tag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post649236918219112512..comments2023-09-18T16:15:37.451+05:30Comments on गीतों की महफिल: एक ही बात ज़माने की किताबों में नहींसागर नाहरhttp://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-51756601399627394212011-09-25T00:30:05.952+05:302011-09-25T00:30:05.952+05:30बहुत मीठी ग़ज़ल है, इसके संगीतकार थे - ताज अहमद खा...बहुत मीठी ग़ज़ल है, इसके संगीतकार थे - ताज अहमद खान .Chandra Kishore Bairagi, Ujjain (MP)noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-64210552922617455782011-04-12T19:37:08.924+05:302011-04-12T19:37:08.924+05:30पहेले कभी नहीं सुनी. शायरी तो पसंद आयी मगर रफ़ी सा...पहेले कभी नहीं सुनी. शायरी तो पसंद आयी मगर रफ़ी साहब का अंदाझ-ऐ-बयां भी लाजवाब है.<br />मेरी पसंद...<br />हर जगह फिरते हैं, आवारा ख़यालों की तरह<br />ये अलग बात है, हम आपके ख़्वाबों में नहींParasmanihttps://www.blogger.com/profile/07826784169363112240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-18151017538377292272011-04-12T19:34:26.453+05:302011-04-12T19:34:26.453+05:30This comment has been removed by the author.Parasmanihttps://www.blogger.com/profile/07826784169363112240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-39203864235935668062011-04-09T08:40:04.203+05:302011-04-09T08:40:04.203+05:30एक अरसे के बाद सुनने को मिली
ये नायाब ग़ज़ल ... व...एक अरसे के बाद सुनने को मिली <br />ये नायाब ग़ज़ल ... वाह ! <br />"कि मक़ाम इनका दिलों में है, शराबों में नहीं...." <br />सुन कर अछा भी लगता है,, और हैरत भी होती है <br />शराबों का गहरा दोस्त होते हुए <br />कोई ऐसी यादगार बात कह जाए तो.... <br />सुदर्शन फाकिर साहब को सलाम . <br />और ... जहां तक याद पड़ता है <br />इस ग़ज़ल को जनाब ताज अहमद खान साहब ने <br />अपने संगीत से संवारा था..... <br />पिछली पोस्ट के बारे में <br />जानकारी के लिए अवध लाल जी का शुक्रिया.daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-68498389222166692592011-04-06T12:08:59.470+05:302011-04-06T12:08:59.470+05:30एक ज़माने के बाद यह ग़ज़ल सुनी.
वाह, सागर भाई, वाह...एक ज़माने के बाद यह ग़ज़ल सुनी.<br />वाह, सागर भाई, वाह! मज़ा आ गया.<br />बहुत बहुत शुक्रिया.<br />अवध लालAVADHhttps://www.blogger.com/profile/10249724769054535628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-71842028983894628632011-04-06T11:45:28.020+05:302011-04-06T11:45:28.020+05:30सागर भाई,
उस्ताद हबीब वली मोहम्मद केवल गायक ही थे....सागर भाई,<br />उस्ताद हबीब वली मोहम्मद केवल गायक ही थे. गीतकार नहीं.<br /> अवध लालAVADHhttps://www.blogger.com/profile/10249724769054535628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1759328551597368568.post-50210572582470934012011-04-06T09:03:35.404+05:302011-04-06T09:03:35.404+05:30हम फकीरों से खुल के मिलो।हम फकीरों से खुल के मिलो।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com