,  

जा रे चंद्र जा रे
प्राण हरे कान पड़े मुरली धुन आली
मोहन
मन नाम सखी मोहन वनमाली
कैसे
रहे प्राण रहे जब प्राण प्यारे
गोकुल
से कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे ,
जा
रे चंद्र जा रे

download link  

Song Title: Ja Re Chandra  Ja re
Film :   Sajani 1956
Music: Sudhir Fadke
Lyric: Pt. Narendra Sharma
Singer : Lata mangeshkar

(गीत की Lyric में मदद करने के लिए लावण्या (दी) शाह  का विशेष धन्यवाद)


Monday, 23 July 2012

तू मेरा चाँद मैं तेरी चांदनी- गीता रॉय

कई बार मैं सोचता हूँ कि अगर कि  कि फंला गीत को फलां गायक के बजाए फंला गायक/ गायिका ने गाया होता तो?  इसी पर शोध करते हुए और युट्यूब पर सर्फिंग करते हुए मुझे कई बार कमाल की  चीजें मिल जाती है। 
कई ऐसे गाने मिले हैं जो प्रसिद्ध  हुए किसी और गायक के गाने पर लेकिन उनका दूसरा वर्जन भी बहुत सुन्दर है। आझ मैं आपको सुना रहा हूँ फिल्म  दिल्लगी (Dillagi- 1949)  का गीत " मैं तेरा चाँद तू मेरी चाँदनी" दो अलग-अलग गायिकाओं की आवाज में
आपने यह गीत श्याम और सुरैया की आवाज़ में  सुना है लेकिन आज सुनिए  अभिनेत्री श्यामा पर फिल्माया हुआ  दूसरा वर्जन श्याम  और गीता रॉय की आवाज में।  चूँकि यह गीत  रिकॉर्ड में नहीं है सो बहुत कम ही सुनाई देता है। 

पहला वर्जन श्याम और सुरैया दूसरा वर्जन गीता रॉय और श्याम Download Link 
 

Blog Widget by LinkWithin

गीतों की महफिल ©Template Blogger Green by Dicas Blogger.

TOPO