संभव है कि होम पेज खोलने पर इस ब्लॉग में किसी किसी पोस्ट में आपको प्लेयर नहीं दिखे, आप पोस्ट के शीर्षक पर क्लिक करें, अब आपको प्लेयर भी दिखने लगेगा, धन्यवाद।

Friday 16 November, 2007

चार महान गायकों के पहले गाने

 

मित्रों, आज महफिल में प्रस्तुत है हिन्दी फिल्मों के चार महान गायकों के गाये हुए पहले गाने। ये गाने क्रमश: मुकेश, मोहम्मद रफी लता मंगेशकर और किशोरकुमार ने गाये हैं।

मुकेश जी के बारे में कहा जाता है कि उन्होने स्व. कुन्दन लाल सहगल की शैली में अपना पहला गाना गाया तब सहगल साहब ने उन्हें बुला कर समझाया और अपनी खुद की आवाज में गाने की सलाह दी, और बाद में मुकेश ने अपनी शैली में  गाना शुरु किया। यहाँ प्रस्तुत गाना जो पहली नजर फिल्म (1945) का है, इस फिल्म  का संगीत दिया है मेरे पसंदीदा संगीतकार  अनिल बिश्वास ने और फिल्म के गीतकार हैं आह सीतापुरी। फिल्म में मुख्य भूमिका थी मोती लाल की।

इस गाने को पहली बार सुनने पर एक बार तो यही लगता है कि यह स्व. सहगल साहब ने ही गाया होगा।

आंसू ना बहा ना फरियाद ना कर दिल जलता है तो जलने दे....

 

दूसरा गाना स्व. मोहम्म्द रफी ने गाया है, ए आर कारदार की  फिल्म पहले आप (1944) के लिये।  मोहम्मद रफी ने इससे बाद  फिल्म  शाहजहाँ (1946) स्व. कुन्दन लाल सहगल के गाये गाने रूही रूही मेरे सपनों की रानी में  कोरस के रूप में रूही रूही रूही  मेरे सपनों की रानी पंक्तियां गाई थी। फिलहाल आप सुनिये हिन्दुस्तां के हम हैं हिन्दुस्तां हमारा।

हिनदुस्तां के हम है हिन्दुस्तां हमारा

 

तीसरा गाना स्वर कोकिला लता मंगेशकर का गाया हुआ है। लता जी ने यह गाना फिल्म आपकी सेवा में (1946)  उसए पहले  लता जी ने मराठी  फिल्म Pahili Mangalagaur (1942) अभिनय भी किया था। यानि हिन्दी फिल्मों के तीन महान गायकों की पहली फिल्म में पहला शब्द   किसी ना किसी रूप में जुड़ा रहा।

इस गाने का ओडियो उतना स्पष्ट नहीं है, इसलिये हो सकता है कि आपको उतना आनन्द नहीं आये, परन्तु लता मंगेशकरजी का पहला गाना सुनना कौन नहीं चाहेगा?

पाँव लागे कर जोरी रे...

 

इस कड़ी का अन्तिम और मस्तमौला कलाकार किशोर कुमार का गाया हुआ पहला गाना प्रस्तुत है। किशोर कुमार , सहगल साहब के बहुत बड़े प्रशंषक थे और शायद इसी वजह से अपने गायन कैरियर के शुरुआती दौर में उन्के गाये गाने  में स्व. सहगल साहब की शैली सुनाई देती है। ( खासकर इस पहले गाने में)

यह गाना किशोरकुमार ने फिल्म जिद्दी 1948 के लिये गाया था। इस के संगीत निर्देशक थे स्व. खेम चन्द्र प्रकाश और मुख्य भूमिकायें निभाई थी देवानन्द और कामिनी कौशल  ने।

मरने की दुवायें क्यों मांगू, जीने की तमन्ना कौन करे....

तो बताईये आपको कौन कौनसे गाने अच्छॆ लगे?

 

 

चिट्ठाजगत Tag: गाना, हिन्दी फिल्म

 

 

 

 

 

9 टिप्पणियाँ/Coments:

बालकिशन said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

मुझे मुकेशजी का गाया गाना सबसे अच्छा लगा. वो मैंने पहले भी सुना हुआ है.
रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद.

अमिताभ मीत said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

नाहर साहब,

सर जी छा गए हैं आप. मज़ा आ गया बस. बड़ी अजीब सी बात है कि आज तक आप का ब्लॉग मेरी नज़रों के सामने से नहीं गुज़रा. हद है. सर जी मैं ने अपनी ज़िंदगी में कोई काम इतनी संजीदगी से नहीं किया जितना हिन्दी फिल्मी गाने सुनना. वैसे आम तौर पे १९७० के बाद के गानों से कुछ ख़ास लगाव नहीं रहा कुछ चुनिंदा गीतों को छोड़ कर. आप के ब्लॉग पर तो अब हर दिन का आना जाना रहेगा.

शुक्रिया इस ब्लॉग की हर चीज़ के लिए.

शोभा said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई
बढ़िया है । गाने सुनकर मज़ा आ गया। इतने पुराने गाने और उनके बारे में इतनी जानकारी देने के लिए शुक्रिया ।

Anonymous said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

वाह! क्या बात है !

अच्छा उपहार दिया आपने .

Anita kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई मुझे मुकेश और किशोर सबसे अच्छे लगे। इस सगींत अमृत को चटाने के लिए शुक्रिया।

Manish Kumar said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

शुक्रिया इस प्रस्तुति के लिए। अगर आवाज़ साफ रहती तो सायद लता जी का गीत ही सबसे बेहतरीन लगता। ये बात तो स्पष्ट है कि इनमें से सबसे लोकप्रिय मुकेश का गीत ही रहा।

Yunus Khan said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर भाई जिंदगी के पचड़ों और हड़बड़ी की वजह से यहां तक जरा देर से आया लेकिन बधाई देना चाहता हूं । बेहतरीन प्रस्‍तुति है । खासकर लता जी वाला गीत तो मैं जाने कब से खोज रहा था । आप सही मायनों में असली अन्‍वेषक हैं । यहां मैं ये रेखांकित करना चाहता हूं कि उस दौर के सभी गायकों पर सहगल की आवाज़ का कितना गहरा असर था । मुझे तो किशोर के इस गाने पर हमेशा से हैरत होती रही है । बहुत ही ज्‍यादा सहगलियाना आवाज है उनकी इस गाने में । मैं कल्‍पना ही नहीं कर पाता कि इस पर देव आनंद ने कैसे अभिनय किया होगा । एक बार फिर से धन्‍यवाद इस अनमोल पेशकश के लिए । जल्‍दी ही बात भी होगी ।

Alpana Verma said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

सागर जी धन्यवाद,
जी हाँ ,वह सैगल साहब के भाई नहीं थे--सुधार कर लिया गया है.

-हिंदुस्तान के हम हैं -रफी जी का पहला गीत है जो पहले रिलीज़ हुआ था.

-मैं ने आप की पोस्ट देखी..मुकेश जी का यह गाना पहली बार सुना .
कभी आशा जी का पहला गीत कहीं मिले तो कृपया सुनाईयेगा.
उन्होंने फ़िल्म-बड़ी माँ के लिए गया था.मैं ने बहुत कोशिश की मगर कहीं नहीं मिला.

Alpana Verma said... Best Blogger Tips[Reply to comment]Best Blogger Templates

'दिल जलता है --अब तक मैं यही सोचती थी की K.L.Saigal जी का गाया हुआ है.

[K L Saigal साहब untrained singer थे...आज जाना तो बड़ा आश्चर्य हुआ.]

Post a Comment

आपकी टिप्प्णीयां हमारा हौसला अफजाई करती है अत: आपसे अनुरोध करते हैं कि यहाँ टिप्प्णीयाँ लिखकर हमें प्रोत्साहित करें।

Blog Widget by LinkWithin

गीतों की महफिल ©Template Blogger Green by Dicas Blogger.

TOPO