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Thursday, 10 April 2008

संगीतकार रोशन साहब का एक ही धुन का दो फिल्मों में सुंदर प्रयोग !!!

दोस्तों, पिछले कई दिनों से रोशन साहब के संगीत को सुनते सुनते मन में आया कि उनके दो गीत सुनवाये जायें |

पहला गीत फ़िल्म "बरसात की रात" का है जो १९६० में आयी थी | इसी फ़िल्म में रोशन साहब ने एक के बाद एक तीन शानदार कव्वालियां ("जी चाहता है चूम लूँ अपनी नजर को मैं", "निगाह-ऐ-नाज़ के मारों का हाल क्या होगा" और "ये इश्क इश्क है" ) प्रस्तुत की थीं | इस फ़िल्म में राग मल्हार में एक सुंदर सा गीत "गरजत बरसात सावन आयो, लायो न संग में अपने बिछडे बलमवा" है | इस गीत को सुमन कल्यानपुर ने गाया था |

गरजत बरसत सावन आयो रे,
लायो संग में अपने बिछडे बलमवा, सखी क्या करूं हाय |

रिम झिम रिम झिम मेहा बरसे, तडपे जियरवा मीन समान,
पड़ गयी फीकी लाल चुनरिया, पिया नहीं आये...
गरजत बरसत आयो रे...

पल पल छिन छिन पवन खाकोरे, लागे तन पर तीर समान,
नैनं जल सो गीली चदरिया, अगन लगाये,
गरजत बरसत सावन आयो रे...

नीचे दिये लिंक पर चटका लगाकर इस गीत को सुने |

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लेकिन कमाल की बात है कि रोशन साहब ने इसी धुन पर लगभग यही गीत १९५१ की फ़िल्म "मल्हार" में पहले ही प्रस्तुत कर दिया था | इस गीत को स्वर साम्रागी लता मंगेशकरजी ने अपनी आवाज से सजाया था |

गरजत बरसत भीजत आई लो,
तुम्हरे मिलन को अपने प्रेम पिहरवा, लो गरवा लगाय |
गरजत बरसत भीजत आयी लो...

नीचे दिये लिंक पर चटका लगाकर इस गीत का आनंद लीजिये |

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Sunday, 6 April 2008

शबाब (१९५४) फ़िल्म के तीन मधुर गीत !!!

शकील बदायूँनी और नौशाद साहब ने १९५२ में बैजू बावरा फ़िल्म को अपने संगीत से अमर बना दिया था । १९५४ में इसी जोडी ने शबाब फ़िल्म में बेह्द मधुर संगीत दिया । मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, शमशाद बेगम, हेमन्त कुमार और मन्ना डे की आवाजों से नौशाद साहब ने शकील बदायूँनी के शब्दों के इर्द गिर्द एक संगीत का तिलिस्म सा बना दिया था । नौशाद साहब और शकील बदायूँनी की इसी जोडी ने मुगल-ए-आजम में भी संगीत का परचम लहराया था ।
इस कडी में आप सुनेंगे शबाब फ़िल्म के तीन सच्चे मोती ।

पहला गीत "आये न बालम वादा करके" मोहम्मद रफ़ी साहब की आवाज में है ।




आये न बालम वादा करके, -२
थक गये नैना धीरज धर के, धीरज धर के
आये न बालम वादा करके-२

छुप गया चंदा लुट गयी ज्योति,
तारे बन गये झूठे मोती,
पड गये फ़ीके रंग नजर के,
आये न बालम वादा करके-२

आओ के तुम बिन आँखो में दम है,
रात है लम्बी जीवन कम है,
देख लूँ तुमको मैं जी भरके,
आये न बालम वादा करके-२


दूसरा गीत मन्नाडे जी की आवाज में एक भजन है, "भगत के बस में है भगवान"



भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

भेद अनोखे तोरे दाता,
न्यारे तोरे धन्धे
कन्हैया, न्यारे तोरे धन्धे
मूरख बुद्धिमान बने है,
आंखो वाले अंधे
दे तू इनको ज्ञान..

भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

मोहे पुकारे सब सन्सारी,
और मैं तोहे पुकारूँ, कन्हैया
आज लगी है लाज की बाजी
जीता दाँव न हारू
भगती का रख मान,

भगत के बस में है भगवान
मांगो मिलेगा सब को दान

तू ही मारे तू ही जिलाये
गोवर्धन गिरधारी
आज दिखा दे संगीत की शक्ति
रख ले लाज हमारी
निर्जीव को दे जान

जय जय सीताराम,
निर्जीव को दे जान
जय जय राधेश्याम
जय जय सीताराम, जय जय राधेश्याम...


तीसरा गीत लताजी की आवाज में है, "मर गये हम जीते जी, मालिक तेरे संसार में"



मर गये हम जीते जी, मालिक तेरे संसार में,
चल दिया हम को खिवईया छोडकर मझधार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...

उनका आना उनका जाना खेल था तकदीर का,
ख्वाब थे वो जिन्दगी के दिन जो गुजरे प्यार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...

ले गये वो साथ अपने साज भी आवाज भी,
रह गया नग्मा अधूरा दिल के टूटे तार में,
मालिक तेरे संसार में, मर गये हम...



साभार,
नीरज रोहिल्ला



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Saturday, 5 April 2008

महफिल में नये सदस्य नीरज रोहिल्ला जी का स्वागत है...

नीरज रोहिल्ला जी को आप पहचानते ही होंगे.. मोटे होने की असफल कोशिश करते हुए नीरज भाई  जितने बढ़िया चिट्ठे लिखते हैं उतने ही बढ़िया इन्सान हैं। पुराने गानों के बेहद शौकीन नीरज भाई के पास हजारों गीतों का संग्रह है। अभी पिछले दिनों अनिताजी के कहने पर अनूप जलोटा के स्वर में नीरज जी ने  लक्ष्मण परशुराम संवाद भी हमें सुनाया था।

अब से कुछ देर पहले नीरज भाइ ने मुझे मेल भेजी कि ये  कुछ गाने महफिल पर चढ़ाईये.. मैने कहा आप खुद ही क्यों नहीं चढ़ाते और इस तरह नीरज भाई महफिल का सदस्य बनने का मेरा आग्रह ठुकरा नहीं सके और उन्होने महफिल पर गीत चढ़ाने और पोस्ट लिखने का आग्रह स्वीकार कर लिया।

आगे से नीरज भाई  भी गीतों की इस महफिल में दुर्लभ और मधुर गीत ले कर आयेंगे और हमें सुनायेंगे ऐसी आशा है।

आईये नीरज रोहिल्लाजी का गीतों की महफिल में हार्दिक स्वागत करते है।

अगर आप में से भी कोई मित्र जो हिन्दी फिल्मों के बेहद पुराने और मधुर गीतों को महफिल में चढ़ाने चाहते हों या महफिल के सदस्य बनना चाहते हों तो लिखें.. हमें खुशी होगी।

sagarnahar et gmail. com

Friday, 4 April 2008

दो मधुर होली गीत ...

होली के दिन सबने अपने अपने चिट्ठों पर बढ़िया होली गीत, कविता या व्यंग्य लिखे। मैने भी दो गीत चढ़ाने का निश्चय किया पर जब लाईफलोगर पर अपलोड करने की कोशिश की तो लाईफलोगर ने फाइल को अपलोड करने से मना कर दिया और अड़ गया।

बाद में ईस्निप पर अपलोड करने की कोशिश की तो उसने भी नहीं लिया, आज अचानक लाईफलोगर पर अपनी प्रविष्टियाँ देखते समय वे फाइल नजर आई जिन्हें अपलोड करने से पहले लाईफलोगर ने मना कर दिया था। अत: आज मैं आपको यह दोनों मधुर गीत सुनवा रहा हूँ।

पहला गाना है फिल्म जोगन (1950) का जिसके संगीतकार थे बुलो सी रानी और गीत लिखा था पण्डित इंद्र ने। फिल्म के मुख्य कलाकार थे दिलीप कुमार और नरगिस। गाया है गीता दत्त ने और गीत के बोल है डारो रे रंग डारो रसिया फागुन के दिन आये रे..

दूसरा मधुर होली गीत है फिल्म लड़की (1953) का यह राग भैरवी पर आधारित है। इस गीत के संगीतकार थे आर सुदर्शनम और धनीराम तथा गीतकार थे राजेन्द्र कृष्ण। गीत के बोल है बाट चलत नई चुनरी रंग डारी रे यह गीत भी गीता रॉय( दत्त) ने ही गाया है।

आश्चर्य की बात है कि यही गीत कुछ शब्दों को बदलकर फिल्म रानी रूपमती में भी है जिसे मोहम्मद रफी और कृष्णा राव चोनकर ने गाया है।

सुनिये दोनों मधुर गीत और बताईये आपको यह होली गीत कैसे लगे?

Friday, 21 March 2008

ओ वर्षा के पहले बादल: जगमोहन

पिछले दिनों मीत ने अपनी पोस्ट में  महान गायक जगमोहन का गाया हुआ एक बहुत ही मधुर गीत  मेरी आँखे बनी दीवानी सुनवाया। आज मैं आपके लिये लेकर आया हूँ जगमोहनजी का गाया हुआ एक और गीत। यह गाना दुर्लभ तो नहीं है पर कईयों ने इसे नहीं सुना होगा।

यह गाना  फिल्म मेघदूत (1945)  का है या गैर फिल्मी इसकी पक्की जानकारी नहीं है। यह गीत फैयाज हाशमी ने लिखा था और इसका संगीत दिया है कमल दासगुप्ता ने।

महान कवि कालीदास रचित मेघदूत से यह गीत लिया  गया है। प्रस्तुत गीत में नायक अपनी नायिका के लिये संदेश भेज रहा है कि है बादल.. तुम जाओ और  मेरी प्रियतमा को मेरा संदेश सुनाओ। कवि नायक से यह कहलवाना नहीं चूके कि उसे किस पथ से हो कर जाना है कहां विश्राम लेना है  और कहां क्या क्या करना है। कालीदास रचित मेघदूत का  हिन्दी अनुवाद सबको पढ़ना चाहिये, लिंक नीचे दिया गया है। आईये गीत सुनें।

 

ओ वर्षा के पहले बादल, मेरा संदेसा ले जाना
ओ वर्षा के पहले बादल, मेरा संदेसा ले जाना
असुवन की बूंदन बरसाकर,-२
अल्का नगरी में तुम जाकर, खबर मेरी पहुँचाना
ओ वर्षा के पहले बादल.........

मालभूमी और अम्रकूट से विन्ध्याचल नर......
विदिशा नगरी और बेतवा तक होकर आगे पांव बढ़ाना
आग विरह की जहाँ भी पाना-२
बरस बरस कर उसे बुझाना
ओ वर्षा के पहले बादल.........

देख अंधेरा, देख अंधेरा पिया मिलन को
चलेगी छुप कर कोई गोरी,बस तुम बिजली चमकाकर
खोल न देना,खोल न देना, खोल न देना उसकी चोरी
विरहन को तुम जहाँ भी पाना, उसे कभी ना सताना
ओ वर्षा के पहले बादल.........

उज्जैनी में महाकाल का मंदिर जब तुम पाओ
पुजारिनों का नाच देखकर, पुजारिनों का नाच देख कर
अपना मन बहलाओ
पर तुम उनके अंग ढंग को देख अटक न जाओ-2
सिमला में न चम्बल में न कुरुक्षेत्र में रुकना
कनखल में न गंगा की लहरों को....झुकना
अटल हिमालय पे चढ़ के फिर यूँ मुड़ना कैलाश की ओर
ज्यूँ चंदा को देख प्यारे, गगन को झूमे जाये चकोर
अल्का में फिर ढूँढ उसे तुम, मेरा संदेसा सुनाना
ओ वर्षा के पहले बादल, मेरा संदेसा ले जाना

 

कालीदास के बादलों के माध्यम से संदेश  भेजने पर मैने पहले एक कार्टून बनाया था  देखिये

http://nahar.wordpress.com/2007/07/21/meghdoot/

 

Meghdoot

गीत सुनने के साथ इन्हें जरूर देखें:

कालीदास कृत मेघदूत और उसकी लोकप्रियता  और हिन्दी अनुवाद

होली की हार्दिक शुभकामनायें

 

 

 

 

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